मैनिंजाइटिस (मस्तिष्क ज्वर): प्रमुख जानकारी और निदान

मैनिंजाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) क्या है?

मैनिंजाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) मस्तिष्क और मेरुदंड के आस-पास की झिल्लियों (मेनिंजेस) में, मस्तिष्क में उपस्थित द्रव (सीएसएफ़-सेरेब्रो स्पाइनल फ्लूइड) में हुए संक्रमण के कारण उत्पन्न हुई सूजन को कहते हैं। मस्तिष्क और मेरुदंड में सूजन पहुँचने की संभावना के चलते मैनिंजाइटिस प्राणघातक हो सकता है; इसलिए, इस स्थिति को चिकित्सीय रूप से गंभीर माना जाता है।
Meningitis

रोग अवधि

  • मैनिंजाइटिस अस्थाई या स्थाई, दोनों हो सकता है।
  • ठीक होना रोगी की स्थिति (प्रतिरक्षण) पर निर्भर करता है।
  • वायरल मैनिंजाइटिस बिना चिकित्सा के 2 सप्ताह में ठीक हो सकता है।
  • बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस अत्यंत गंभीर होता है और 10 में 1 के लिए घातक होता है।
  • ठीक होने में कुछ माह से लेकर सालों लगते हैं।
  • मैनिंजाइटिस में बाद में उत्पन्न प्रभाव अत्यंत गंभीर होते हैं।

जाँच और परीक्षण

  • शारीरिक परीक्षण।
  • चिकित्सीय इतिहास।
  • रक्त परीक्षण
  • एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन।
  • लम्बर पंक्चर (मेरुदंड से द्रव लेना)।
  • ग्लास टेस्ट
Meningitis Diagnosis

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

Q1. मैनिंजाइटिस क्या है?
मैनिंजाइटिस मस्तिष्क और मेरुदंड के आस-पास स्थित सुरक्षा झिल्लियों में उत्पन्न हुई सूजन है। इन झिल्लियों को मेनिंजेस कहते हैं।

Q2. बच्चों में मैनिंजाइटिस के कौन से लक्षण होते हैं?
बच्चों में, आपको निम्न में से किसी एक लक्षण को देखना चाहिए:
  • उच्च-स्वर में कराहते हुए रोना।
  • सिर के ऊपरी नाजुक हिस्से में उभार उत्पन्न होना।
  • जागने में कठिनाई।
  • कमजोर और ढीला-ढाला या झटकों और जकड़न युक्त।
  • दूध ना पीना।
  • तेज/असामान्य/कठिन सांसें।
  • पीली या धब्बे युक्त त्वचा।
  • लाल और जामुनी निशान जो दबाने पर हलके नहीं पड़ते।

बड़े बच्चों में आपको देखना चाहिए:
  • जकड़ी हुई गर्दन।
  • आपकी पीठ और जोड़ों में तीव्र दर्द।
  • उनींदापन या असमंजस होना।
  • अत्यंत तीव्र सिरदर्द (केवल दर्द, चिकित्सीय सहायता लेने का कोई कारण ना लगना)।
  • चमकदार प्रकाश के प्रति अरुचि।
  • हाथों और पंजों का अत्यंत ठंडा होना।
  • कंपकंपी
  • तेज श्वास चलना।
  • लाल और जामुनी निशान जो दबाने पर हलके नहीं पड़ते।
Q3. यदि किसी को लक्षण या संकेत हैं तो क्या करना चाहिए?
यदि आपने संकेत और लक्षण पहचान लिए हैं, और रोगी का सामान्य स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, तो आपको तुरंत सक्रिय होना होगा। चिकित्सीय सहायता तुरंत लें, लक्षणों को जितना सटीक और निश्चित बता सकें, बताएं, और ये उल्लेख करें कि आपके अनुसार ये मैनिंजाइटिस हो सकता है। जब भी संभव हो, डॉक्टर को बुला लेना, सर्वोत्तम है। उनके पास एंटीबायोटिक होते हैं, जिन्हें तुरंत दिये जाने की आवश्यकता हो सकती है। रोगी के अस्पताल पहुँचने के पहले ही एंटीबायोटिक बैक्टीरिया को नष्ट करना शुरू कर देगा।

Q4.क्या इसके लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध है?
मैनिंजाइटिस और मेनिन्गोकोकल रोगों के सभी रूपों से सुरक्षा के लिए अभी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। लेकिन, बचपन के टीकाकरण के हिस्से के रूप में चार टीके लगाए जाते हैं:
  • बच्चों को दो, तीन, और चार माह की आयु में हिब लगाया जाता है, जिसका बूस्टर 12-13 माह में लगता है। ये हेमोफिलस इन्फ़्लुएन्जा टाइप बी से रक्षा करता है।
  • तीन, चार, और 12-13 माह की आयु में बच्चों को एमईएनसी दिया जाता है। यह ग्रुप सी मेनिंगोकोकल से रक्षा करता है।
  • यह वैक्सीन 1999 में उपलब्ध की गई थी, और उन सभी के लिए उपलब्ध है जिनकी आयु 25 वर्ष से कम है।
  • दो, चार और 12-13 माह में बच्चों को न्यूमोकोकल दिया जाता है। यह न्यूमोकोकल मैनिंजाइटिस से रक्षा करता है।
  • एमएमआर लगभग 12-13 माह में दिया जाता है, जिसका बूस्टर 5 वर्ष की आयु के पहले लगता है। यह मम्प्स, मीज़ल्स और रूबेला से रक्षा करता है। जो वायरस मम्प्स उत्पन्न करता है वो वायरल मैनिंजाइटिस का भी मुख्य कारण है।

Q5. यदि मुझे एक बार मैनिंजाइटिस हो गया तो क्या मुझे ये दोबारा हो सकता है?
किसी भी व्यक्ति को एक से अधिक बार मैनिंजाइटिस होना असामान्य बात है, लेकिन ऐसा हो सकता है। अधिकतर लोगों में उस रोगाणु के लिए प्रतिरक्षण उत्पन्न हो जाता है जिससे रोग हुआ हो। लेकिन, मैनिंजाइटिस होने के कई अलग-अलग कारण हैं, इसलिए ये रोग एक से अधिक बार होना दुर्लभ तो है, पर संभव है।

6Q. मैनिंजाइटिस में रोग के बाद में क्या प्रभाव होते हैं?
अधिकतर लोग पूरी तरह ठीक होते हैं, लेकिन कुछ लोगों में बैक्टीरियल और वायरल दोनों तरह के मैनिंजाइटिस के प्रभाव रह जाते हैं। इसका सबसे आम पश्च-प्रभाव बहरापन है, और अन्य प्रभावों में हैं:
  • सीखने में कठिनाई
  • मिर्गी
  • मिजाज में बदलाव
  • विनाशकारी स्वभाव
  • दृष्टि की समस्याएँ
  • सिरदर्द
  • थकावट
  • स्मृतिहीनता
  • एकाग्र होने में कठिनाई
सेप्टीसीमिया के दौरान उत्पन्न और प्रसारित विष रक्तवाहिनियों को क्षतिग्रस्त करते हैं। इसके कारण रक्त और ऑक्सीजन का आवश्यक प्रवाह प्रमुख अंगों जैसे गुर्दे, लिवर और त्वचा तक नहीं पहुँच पाता। जो रोगी सेप्टीसीमिया से ग्रस्त रहे होते हैं, उन्हें त्वचा का रोपण और कभी-कभी अंग विच्छेदन भी करवाना पड़ सकता है।



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