पेरिमीनोपॉज: रोकथाम और जटिलताएं

पेरिमीनोपॉज रोकथाम – उचित वजन बनाए रखें। व्यायाम नियमित करें। कैल्शियम से समृद्ध आहार पर्याप्त मात्रा में लें।.

पेरिमीनोपॉज: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पेरिमीनोपॉज आहार – लेने योग्य आहार: कार्बोहायड्रेट-युक्त आहार जैसे दूध, दलिया या टोस्ट का स्लाइस
, विटामिन बी 12 युक्त आहार: माँस, पोल्ट्री उत्पाद, मछली, अंडे और डेरी उत्पाद
, अपने प्रतिरक्षक तंत्र को शक्ति देने के लिए ताजे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज लें जैसे गाजर, सेब, फलियाँ, सोया, रतालू, आलू, समुद्री सिवार आदि
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पेरिमीनोपॉज: लक्षण और कारण

पेरिमीनोपॉज लक्षण – रात में पसीना और गर्म झटके। योनि का शुष्क होना। स्तनों का ढीलापन। अनियमित मासिक चक्र। गर्भाशय में रक्तस्राव की समस्या। खाँसते अथवा छींकते समय मूत्र निकल पड़ना।. पेरिमीनोपॉज कारण – हार्मोन के कार्य.

पेरिमीनोपॉज: प्रमुख जानकारी और निदान

पेरिमीनोपॉज अर्थात “मीनोपॉज के आस-पास” और ये उस समय को बताता है जब किसी महिला का शरीर अपनी प्रजनन शक्ति को स्थायी रूप से बंद (मीनोपॉज) करने के संक्रमण से गुजर रहा होता है।.

पेप्टिक अलसर (पेट में छाले): रोकथाम और जटिलताएं

पेप्टिक अलसर (पेट में छाले) – रोकथाम – शराब और धूम्रपान ना करें। अपने हाथ उचित प्रकार धोएँ। संक्रमण ना होने दें।.

पेप्टिक अलसर (पेट में छाले): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पेप्टिक अलसर (पेट में छाले) – आहार – लेने योग्य आहार: फल और सब्जियाँ (मुख्यतः रेशा युक्त)
, लीन मीट
, पोल्ट्री उत्पाद
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पेप्टिक अलसर (पेट में छाले): लक्षण और कारण

पेप्टिक अलसर (पेट में छाले) – लक्षण – पेट में दर्द, उल्टी में खून, मल में गाढ़ा रक्त, पेट का फूलना, वजन में एकाएक गिरावट, भूख में बदलाव. पेप्टिक अलसर (पेट में छाले) – कारण – हेलिकोबेक्टर पाइलोरी, सूजन रोधी दवाएँ, अनुवांशिकता, धूम्रपान और शराब पीना, मसालेदार भोजन.

पेप्टिक अलसर (पेट में छाले): प्रमुख जानकारी और निदान

पेप्टिक अलसर पेट (गैस्ट्रिक अलसर) या आंत (डियोडेनल अलसर) की परतों में हुए घावों को कहते हैं।.

लकवा (पैरालिसिस): रोकथाम और जटिलताएं

लकवा (पैरालिसिस) – रोकथाम – बीपी और कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रित करें। गर्भावस्था में उचित देखभाल। नियमित व्यायाम। उचित आहार।.

लकवा (पैरालिसिस): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

लकवा (पैरालिसिस) – आहार – लेने योग्य आहार इनसे परहेज करें: विटामिन बी काम्प्लेक्स जैसे नायसिन और विटामिन बी12 युक्त भोज्य पदार्थ।
, वसीय अम्ल युक्त आहार जैसे केले, फलियाँ, दालें, पोषक खमीर, आलू, कद्दू के बीजों का तेल, अखरोट, संतरे, हरी सब्जियाँ, और कम वसा युक्त दूध
, कम और बार-बार खाना और आहार की कम मात्रा।
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