फरंक्युलोसिस (फोड़े): प्रमुख जानकारी और निदान

फरंक्युलोसिस बहुत सारे फोड़ों के होने या उनके विकसित होने की प्रवृत्ति रखने वाली स्थिति है।.

फरंक्युलोसिस (फोड़े): लक्षण और कारण

फरंक्युलोसिस (फोड़े) – लक्षण – आमतौर पर फोड़े की शुरुआत त्वचा के भीतर छोटे, सख्त, लाल उभारों से होती है, जो छूने पर नरम और पीड़ायुक्त होता है।. फरंक्युलोसिस (फोड़े) – कारण – स्टेफायलोकोकस औरियस बैक्टीरिया.

फरंक्युलोसिस (फोड़े): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

फरंक्युलोसिस (फोड़े) – आहार – लेने योग्य आहार फोड़ों के लिए अपना प्रतिरोध बढ़ाने के लिए प्रत्येक आहार में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करें।: जिंक और विटामिन ई त्वचा के ठीक होने में सहायता करते हैं। विटामिन ई कई मेवों जैसे बादाम और अखरोट में पाया जाता है। ये ब्रसेल्स स्प्राउट्स, ब्रोकोली, सोयाबीन, अंडे और गेहूँ की बाली में भी पाए जाते हैं। जिंक लीन मीट, सीप, कद्दू के बीज और अंडे जैसे स्रोतों से सरलता से प्राप्त किया जाता है। मदिरा निर्माण का खमीर, सूअर की जांघ और गेहूँ की बाली भी जिंक के बढ़िया स्रोत हैं।
, विटामिन ए शरीर और प्रतिरक्षण के लिए हमेशा ही बढ़िया होता है इसलिए गाजर का अधिक मात्रा में सेवन करके और गाजर का ताजा रस अधिक मात्रा में पीकर, अपने विटामिन ए की मात्रा को बढ़ाएं।
, विटामिन सी कोलेजन के उत्पादन में सहायता करता है। कोलेजन घावों के भरने में और निशान पड़ने से रोकने में मदद करता है। विटामिन सी की भरपूर मात्रा से युक्त खट्टे फल जैसे संतरे, अन्नानास, कीवी, आम, आड़ू, और ग्रेपफ्रूट खाएँ।
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फरंक्युलोसिस (फोड़े): रोकथाम और जटिलताएं

फरंक्युलोसिस (फोड़े) – रोकथाम – हर प्रकार के घावों को स्वच्छ और ढँका हुआ रखें। व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएँ बाँटकर उपयोग ना करें।.

पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (कूल्हे का दर्द): लक्षण और कारण

पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (कूल्हे का दर्द) – लक्षण – कूल्हे का दर्द या झुनझुनी जो जांघ तक जाती है। दर्द जो लम्बे समय तक बैठने पर बदतर हो जाता है।. पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (कूल्हे का दर्द) – कारण – पिरिफोर्मिस सिंड्रोम विशिष्ट रूप से पिरिफोर्मिस पेशी के कसने या तंग होने से उत्पन्न होता है।.

पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (कूल्हे का दर्द): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (कूल्हे का दर्द) – आहार – लेने योग्य आहार: शरीर की रोग से उबरने वाली प्रक्रिया में सहायता के लिए मछली बढ़िया आहार है।
, ताजा अन्नानास, सभी प्रकार की बेरियाँ सूजन कम करके ठीक होने में सहायता करती हैं और प्रतिरक्षक तंत्र को भी उन्नत करती हैं।
, मसाले जैसे हल्दी, लहसुन, अदरक स्वभाव से सूजनरोधी होते हैं।
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पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (कूल्हे का दर्द): रोकथाम और जटिलताएं

पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (कूल्हे का दर्द) – रोकथाम – व्यायाम नियमित करें। उचित शारीरिक भंगिमा अपनाएं, लम्बे समय तक बैठने या लेटने का कार्य ना करें।.

पिरिफोर्मिस सिंड्रोम (कूल्हे का दर्द): प्रमुख जानकारी और निदान

पिरिफोर्मिस सिंड्रोम तंत्रिकाओं और मांसपेशियों का एक असामान्य विकार है जिसमें पिरिफोर्मिस (कूल्हे में स्थित) मांसपेशी शियाटिक नस पर दबाव डालती है। पिरिफोर्मिस पेशी कूल्हे के जोड़ के ऊपरी हिस्से पर, कूल्हों के भीतर स्थित चपटी, बंधनुमा पेशी होती है।.

एथेरोस्क्लेरोसिस – धमनियाँ सख्त होना: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

एथेरोस्क्लेरोसिस – धमनियाँ सख्त होना – आहार – लेने योग्य आहार: गहरे रंग वाली सब्जियाँ और फल (जैसे पालक, गाजर, आड़ू, और बेरियाँ) लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि उनमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की उच्च मात्रा होती है।
, साबुत-अनाज, उच्च-रेशे युक्त आहार चुनें। इनमें फल, सब्जियाँ, और फलियाँ आती हैं। साबुत अनाज के बढ़िया विकल्पों में गेहूँ, जई/जई का आटा, राई, जौ, भूरा चावल, कुटू, मोटा पिसा गेहूँ, बाजरा आदि आते हैं।
, मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड (जैतून के तेल, केनोला तेल, मूंगफली तेल, मेवे और एवोकेडो में पाया जाता है) और ओमेगा-3 पालीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (मछली. शेलफिश, अलसी के बीज और अखरोट में पाया जाता है) का चयन करें।
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एथेरोस्क्लेरोसिस – धमनियाँ सख्त होना: रोकथाम और जटिलताएं

एथेरोस्क्लेरोसिस – धमनियाँ सख्त होना – रोकथाम – धूम्रपान ना करें। शराब पर नियंत्रण करें। कोलेस्ट्रॉल का स्तर बनाए रखें। मधुमेह को नियंत्रित रखें।.