अर्थ्रेल्जिया (जोड़ों का दर्द): लक्षण और कारण

अर्थ्रेल्जिया (जोड़ों का दर्द) – लक्षण – अर्थ्रेल्जिया का प्राथमिक लक्षण है जोड़ का दर्द। यह दर्द तीखा, धीमा, चुभनयुक्त, जलनयुक्त, या फड़कता हुआ हो सकता है। यह मंद से तीव्र हो सकता है।. अर्थ्रेल्जिया (जोड़ों का दर्द) – कारण – जोड़ों में दर्द क्यों होता है, इसके अनेक कारण हो सकते हैं। ऐसा निम्न कारणों से हो सकता है:- चोट, संक्रमण, प्रतिरक्षण तंत्र का विकार। एलर्जी सम्बन्धी प्रक्रियाएँ।.

अर्थ्रेल्जिया (जोड़ों का दर्द): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

अर्थ्रेल्जिया (जोड़ों का दर्द) – आहार – लेने योग्य आहार इनसे परहेज करें उच्च भोज्य पदार्थों में सूजन पैदा करने वाले गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द के लक्षणों को बढ़ाते हैं।: जोड़ों के दर्द में सर्वोत्तम आहार वे हैं जिनमें प्राकृतिक रूप से सूजनरोधी गुण होते हैं, और जो ओमेगा-3 फैटी एसिड्स और विटामिन डी से समृद्ध होते हैं। इन पोषक तत्वों के प्रसिद्ध स्रोतों में मछली, अखरोट, कद्दू के बीज, अलसी के बीज और केनोला तेल आदि हैं। वे आहार लें जो जोड़ों और तंतुओं को दर्दरहित और लचीला बनाए रखें जैसे मिर्च, खट्टे फल, ब्रोकोली, फूलगोभी, प्याज, चेरी, हरी चाय, अदरक मशरुम, अन्नानास, पपीता आदि। तले आहार,

परओनिकिया (ऊँगली, नाखून में दर्द): प्रमुख जानकारी और निदान

हाथ या पैर की ऊँगली के आस-पास की त्वचा के संक्रमण को परओनिकिया कहते हैं।.

परओनिकिया (ऊँगली, नाखून में दर्द): लक्षण और कारण

परओनिकिया (ऊँगली, नाखून में दर्द) – लक्षण – ऊँगली के आस-पास की त्वचा में सुरसुराहट युक्त दर्द, लालिमा, गर्मी और सूजन। पीप युक्त फफोले, नाखून के आस-पास की त्वचा का लाल, गर्म, सूजा और दर्द युक्त होना।. परओनिकिया (ऊँगली, नाखून में दर्द) – कारण – आमतौर पर यह क्षेत्र की चोट के कारण उत्पन्न होता है, उदाहरण के लिए, निकले नाखून को काटने या खींचने से या नाखून के समीप के माँस को खुरचने या दबाने से।.

परओनिकिया (ऊँगली, नाखून में दर्द): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

हाथ या पैर की ऊँगली के आस-पास की त्वचा के संक्रमण को परओनिकिया कहते हैं। संक्रमित क्षेत्र सूजा, लाल और दर्द्युक्त हो सकता है। कभी-कभी पीप युक्त फफोला हो जाता है। अधिकतर समय, परओनिकिया बड़ी समस्या नहीं होती और इसका उपचार घर पर ही किया जा सकता है। अत्यंत कम मामलों में, संक्रमण हाथ या पैर की बची हुई ऊँगली में हो सकता है।
परओनिकिया के दो भिन्न प्रकार हैं, एक्यूट और क्रोनिक:
एक्यूट परओनिकिया-आमतौर पर यह एकाएक दिखाई देता है, सूजन सहित अत्यंत दर्द युक्त क्षेत्र होता है, हाथ या पैर की ऊँगली के आस-पास गर्मी और लालिमा होती है, खासकर उस क्षेत्र में चोट के बाद ऐसा होता है।
क्रोनिक परओनिकिया- यह ऐसा संक्रमण है जो धीरे-धीरे बढ़ने वाला, थोड़ी-थोड़ी सूजन उत्पन्न करने वाला, ऊँगली के आस-पास की त्वचा पर पीड़ा और लालिमा उत्पन्न करने वाला होता है।

परओनिकिया (ऊँगली, नाखून में दर्द): रोकथाम और जटिलताएं

परओनिकिया (ऊँगली, नाखून में दर्द) – रोकथाम – एक्यूट परओनिकिया ना होने देने का उत्तम तरीका अपने नाखूनों की अच्छी देखभाल करना है। अपने नाखूनों और पोरों को चोट ना लगने दें। अपने नाखूनों को काटें या खींचें नहीं। अपने नाखून ठीक प्रकार कटे और व्यवस्थित रखें।.

वायरल सिंड्रोम: रोकथाम और जटिलताएं

वायरल सिंड्रोम – रोकथाम – अपने हाथों को नियमित साबुन और पानी से धोएँ या अल्कोहल आधारित जेल का प्रयोग करें। पीने के गिलास या खाने के बर्तनों का बांटकर उपयोग ना करें। टीकाकरण.

वायरल सिंड्रोम: प्रमुख जानकारी और निदान

वायरल सिंड्रोम किसी एक वायरस या विभिन्न प्रकार के वायरस द्वारा उत्पन्न संक्रमण है जो अधिकतर श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। लेकिन ये शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है।.

वायरल सिंड्रोम: लक्षण और कारण

वायरल सिंड्रोम – लक्षण – बुखार और कंपकंपी। बहती और भरी हुई नाक। खाँसी, गले में पीड़ा या आवाज भर्राना।. वायरल सिंड्रोम – कारण – वायरस के ऐसे लगभग 900 विभिन्न प्रकार हैं जो मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं।.

वायरल सिंड्रोम: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

वायरल सिंड्रोम – आहार – लेने योग्य आहार: वायरल रोग के दौरान शरीर में पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए पानी अधिक मात्रा में पियें। फल और सब्जियों की अधिकता वाला आहार सामान्य सर्दी सहित कई प्रकार के संक्रमण और रोगों को रोकने में सहायक होता है। विशेष रूप से प्रतिरक्षक तंत्र हेतु लाभकारी फल और सब्जियों में चेरी, बेरियाँ, टमाटर, संतरे, ग्रेपफ्रूट, खट्टे रस, केले, ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और पत्तागोभी आते हैं। ज्यादा से ज्यादा ताजे फल और सब्जियाँ लें क्योंकि वे सर्वाधिक पोषक घटक प्रदान करते हैं। सूजन और अवरोध युक्त वायरल संक्रमणों को रोकने या कम करने के लिए विभिन्न सब्जियों से मिलाकर घर पर बने सूप या प्राकृतिक सूप का सेवन करें।