परहेज और आहार
लेने योग्य आहार
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रेशे की उच्च मात्रा से युक्त आहारों जैसे साबुत अनाज की ब्रेड, दलिया, पास्ता, चावल, ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें।
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पानी अधिक मात्रा में पियें – प्रतिदिन 8 औंस मात्रा के 8 गिलास पानी पीने की सलाह दी जाती है।
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ओमेगा 3 फैटी एसिड की अधिक मात्रा से युक्त आहार जैसे मछली, अखरोट, अलसी के बीज आदि का सेवन करें।
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अदरक रक्त संचार बढ़ाती है और सूजन कम करती है।
इनसे परहेज करें
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सोडियम की अधिकता वाले आहार जैसे प्रोसेस्ड आहार, माँस, कैन में बंद सब्जियाँ और सूप, मसाले, शीत किये हुए स्नैक, कुछ प्रकार के पनीर, पहले से मसाला डला माँस और फ़ास्ट फ़ूड।
योग और व्यायाम
पैदल चलना, दौड़ना, तेज भागना, साइकिल चलाना, तैरना और खेलों या गतिविधियों के वे अन्य रूप जो ह्रदय गति को बढ़ाते हैं, पैरों में लिम्फेडिमा वाले रोगियों के लिए लाभदायक हो सकते हैं। एरोबिक व्यायामों के ये प्रकार पैरों में लसिका प्रवाह को उत्प्रेरित करते और उसे बढ़ाते हैं। अन्य व्यायाम जैसे लचीलापन या स्ट्रेचिंग वाले व्यायाम, मजबूती बढ़ाने वाले व्यायाम भी सहायता कर सकते हैं।
अपने संचरण को उन्नत करने के लिए व्यायाम की किसी भी नित्य गतिविधि में गहरे श्वसन को शामिल करने का प्रयास करें।
सहायक योगासनों में हैं:
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शवासन
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दीवालनुमा स्थिति
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आधा खड़े होकर सामने झुकना
- परिष्कृत मार्जारीआसन या गौआसन
घरेलू उपाय (उपचार)
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संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए त्वचा की देखभाल पर विशेष ध्यान दें।
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प्रभावित क्षेत्र में कटने, छ्लिने या ऊतकों की अन्य चोटें न लगने दें।
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अपनी त्वचा को धूप में झुलसने ना दें। जब भी बाहर जाएँ हमेशा धूप से बचाव हेतु (कम से कम 15 एसपीएफ युक्त) सनस्क्रीन का प्रयोग करें।
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गर्मी या ऊष्मा का सीधा संपर्क न होने दें, जैसे गर्म स्नान, सौना बाथ, और धूपस्नान।
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अपनी ब्रा को उचित नाप का रखें।
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तंग या कसे हुए जेवर ना पहनें।
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लम्बी समयावधि के लिए ना बैठें, या यदि बैठना पड़े तो, प्रभावित हाथ या पैर को उठाकर रखें।
- थोड़े समय के लिए भी भारी वजन ना उठाएँ, क्योंकि इससे उतकों में से लसिका तरल पदार्थ उचित प्रकार नहीं निकल पाता।