भगंदर क्या है?
गुदा द्वार का घाव (भगंदर) गुदा मुख की परत वाली त्वचा में छोटे, अंडाकार आकृति के रूप में त्वचा के फटने, तड़कने या छाला होने पर होता है। भगंदर वयस्कों और बच्चों दोनों में आम समस्या की तरह पाए जाते हैं। ये गंभीर समस्या तो नहीं होती लेकिन पीड़ादायी और परेशानी का कारण, विशेषकर बच्चों के लिए, होते हैं।
छः सप्ताह से कम समय तक रहने वाले भगंदर को तीव्र (एक्यूट) भगंदर कहा जाता है। दीर्घकालीन (क्रोनिक) भगंदर के लक्षण छः सप्ताह से लम्बे समय तक बने रहते हैं।
रोग अवधि
अधिकतर लोगों में, त्वचा के अन्य्र प्रकार के छोटे-मोटे कटाव की तरह, भगंदर भी 1-2 सप्ताहों में ठीक हो जाता है। कुछ प्रकार के भगंदर को ठीक होने में अधिक समय भी लग सकता है।
जाँच और परीक्षण
भगंदर का निर्धारण कई प्रकार की जाँचों द्वारा होता है, जिनमें हैं:
- शारीरिक परीक्षण।
- फिसलने वाले यन्त्र (एनोस्कोप) द्वारा गुदा और मलाशय का निरीक्षण।
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
1. भगंदर क्या है?
गुदा द्वार का घाव (भगंदर) गुदा मुख की परत वाली त्वचा में छोटे, अंडाकार आकृति के रूप में त्वचा के फटने, तड़कने या छाला होने पर होता है।
2. भगंदर के कितने प्रकार होते हैं?
छः सप्ताह से कम समय तक रहने वाले भगंदर को तीव्र भगंदर कहा जाता है। दीर्घकालीन (क्रोनिक) भगंदर के लक्षण छः सप्ताह से लम्बे समय तक बने रहते हैं।
3. यह व्यकों में अधिक आम होता है या बच्चों में?
भगंदर वयस्कों और बच्चों दोनों में आम समस्या की तरह पाए जाते हैं। ये गंभीर समस्या तो नहीं होती लेकिन पीड़ादायी और परेशानी का कारण, विशेषकर बच्चों के लिए, होते हैं।
4. किन आहारों को नहीं लेना चाहिए?
मैदे और शक्कर से बने उत्पाद बिलकुल ना लें। इनमें बिस्कुट, केक्स, पेस्ट्रीज आदि आते हैं यह सभी आंत की सक्रियता को कम करते हैं और कब्ज में वृद्धि करते हैं।
चावल, पनीर, परिरक्षक भी अस्वास्थ्यकारी होते हैं। व्यक्ति को उच्च रेशायुक्त आहार लेना चाहिए।
5. भगंदर से पीड़ित होने पर व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
व्यक्ति को चाहिए कि पानी अधिक मात्रा में पियें, व्यायाम नियमित करें और प्रतिदिन स्नान करें और प्रत्येक मलत्याग के बाद अपने कमर व कूल्हे के क्षेत्र को अच्छी तरह से स्वच्छ करें। अपने प्रतिदिन के आहार में रेशे की मात्रा बढ़ाएं। तीव्र दर्द की स्थिति में प्रतिदिन सिट्ज़ बाथ (दिन में दो से तीन बार, 10 से 15 मिनटों के लिए, गुदा के क्षेत्र को गर्म पानी में डुबोकर रखें) लेने से दर्द को कम करने और गुदा की सफाई करने में सहायता मिलती है।
6. क्या भगंदर होने से व्यक्ति को आंत-गुदा के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है?
भगंदर होने से व्यक्ति को आंत-गुदा के कैंसर होने का खतरा नहीं बढ़ता। लेकिन चूंकि दोनों स्थितियों में रक्तस्राव एक लक्षण है, यह निर्धारित करना जरूरी है कि क्या कैंसर भी उपस्थित है। भगंदर के उपचार के पश्चात् (और इस प्रकार भगंदर से जुड़े रक्तस्राव को हल करने के पश्चात), फेकल औकल्ट ब्लड टेस्ट (एफ़ओबीटी) के द्वारा गुदा-आंत के कैंसर की जाँच की जाती है, जो मल में रक्त की उपस्थिति की जाँच करता है।
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