टीनिया कॉर्पोरिस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

टीनिया कॉर्पोरिस – आहार – लेने योग्य आहार: साबुत अनाज, सब्जियाँ, वनस्पति तेल (जैतून का तेल, नारियल का तेल),

टीनिया कॉर्पोरिस: रोकथाम और जटिलताएं

टीनिया कॉर्पोरिस – रोकथाम – पशुओं, मिट्टी और पौधों की देखभाल के बाद अपने हाथों को अच्छे से धोएँ। ढीले सूती कपड़े पहनें और कपड़ों का बांटकर प्रयोग ना करें। त्वचा को शुष्क रखें।.

टीनिया पेडिस: लक्षण और कारण

टीनिया पेडिस – लक्षण – खुजली होना। जलन होना। दर्द होना, पपड़ी और खुरचन निकलना।. टीनिया पेडिस – कारण – बैक्टीरिया और फफूंद।.

टीनिया पेडिस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

टीनिया पेडिस – आहार – लेने योग्य आहार: ताजे फल और सब्जियाँ। विटामिन सी से समृद्ध फल विशेष रूप से लाभकारी होते हैं क्योंकि ये प्रतिरक्षक तंत्र को शक्तिशाली बनाते हैं। आहारों जैसे चिकन, अंडे और डेरी उत्पादों के सेवन द्वारा निश्चित करें कि शरीर को पर्याप्त प्रोटीन मिले। यह मेटाबोलिज्म के नियमन में और ऊतकों की मरम्मत तथा ठीक होने में सहायता करता है।

टीनिया पेडिस: रोकथाम और जटिलताएं

टीनिया पेडिस – रोकथाम – पैरों को सूखा रखें। नमी को दूर रखने हेतु बने सूती मौजे पहनें। मौजे तुरंत बदलते रहें। तंग, उँगलियों को बंद रखने वाले जूते ना पहनें। गर्मी और नमी एथलीट्स फुट उत्पन्न करने वाली फफूंद को वृद्धि करने में सहायता करते हैं।.

टीनिया पेडिस: प्रमुख जानकारी और निदान

टीनिया पेडिस को आम भाषा में एथलीट्स फुट के नाम से जाना जाता है और यह त्वचा को प्रभावित करने वाली अत्यंत सामान्य स्थिति है जो पैर के तल और उँगलियों के बीच की त्वचा को प्रभावित करती है।.

रूबेला: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

रूबेला आहार – लेने योग्य आहार: साबुत अनाज और सब्जियाँ, एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार जैसे जामुन, स्ट्रॉबेरी, चेरी, संतरे, टमाटर, ब्रोकोली, गाजर, पालक, सेब और नाशपाती खाएँ। भोजन पकाने हेतु स्वास्थ्यवर्धक तेल जैसे जैतून या वनस्पति तेल का प्रयोग करें।

रूबेला: प्रमुख जानकारी और निदान

रूबेला, जिसे जर्मन मीसल्स या तीन-दिनी मीसल्स भी कहा जाता है, रूबेला वायरस द्वारा उत्पन्न अत्यंत शीघ्रता से फैलने वाला संक्रमण है जो अपने अलग तरह के हलके लाल या गुलाबी रंग के घावों द्वारा पहचाना जाता है।.

रूबेला: लक्षण और कारण

रूबेला लक्षण – चेहरे पर घावों के निशान होना जो शरीर और हाथ-पैरों तक फ़ैल जाते हैं और आमतौर पर तीन दिन बाद हलके पड़ जाते हैं। 110 से कम बुखार होना। सूजी हुई ग्रंथियाँ। जोड़ों में दर्द।. रूबेला कारण – रूबेला एक प्रकार के वायरस द्वारा उत्पन्न होता है।.