पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD): प्रमुख जानकारी और निदान

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD) क्या है?

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर-पीटीएसडी) या पश्च आघात तनाव सिंड्रोम (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस सिंड्रोम-पीटीएसएस) यह शब्द किसी आघात की घटना के अनुभव की प्रतिक्रियास्वरुप उत्पन्न लक्षणों की पूरी श्रेणी को प्रदर्शित करता है, जो कि आपके सामान्य मानवीय अनुभवों के परे होते हैं। अक्सर यह विलम्ब से होने वाली प्रतिक्रिया होती है।

रोग अवधि

कुछ लोग 6 माह में ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ लोगों के लक्षण लम्बे समय तक बने रहते हैं। कुछ लोगों में, यह स्थिति दीर्घकालीन हो जाती है।

जाँच और परीक्षण

पश्च-आघात तनाव विकार का निर्धारण संकेतों और लक्षणों तथा विस्तृत मनोवैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर होता है। चिकित्सीय समस्याओं की जाँच हेतु शारीरिक परीक्षण किया जा सकता है।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

1. पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर-पीटीएसडी) क्या है?
पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर-पीटीएसडी) या पश्च आघात तनाव सिंड्रोम (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस सिंड्रोम-पीटीएसएस) यह शब्द किसी आघात की घटना के अनुभव की प्रतिक्रियास्वरुप उत्पन्न लक्षणों की पूरी श्रेणी को प्रदर्शित करता है, जो कि आपके सामान्य मानवीय अनुभवों के परे होते हैं। अक्सर यह विलम्ब से होने वाली प्रतिक्रिया होती है।

2. इसके लक्षण क्या होते हैं?
पीटीएसडी को किसी प्राणघातक आघात की दुर्घटना, जिसमें भय, असहाय होने या डर जाने की त्वरित प्रतिक्रिया हो, के पश्चात लगातार (एक माह तक) होने वाले लक्षणों द्वारा समझाया जा सकता है। व्यक्ति को बुरे स्वप्न, पिछली बातों में लौट जाना, या आघात वाली घटना से जुड़े अनचाहे विचार और स्मृतियाँ हो सकते हैं।
अतिउत्तेजना के लक्षण जिनमें व्यक्ति शारीरिक रूप से अधिक घूमने वाला, अतिसतर्क, आसानी से भौंचक्का हो जाने वाला और नींद में व्यवधान का, क्रोध, और/या एकाग्रता की समस्या का अनुभव करता है।
बचने या टालने के लक्षण जिनमें व्यक्ति उन चीजों या बातों में रूचि खो देता है जिनमें उसे पहले आनंद मिलता था, साथ ही घटना की याद दिलाने वाले स्थानों, परिस्थितियों और अन्य उत्प्रेरकों से बचना (उदाहरण के लिए भीड़-भाड़ भरा मॉल जो कि खतरे के लिए उच्च सतर्कता को उत्प्रेरित करता है)।
लक्षण सामाजिक और व्यावसायिक कार्यक्षमता में पर्याप्त रूप से क्षति करने वाले, हानि देने वाले और परेशानी देने वाले रूप से जुड़े हुए होते हैं।
बच्चों में उपस्थित लक्षण:
  • बिस्तर में पेशाब करना।
  • बात कर पाने में असमर्थ होना या बोलना भूल जाना।
  • खेल के दौरान डराने वाली घटना को अभिनीत करना।
  • अपने अभिभावक या अन्य किसी वयस्क व्यक्ति के साथ असामान्य रूप से समीप बने रहना।

3. पीटीएसडी से पीड़ित होने पर व्यक्ति को क्या करना चाहिए?
व्यक्ति को चाहिए कि जीवन जितना संभव हो उतना सादा और सरल रखे। अपने सामान्य नियमित कार्य व्यवहार पर लौटें, घटी हुई घटना के बारे में किसी विश्वासपात्र व्यक्ति से चर्चा करें और विश्रान्तिदायक व्यायामों को अपनाएँ। कार्य पर वापस लौटें। भोजन और व्यायाम नियमित करें।
जिस स्थान पर आघात वाली घटना घटी है, वहां वापस जाएँ। मित्रों और परिवार के साथ रहने का समय निकालें। वाहन चलाते समय सावधान रहें, आपका ध्यान कमजोर हो सकता है। डॉक्टर से परामर्श लें और बेहतर होने की आशा करें।

4. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
डॉक्टर से संपर्क करें यदि आपको सजीव स्मृतियाँ, पिछले विचार या बुरे स्वप्न हों, कभी-कभी भावनात्मक रूप से सुन्न अनुभव करते हों, चिड़चिड़ा अनुभव करते हैं, सामान्य से अधिक भोजन करना, या सामान्य से अधिक मात्रा में शराब पीना या ड्रग लेना, अपने मिजाज का नियंत्रण से बाहर होना महसूस करना या अन्य लोगों के साथ घुलना-मिलना कठिन लगता है या अवसादग्रस्त या बेजान अनुभव करते हैं।
यदि आत्महत्या करने के विचार भी आते हों तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें।




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