गुर्दे की पथरी – लक्षण – पीठ, पेट और जांघ में तीव्र दर्द। दर्द्युक्त मूत्रत्याग। मूत्र में रक्त होना। मतली और उल्टी। दुर्गन्ध और झाग युक्त मूत्र।. गुर्दे की पथरी – कारण – मूत्र में लवण (नमक अथवा साल्ट) और खनिजों के सामान्य संतुलन में बदलाव। शऱीर में पानी की कमी, दवाएँ और रोग, अनुवांशिकता.
लेखक: Dr. Siddhartha VH
गुर्दे की पथरी: प्रमुख जानकारी और निदान
मूत्र में कई अपशिष्ट रसायन घुले होते हैं। ये रसायन कभी-कभी मूत्र में बारीक कण बना लेते हैं जो आपस में इकठ्ठा होकर छोटे पत्थरनुमा रचना में बदल जाते हैं।.
पाइल्स – बवासीर, हीमोराइड्स: लक्षण और कारण
हीमोराइड्स – बवासीर, पाइल्स – लक्षण – दर्दहीन रक्तस्राव। गुदा क्षेत्र में खुजली, दर्द, उत्तेजना और परेशानी। मल का फटकर निकलना। गुदा के आसपास सूजन।. हीमोराइड्स – बवासीर, पाइल्स – कारण – अज्ञात, नसों में बढ़ा हुआ दबाव। संक्रमण, अनुवांशिकता, अतिसार, कुछ रोग जैसे कारक।.
पाइल्स – बवासीर, हीमोराइड्स: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
हीमोराइड्स – बवासीर, पाइल्स – आहार – लेने योग्य आहार: तरल (शराब नहीं) अधिक मात्रा में लें कम से कम 8 गिलास प्रतिदिन।
, भोज्य रेशे की उच्च मात्रा वाले आहार हीमोराइड्स के उत्पन्न होने की संभावना को घटाते हैं।
, उत्तम भोज्य रेशे के स्रोत हैं:
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पाइल्स – बवासीर, हीमोराइड्स: रोकथाम और जटिलताएं
हीमोराइड्स – बवासीर, पाइल्स – रोकथाम – स्वच्छ रहें, खूब पानी पियें, रेशे युक्त आहार लें। नियमित व्यायाम करें।.
पाइल्स – बवासीर, हीमोराइड्स: प्रमुख जानकारी और निदान
हीमोराइड्स सूजी और फूली हुई रक्तवाहिनियाँ हैं जो या तो बाहरी तरफ (गुदा के आस-पास) बन जाती हैं या भीतरी (मल द्वार के निचले हिस्से में) तरफ होती हैं।.
फैटी लिवर डिजीज: रोकथाम और जटिलताएं
फैटी लिवर डिजीज – रोकथाम – शराब, धूम्रपान, फ़ास्ट फ़ूड और ड्रग्स से बचें।.
फैटी लिवर डिजीज: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
फैटी लिवर डिजीज – आहार – लेने योग्य आहार: सब्जियाँ।
, लीन मीट।
, फलियाँ।
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फैटी लिवर डिजीज: लक्षण और कारण
फैटी लिवर डिजीज – लक्षण – पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द। थकावट। वजन में गिरावट। यकृत का आकार बढ़ना। अत्यधिक पसीना।. फैटी लिवर डिजीज – कारण – अनुचित आहार। मोटापा। शराब का नियमित सेवन। कुपोषण। दवाओं और दर्द निवारकों का अत्यधिक उपयोग।.
फैटी लिवर डिजीज: प्रमुख जानकारी और निदान
फैटी लिवर डिजीज, लिवर (यकृत) की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में वसा उत्पन्न होने की स्थिति है, और यह कई लोगों में यकृत की सामान्य शिकायतों में से है।.