ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम: लक्षण और कारण

ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम – लक्षण – टखने के पिछले हिस्से में गहरा दर्द, आमतौर पर जब अंगूठे पर दबाव पड़े तब होता है (जैसे कि चलने के समय) या जब उँगलियों को नीचे की तरफ मोड़ा जाता है।. ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम – कारण – आमतौर पर ओएस ट्राईगोनम किसी चोट, जैसे टखने की मोच, से उत्प्रेरित होता है।.

ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम – आहार – लेने योग्य आहार विटामिन ई से समृद्ध आहार लें। यह विटामिन सूजन से मुकाबले में सहायता करता है। इसके बढ़िया आहार हैं पालक, बादाम का तेल, रतालू, सूरजमुखी के बीज और गेहूँ आदि इनसे परहेज करें शराब, तम्बाकू, कॉफ़ी, काली चाय, और प्रोसेस्ड आहार की मात्रा घटाएँ।

ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम: रोकथाम और जटिलताएं

ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम – रोकथाम – टखने की ब्रेस के प्रयोग से टखने के अत्यधिक प्लान्टर फ्लेक्शन को रोकने में सहायता होती है (पैरों को नीचे रखता है, जैसे कार के पेडल को दबाना हो) यह नर्म ऊतकों के टकराव को रोककर ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम को बढ़ने से रोकता है।.

ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम: प्रमुख जानकारी और निदान

ओएस ट्राईगोनम सिंड्रोम अतिरिक्त हड्डी के कारण टखने के पिछले हिस्से में उत्पन्न दर्द को बताता है।.

कोंड्रोमलेसिया पटेला: प्रमुख जानकारी और निदान

कोंड्रोमलेसिया, जिसे धावक का घुटना (रनर्स नी) भी कहा जाता है, ऐसी स्थिति है जिसमें घुटने की टोपी (पटेला) की भीतरी सतह पर स्थिति उपास्थि घिसती जाती है और नर्म हो जाती है। यह उपास्थि (कार्टिलेज) के घुटने की टोपी से उचित स्थिति में ना होने से उत्पन्न भंगुरता का परिणाम है जिसके कारण यह जांघ की हड्डी (फेमर) के अंतिम सिरे पर फिसलती है। इस स्थिति को कभी-कभी पटेलोफेमोरल सिंड्रोम कहा जाता है।.

कोंड्रोमलेसिया पटेला: लक्षण और कारण

कोंड्रोमलेसिया पटेला – लक्षण – आपके घुटने के सामने के हिस्से में धीमा-धीमा दर्द बना रहना। सीढ़ी उतरते समय दर्द होना। लम्बे समय तक बैठे रहने के बाद उठने पर दर्द होना। पैर को घुमाते समय रगड़ने/घूमने का अनुभव होना (क्रेपिटस)।. कोंड्रोमलेसिया पटेला – कारण – कोंड्रोमलेसिया पटेला तब होता है जब घुटने की टोपी हड्डियों पर फिसलने के स्थान पर उनसे टकराने और रगड़ खाने लगती है। इसके कारण कार्टिलेज (उपास्थि) में थोड़ी सी टूट-फूट होती है, जो सूज जाती है और दर्द पैदा करती है।.

कोंड्रोमलेसिया पटेला: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

कोंड्रोमलेसिया पटेला – आहार – लेने योग्य आहार इनसे परहेज करें: घुटने के मित्रवत फलों में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा से युक्त फल, जैसे कीवी, संतरे, आम, ग्रेपफ्रूट, और पपीता हैं। फलों में उपस्थित विटामिन सी घुटने की और सहायक रचनाओं की रक्षा करता है। मछली में पाए जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड ना केवल ओस्टियोआर्थराइटिस में उत्पन्न होने वाली सूजन को कम करता है, बल्कि घुटने की उपास्थि को क्षति पहुँचाने वाले प्रोटीन को भी अवरुद्ध करता है। इसलिये सप्ताह में दो बार तैलीय मछली (जैसे मैकरील या सैलमन) लें। कैल्शियम और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा से यूक्त पोषक आहार लें, जो कि आपके शरीर को कैल्शियम के अवशोषण में सहायता करता है। डेरी उत्पादों जैसे दूध, पनीर और दही; गहरी हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे ब्रोकोली; तथा अन्य पदार्थों में कैल्शियम पाया जाता है।

कोंड्रोमलेसिया पटेला: रोकथाम और जटिलताएं

कोंड्रोमलेसिया पटेला – रोकथाम – अपने घुटनों पर पड़ने वाले जोर को कम करने के लिए वजन को नियंत्रित करें। व्यायाम या अन्य शारीरिक गतिविधि करने के पहले उचित रूप से वार्म अप करें। अपनी जांघों, पिंडलियों और कमर से नीचे के सम्पूर्ण क्षेत्र के व्यायाम द्वारा इनमें उचित मजबूती बनाएँ। अपने खेलों के लिए उचित प्रकार के जूतों का प्रयोग करें।.

सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी: लक्षण और कारण

सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी – लक्षण – माँसपेशियों में कमजोरी और/या हाथों अथवा उँगलियों में झुनझुनी। सामंजस्य की कमी, खासकर हाथों में। सिरदर्द. सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी – कारण – सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी ऐसी किसी भी स्थिति से उत्पन्न हो सकती है जो मेरुदंड से हटते समय तंत्रिकाओं पर दबाव डालती हो। सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी के प्रमुख कारणों में भंगुर होना, डिस्क का बाहर निकलना और मेरुदंड की अस्थिरता आदि हैं।.

सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

सर्वाइकल रेडिक्यूलोपेथी – आहार – लेने योग्य आहार: कैल्शियम की प्रचुरता वाले आहार जैसे पनीर, दूध, दही और सब्जियाँ जिनमें पालक और केल हैं, लेनी चाहिए। गर्दन में नस का दबना पोटैशियम की कमी से हो सकता है। पोटैशियम की कमी को दूर करने के लिए, पोटैशियम से संतृप्त आहार लें। इन आहारों में केले, एवोकेडो, मेवे और खुबानी आदि हैं। व्यक्ति पोटैशियम अवशोषण में सहायता के लिए संतरे का रस और मलाई निकला दूध ले भी सकता है। मछली, अलसी के बीज, अखरोट, हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड आपके शरीर में सूजन पैदा करने वाले रसायनों को घटाता है।