रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI): लक्षण और कारण

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI) – लक्षण – प्रभावित मांसपेशी या जोड़ में पीड़ा। प्रभावित क्षेत्र में पिन और सुई का एहसास। हाथ में एहसास और शक्ति की कमी। धड़कन का एहसास।. रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI) – कारण – हमारे हाथों, कलाइयों, भुजाओं, गर्दन और पीठ की माँसपेशियों का अत्यधिक प्रयोग। दोहराने वाली क्रियाएँ ठन्डे स्थान पर की जाती हैं। कार्यक्षेत्र की व्यवस्था कमजोर हो। विश्राम के पर्याप्त अवसर ना हों।.

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI): प्रमुख जानकारी और निदान

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (आरएसआई) ऐसी चोटें हैं जो शरीर के किसी हिस्से पर अत्यधिक दबाव/तनाव डालने से होती हैं, जिसके कारण सूजन (दर्द और फूलना), मांसपेशी में मोच, या ऊतकों को क्षति होती है। आरएसआई के दो प्रकार होते हैं, टाइप 1 और टाइप 2।.

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद): रोकथाम और जटिलताएं

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद) – रोकथाम – स्वास्थ्यवर्धक आहार लें। व्यायाम नियमित करें। धूम्रपान त्यागें और मदिरापान सीमित करें।.

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद) – आहार – लेने योग्य आहार: अपने प्रतिरक्षक तंत्र को सबल करने के लिए ताजे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज लें जैसे, गाजर, सेब, फलियाँ, सोया, रतालू, आलू, समुद्री सीवर आदि
, कैल्शियम से समृद्ध आहार जैसे कम वसा युक्त डेरी उत्पाद (दूध, दही, पनीर, सोया दूध), पालक, बादाम और मछली महिलाओं को हड्डियों को उचित रूप से मजबूत बनाए रखने में मदद करते हैं।
, होलग्रेन से बने ब्रेड, पास्ता और पेस्ट्रीज मैदे से बनी इन्हीं वस्तुओं के मुकाबले अधिक पोषक होते हैं।
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पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद): लक्षण और कारण

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद) – लक्षण – योनि की शुष्कता और खुजली। वजन बढ़ना। बार-बार पसीना आना। तनाव नियंत्रित ना कर पाना।. पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद) – कारण – जो महिलाऐं अधिक धूम्रपान और मदिरापान करती हैं। तनाव के स्थाई अवसर बने रहते हैं। हार्मोन सम्बन्धी उतार-चढ़ाव।.

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद): प्रमुख जानकारी और निदान

मीनोपॉज के बाद होने वाली स्थिति पोस्ट मीनोपॉज है जो आमतौर पर महिला के अंतिम मासिक चक्र के 24 से 36 माह के बीच शुरू होती है।.

पर्निशियस एनीमिया: रोकथाम और जटिलताएं

पर्निशियस एनीमिया – रोकथाम – विटामिन बी12 समृद्ध आहार लें.

पर्निशियस एनीमिया: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पर्निशियस एनीमिया – आहार – लेने योग्य आहार: विटामिन बी12 की अतिरिक्त मात्रा/शक्ति युक्त नाश्ते में लिये जाने वाले दलिए।
, अंडे और डेरी उत्पाद (दूध, दही, और पनीर)।
, विटामिन बी12 से समृद्ध आहार जैसे सोया-आधारित पेय और शाकाहारी बर्गर्स।
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पर्निशियस एनीमिया: लक्षण और कारण

पर्निशियस एनीमिया – लक्षण – थकावट, सिरदर्द, छाती में दर्द, वजन में कमी होना, साँस में कमी, चक्कर आना, त्वचा पीली पड़ना. पर्निशियस एनीमिया – कारण – पेट की परतों का कमजोर होना। स्व-प्रतिरक्षी स्थिति। कुछ ड्रग और भोज्य पदार्थ।.

पर्निशियस एनीमिया: प्रमुख जानकारी और निदान

पर्निशियस एनीमिया (हानिकारक रक्तक्षीणता) स्व-प्रतिरक्षी विकार है जिसमें विटामिन बी12 की कमी के कारण शरीर पर्याप्त लाल रक्त कणिकाएँ नहीं बना पाता है।.