थैलेसीमिया क्या है?
थैलेसीमिया रक्त सम्बन्धी वंशानुगत रोग है जिसमें आपके शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य से कम और लाल रक्त कणिकाएँ केवल थोड़ी मात्रा में ही होती हैं। हीमोग्लोबिन आपकी लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित प्रोटीन है जो उन्हें ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है। यह रोग वंशानुगत है, अर्थात आपके माता-पिता में कम से कम कोई एक इस रोग का वाहक रहा है। यदि वे दोनों थैलेसीमिया के वाहक हैं तो आपको इस रोग का 25% अधिक गंभीर रूप प्राप्त होता है। थैलेसीमिया के कारण उत्पन्न हीमोग्लोबिन की कम मात्रा और केवल कुछ लाल रक्त कणिकाओं की उपस्थिति, रक्ताल्पता उत्पन्न करती है और इस कारण आपको थकावट होती है।थैलेसीमिया के कई प्रकार होते हैं, जिनमें अल्फा-थैलेसीमिया, बीटा-थैलेसीमिया, कूलेस एनीमिया, और भूमध्यसागरीय एनीमिया हैं।
रोग अवधि
हम ठीक होने में लगने वाले समय का अंदाजा नहीं लगा सकते।जाँच और परीक्षण
- रक्त परीक्षण
- कम्पलीट ब्लड काउंट
- रेटिक्यूलोसाईट काउंट
- आयरन
- अनुवांशिकता जाँच
- प्रसव पूर्व परीक्षण
- कोरिओनिक विलस सैंपलिंग
- एम्नियोसेंटेसिस
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
Q1.थैलेसीमिया क्या है?थैलेसीमिया वंशानुगत विकार है जिसमें हीमोग्लोबिन का संश्लेषण दोषयुक्त होता है। यह रक्ताल्पता के रूप में प्रकट होता है।
यदि आपके माता-पिता में से किसी एक अथवा दोनों को थैलेसीमिया रोग है, या वे इसके वाहक हैं, तो आपको भी ये रोग हो सकता है।
थैलेसीमिया रक्ताल्पता के रूप में प्रकट होता है। रक्त का आयरन परीक्षण इसे रक्ताल्पता के अन्य रूपों से अलग बताता है। हीमोग्लोबिन के इलेक्ट्रोफोरेसिस से रोग निश्चित पता चलता है।
- थैलेसीमिया के रोगियों को, रोग की गम्भीरता के आधार पर, बार-बार रक्त चढ़वाना पड़ता है। उन्हें आयरन की अधिक मात्रा को घटाने के लिए औषधियां भी लेनी होती हैं।
- यदि तिल्ली (स्प्लीन) आकार में अत्यंत बढ़ गई है तो रक्त कणिकाओं के नष्ट होने को कम करने के लिए तिल्ली को शल्यक्रिया द्वारा हटाया जाता है।
- थैलेसीमिया की नई उपचार पद्धति में, रोगी के किसी भाई-बहन के गर्भनाल में उपस्थित, रक्त कोशिका का प्रयोग होता है, जिसका लक्ष्य थैलेसीमिया का इलाज करना है।
मंद थैलेसीमिया के रोगी बिना किसी उपचार के सामान्य जीवन जी सकते हैं। लेकिन गंभीर थैलेसीमिया रोगियों को बार-बार रक्त चढ़वाना होता है और आयरन चेलेशान थेरेपी लेनी होती है, जो जीवन की गुणवत्ता को कम करते हैं।
- थैलेसीमिया के रोगियों को बार-बार संक्रमण की संभावना होती है और अस्थि-मज्जा के विस्तार के कारण उनकी हड्डियाँ कमजोर और भुरभुरी हो जाती हैं। यह बच्चों में विकास को धीमा करता है और उनकी वयःसंधि भी विलंबित होती है।
- यदि चेलेशान थेरेपी पर्याप्त और उचित नहीं है तो आयरन की अधिकता से ह्रदय, लिवर और भीतरी अंगों पर आयरन इकठ्ठा होने लगता है।
विवाह पूर्व जीन सम्बन्धी उचित सलाह द्वारा बच्चों में थैलेसीमिया को रोका जा सकता है। थैलेसीमिया वाहक व्यक्तियों के आपसी वैवाहिक सम्बन्ध को रोका जाना चाहिए।