टाइप 1 मधुमेह: रोकथाम और जटिलताएं

टाइप 1 मधुमेह – रोकथाम – पोषक आहार के साथ नियमित व्यायाम मधुमेह के खतरे को कम करता है।.

टाइप 1 मधुमेह: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

टाइप 1 मधुमेह – आहार – लेने योग्य आहार ताजे फल और सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करें: स्टार्चयुक्त कार्बोहाइड्रेट वाले आहार जैसे कि ब्रेड, पास्ता, चपातियाँ, आलू, रतालू, नूडल्स, चावल और अनाज व दालें। सर्वोत्तम प्रकार की वसा मोनोसैचुरेटेड (जैतून, मूंगफली, और केनोला तेल; एवोकेडो; और मेवे) और ओमेगा-3 पोलीअनसेचुरेटेड (मछली, अलसी का तेल, और अखरोट) होती है। वसायुक्त मांसाहार के कम वसा वाले विकल्प के तौर पर चिकन, टर्की, लीन मीट, और मछली को चुनें।

टाइप 1 मधुमेह: प्रमुख जानकारी और निदान

टाइप 1 मधुमेह में इन्सुलिन के कम उत्पादन या उत्पादनहीनता के कारण रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है।.

टाइप 1 मधुमेह: लक्षण और कारण

टाइप 1 मधुमेह – लक्षण – अत्यंत भूखा और प्यासा अनुभव करना। बार बार मूत्रत्याग। उनींदापन या आलस, वजन का गिरना, हाथों और पैरों में झुनझुनी होना. टाइप 1 मधुमेह – कारण – स्व-प्रतिरक्षक विकार। वायरस या वातावरण के विषैले पदार्थ।.

कोरोनरी आर्टरी डिजीज: रोकथाम और जटिलताएं

कोरोनरी आर्टरी डिजीज – रोकथाम – नियमित व्यायाम द्वारा उचित वजन बनाये रखें। मदिरापान कम करें। धूम्रपान त्यागें। तनाव को नियंत्रित करें।.

कोरोनरी आर्टरी डिजीज: प्रमुख जानकारी और निदान

सीएडी कोरोनरी धमनियों में इकट्ठी वसा के जमा होने को कहा जाता है, जो धमनियों की दीवारों को क्षतिग्रस्त करता है, और ह्रदय को रक्त के प्रवाह में कमी हो जाती है।.

कोरोनरी आर्टरी डिजीज: लक्षण और कारण

कोरोनरी आर्टरी डिजीज – लक्षण – छाती में तीव्र दर्द। साँस में कमी। पेल्पीटेशंस (अनियमित हृदयगति)। कमजोरी और चक्कर आना।. कोरोनरी आर्टरी डिजीज – कारण – अनुवांशिकता, धूम्रपान। उच्च रक्त चाप और मधुमेह। मोटापा। तनाव।.

कोरोनरी आर्टरी डिजीज: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

कोरोनरी आर्टरी डिजीज – आहार – लेने योग्य आहार वनस्पति स्रोत के आहार जैसे कि साबुत अनाज, फलियाँ, मेवे, फल और सब्जियाँ ह्रदय रोग के खतरे को कम करती हैं। शरीर में जल का स्तर पर्याप्त बनाये रखने के लिए अधिक मात्रा में पानी पीयें। आहार जो ह्रदय रोग से बचाव हेतु सर्वोत्तम हैं, उनमें:: तैलीय मछलियाँ जैसे कि मकरेल, सारडाईन, ट्यूना, और सैल्मोन जिनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं। कुछ वनस्पति तेल जैसे कि मक्का, सोया, और सूरजमुखी जिनमें ओमेगा-6 फैटी एसिड्स और राई तथा जैतून का तेल जिनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं। फाइबर, साबुत अनाज और फल तथा सब्जियाँ।

एनीमिया: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

एनीमिया आहार – लेने योग्य आहार फोलेट, विटामिन B12 और आयरन से भरपूर परिष्कृत आहार हीमोग्लोबिन स्तर को तेजी से बढ़ाने के लिए आवश्यक है। फल एनीमिया के इलाज के दौरान फल जैसे कि आयरन युक्त सेब और टमाटर का सेवन करना अत्यंत उपयोगी होता है। एनीमिया के इलाज हेतु आप या तो सेब और टमाटर खा सकते हैं अथवा उनके 100% शुद्ध रस का सेवन भी कर सकते हैं। अन्य फल जो एनीमिया के इलाज में असरकारी हैं, आलूबुखारा, केले, नीबू, अंगूर, किशमिश, संतरे, अंजीर, गाजर, और किशमिश अधिक मात्रा में खाए जाने पर शहद शहद आयरन, कॉपर और मेंगनीज़ का शक्तिशाली स्रोत है। जब इन तत्वों को मिलाया जाता है, ये हीमोग्लोबिन के संश्लेषण में सहायक होते हैं। इसलिए शहद एनीमिया के लिये शक्तिशाली अस्त्र है। एनीमिया की चिकित्सा के दौरान आप शहद को सेब के टुकड़ों के साथ अथवा केले के साथ ले सकते हैं। गोश्त लाल गोश्त जैसे कि किडनी, दिल और जिगर एनीमिया के इलाज में असरकारक हैं। लाल गोश्त, जैसे कि नाम बताता है, आयरन से भरपूर होता है और एनीमिया के रोगियों के लिए डॉक्टर्स इसे सुझाते हैं। इनके साथ ही मुर्गियाँ, मछली, और घोंघे भी एनीमिया के लिए असरदार हैं. सब्जियाँ सब्जियाँ जैसे कि पालक, लेट्यूस, चुकंदर, ब्रोकोली, मेथी, अजमोदा और केल आदि, आयरन में समृद्ध ऊर्जा से भरपूर सब्जियाँ हैं जो एनीमिया के इलाज में अत्यंत असरदार हैं। ये सब्जियाँ ना केवल आयरन बल्कि विटामिन B-12 और फोलिक एसिड जैसे ऊर्जादायी पोषक तत्वों से भी भरी होती हैं, जिनकी शरीर को एनीमिया को ठीक करने के लिए आवश्यकता होती है। चुकंदर का रस आयरन से भरपूर वनस्पति रस है जिसे एनीमिया ग्रस्त रोगी थकान और आलस के विरुद्ध टॉनिक की तरह ले सकते हैं। फलियाँ और मेवे फलियाँ और मेवे जैसे कि दालें, बादाम, साबुत अनाज, सूखे खजूर, मूंगफली और अखरोट आदि एनीमिया के कारणों और लक्षणों के विरुद्ध लाभकारी हैं। इनसे परहेज करें पाश्चुरीकृत दूध, कड़क कॉफ़ी व चाय, रिफाइंड स्टार्च, खासकर मैदा, कैन में रखे, जलाए हुए, परिरक्षित, और अन्य तरह के प्रोसेस्ड आहार। .

एनीमिया: रोकथाम और जटिलताएं

एनीमिया रोकथाम – पोषक आहार लें, डाइटिंग या व्यायाम में अति न करें.