रूबेला: प्रमुख जानकारी और निदान

रूबेला, जिसे जर्मन मीसल्स या तीन-दिनी मीसल्स भी कहा जाता है, रूबेला वायरस द्वारा उत्पन्न अत्यंत शीघ्रता से फैलने वाला संक्रमण है जो अपने अलग तरह के हलके लाल या गुलाबी रंग के घावों द्वारा पहचाना जाता है।.

रूबेला: लक्षण और कारण

रूबेला लक्षण – चेहरे पर घावों के निशान होना जो शरीर और हाथ-पैरों तक फ़ैल जाते हैं और आमतौर पर तीन दिन बाद हलके पड़ जाते हैं। 110 से कम बुखार होना। सूजी हुई ग्रंथियाँ। जोड़ों में दर्द।. रूबेला कारण – रूबेला एक प्रकार के वायरस द्वारा उत्पन्न होता है।.

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त): प्रमुख जानकारी और निदान

हीमेचुरिया अर्थात मूत्र में रक्त की उपस्थिति।.

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त): लक्षण और कारण

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – लक्षण – कुछ रोगी पूरी तरह से लक्षणों से मुक्त होते हैं। इससे जुड़े कुछ लक्षण हो सकते हैं: पीठ के निचले हिस्से में दर्द (अक्सर यह गुर्दे में अवरोध बताता है जो कि पथरी या रक्त के थक्के द्वारा हो सकता है)। मूत्राशय का मंद संक्रमण: मूत्रत्याग के समय जलन, बार-बार मूत्रत्याग की इच्छा, झागयुक्त या बदबूदार मूत्र। गुर्दे में अधिक गंभीर संक्रमण: तेज बुखार, कंपकंपी और ठिठुरन, पीठ के निचले हिस्से में दर्द।. हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – कारण – मूत्राशय की गठान/मूत्राशय का संक्रमण। मूत्राशय (चित्र में दिखाए अनुसार), गुर्दे या पौरुष ग्रंथि का कैंसर। गुर्दे या मूत्राशय में पथरी की उपस्थिति। गुर्दों की सूजन (नेफ्रैटिस).

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – आहार – लेने योग्य आहार: अपने फल और सब्जियों के सेवन को बढ़ाएं। क्रैनबेरी या अनार का रस लेना हीमेचुरिया से ठीक होने में सहायता करता है। करेला, सहजन और कच्चे केले का सेवन अधिक करें ये सभी हीमेचुरिया से तेजी से ठीक होने में सहायता करते हैं।

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त): रोकथाम और जटिलताएं

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – रोकथाम – शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखें। प्रतिदिन लगभग आठ गिलास तरल पदार्थ लें (गर्मी के मौसम में और अधिक लें)। सिगरेट पीना बंद करें, यह मूत्र मार्ग के कैंसर से जुड़ी हुई होती है। रसायनों की चपेट में आने से बचें।.

बाइपोलर डिसऑर्डर: रोकथाम और जटिलताएं

बाइपोलर डिसऑर्डर – रोकथाम – जीवनशैली में उन आदतों को अपनाएँ जो बेहतर गुणवत्ता की निद्रा प्राप्त करने में मदद करें। शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय हों। कोई शौक विकसित करें। शांत रहें और विश्रान्तिदायक व्यायाम करें।.

बाइपोलर डिसऑर्डर: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

बाइपोलर डिसऑर्डर – आहार – लेने योग्य आहार इनसे परहेज करें: मछली, अखरोट, अलसी के बीज, सोया आदि में पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करता है। जामुन, रास्पबेरी, और स्ट्रॉबेरी इन सभी में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी होता है। जटिल कार्ब्स जैसे भूरा चावल, होल वीट ब्रेड, और होल ग्रेन पास्ता आपके मस्तिष्क में सेरोटोनिन के उत्पादन को बढ़ाता है, यह रसायन अच्छा अनुभव कराने वाले रसायनों में से एक है, जो चिंता को कम करता है और आपको अधिक नियंत्रित बने रहने में सहायता करता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर: प्रमुख जानकारी और निदान

बाइपोलर डिसऑर्डर, जिसे उन्माद-अवसादी रोग भी कहा जाता है, मस्तिष्क का विकार है जो मिजाज, ऊर्जा, गतिविधि का स्तर, और दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने की क्षमता में असामान्य परिवर्तन उत्पन्न करता है।.

बाइपोलर डिसऑर्डर: लक्षण और कारण

बाइपोलर डिसऑर्डर – लक्षण – बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि व्यक्ति, उन्माद या अवसाद, किस स्थिति में है। ये स्थितियां कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक चलने वाली हो सकती हैं। अत्यंत कम मामलों में, उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण, एक ही समय में तेजी से बदलते हुए होते हैं। इसे मिश्रित प्रकरण या चक्र कहा जाता है।. बाइपोलर डिसऑर्डर – कारण – अनुवांशिकता, जैव विभिन्नता, मस्तिष्क में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रसायनों, जिन्हें न्यूरोट्रांसमीटर्स कहते हैं, में असंतुलन। तनाव, अपमान, अत्यंत बड़ी हानि या आघात के अनुभव आदि भी बाइपोलर डिसऑर्डर में अपनी भूमिका निभाते हैं।.