लेरिन्जाइटिस क्या है?
लेरिन्जाइटिस लेरिंक्स (कंठ-ध्वनियंत्र) की सूजन को कहते हैं। कंठ के भीतर स्वर उत्पन्न करने वाली तंत्रिकाएँ होती हैं जो हौले से खुलती और बंद होती हैं और उनकी गति और कम्पन से ध्वनि उत्पन्न होती है।
लेकिन लेरिन्जाइटिस में, स्वर तंत्रिकाएँ सूज जाती या उत्तेजित हो जाती हैं। यह सूजन इनसे गुजरने वाली हवा द्वारा उत्पन्न ध्वनियों में विकृति पैदा करती है। स्वर तंत्रिकाओं के उत्तेजित होने के कारण इस स्थिति में भारी या बैठी हुई आवाज आती है, या अस्थाई रूप से आवाज निकलना बंद हो जाती है। आमतौर पर यह मध्य आयु वर्ग में होता है और महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक आम है।
यह दो प्रकार का होता है:
- एक्यूट लेरिन्जाइटिस (तीन सप्ताह से कम समय तक रहता है)।
- क्रोनिक लेरिन्जाइटिस (तीन सप्ताह से अधिक समय तक रहता है)।
रोग अवधि
आमतौर पर अधिकतर लोगों में लेरिन्जाइटिस कुछ दिनों (लगभग 2 सप्ताहों में) ठीक हो जाता है।जाँच और परीक्षण
डॉक्टर संवेदनशील क्षेत्रों या गांठों की जाँच हेतु आपके गले को परखेंगे या सूजन की जाँच हेतु आपकी नाक, मुँह, और गले को देखेंगे। अन्य जाँचों में हैं:- लेरिन्गोस्कोपी
- विडियो लेरिंगोस्ट्रोबोस्कोपी
- शल्यक्रिया और/या वाक् चिकित्सा।
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
1. लेरिन्जाइटिस क्या है?
लेरिन्जाइटिस लेरिंक्स (कंठ-ध्वनियंत्र) की सूजन को कहते हैं।
2. लेरिंक्स क्या है?
लेरिंक्स आपकी गर्दन के सामने के हिस्से में उभरी हुई गांठनुमा आकृति के स्तर पर पाया जाता है। यह हवा के आने जाने का मार्ग है जो आपकी जीभ से लेकर हवा के पाइप (ट्रेकिया) तक फैला होता है और बोलने के समय पर स्वर तंत्रिकाओं के कम्पन और गति के माध्यम से ध्वनि उत्पन्न करता है। यह भोजन को आपके हवा के पाइप में जाने से भी रोकता है और आपको श्वास लेने में सहायता करता है।
3. लेरिन्जाइटिस कैसे होता है?
लेरिन्जाइटिस में, स्वर तंत्रिकाएँ सूज जाती या उत्तेजित हो जाती हैं। यह सूजन इनसे गुजरने वाली हवा द्वारा उत्पन्न ध्वनियों में विकृति पैदा करती है। स्वर तंत्रिकाओं के उत्तेजित होने के कारण इस स्थिति में भारी या बैठी हुई आवाज आती है या अस्थाई रूप से आवाज निकलना बंद हो जाती है। आमतौर पर यह मध्य आयु वर्ग में होती है और महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक आम है। यह दो प्रकार का होता है:
- एक्यूट लेरिन्जाइटिस (तीन सप्ताह से कम समय तक रहता है)।
- क्रोनिक लेरिन्जाइटिस (तीन सप्ताह से अधिक समय तक रहता है)।
4. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
जब दो सप्ताह से अधिक समय तक आवाज भारी बनी रहे, यह स्वर विकार का सूचक होता है, तब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जब श्वास लेने या निगलने में कठिनाई या दर्द हो तथा खाँसी में खून आए या बुखार के साथ ऊपरी श्वसन तंत्र का संक्रमण जो कुछ दिनों तक बना रहे, तब व्यक्ति को लक्षणों को बदतर होने से बचाने के लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए।
5. लेरिन्जाइटिस के दौरान व्यक्ति को रात्रि को सोते समय भारी आहार क्यों नहीं लेना चाहिए?
व्यक्ति को सोते समय भारी आहार नहीं लेना चाहिए क्योंकि जब व्यक्ति लेटता है तो पीठ के हिस्से के अत्यंत दबाव के कारण पेट के पदार्थ आहार नली में ऊपर और गले तक चले जाते हैं। और पेट सोने के पहले मूल अम्लीयता में लौट आता है। इसलिए एसिड के वापस लौटने के कारण होने वाले लेरिन्जाइटिस हेतु इससे बचना चाहिए।
6.लेरिन्जाइटिस के दौरान मसालेदार आहार और कैफीनयुक्त पेय क्यों नहीं लेने दिए जाते?
यह पदार्थ पेट की अम्लीयता बढ़ाते हैं और/या आहारनलिका के निचले स्फिन्क्टर की कार्यक्षमता को कमजोर करके लेरिन्जाइटीस की स्थिति को बदतर करते हैं।
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