पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (सूजन के बाद गहरी त्वचा): प्रमुख जानकारी और निदान

पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (पीआइएच) त्वचा की रंगहीनता या रंग का गहरा होना है जो किसी सूजन वाले घाव के बाद उत्पन्न होता है।.

पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (सूजन के बाद गहरी त्वचा): लक्षण और कारण

पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (सूजन के बाद गहरी त्वचा) – लक्षण – गहरे भूरे या कभी-कभी लाल-भूरे एक या अधिक रंगहीन क्षेत्र।. पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (सूजन के बाद गहरी त्वचा) – कारण – मुहांसे, त्वचा के संक्रमण, एलर्जी सम्बन्धी प्रतिक्रियाएँ, औषधियाँ, आघात, यांत्रिक चोटें.

पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (सूजन के बाद गहरी त्वचा): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (सूजन के बाद गहरी त्वचा) – आहार – लेने योग्य आहार: विटामिन बी (कीवी, संतरे, अंगूर, स्ट्रॉबेरी, हरी पत्तेदार सब्जियाँ)।
, गाजर, चुकंदर (कैरोटीन से समृद्ध)।
, प्याज लहसुन
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पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (सूजन के बाद गहरी त्वचा): रोकथाम और जटिलताएं

पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (सूजन के बाद गहरी त्वचा) – रोकथाम – रसायनों और सूर्य के प्रकाश की चपेट में ना आएँ। एलर्जी उत्पन्न करने वाली दवाएँ ना लें। परफ्यूम ना लगाएँ।.

दमा: रोकथाम और जटिलताएं

दमा रोकथाम – धूम्रपान त्यागें, वायु प्रदूषण, धूल और उत्प्रेरक धुएं से बचें, इन्हेलर्स का प्रयोग करें, घर को स्वच्छ और धूल से मुक्त रखें.

दमा: लक्षण और कारण

दमा लक्षण – खांसी, व्हीज़िंग, साँस लेने में कठिनाई, अत्यंत थकान का अनुभव, सोने में कठिनाई. दमा कारण – एलर्जन जैसेकि वृक्षों के परागकण, धूल के कण, श्वसन संक्रमण, मोटापा और शारीरिक गतिविधि.

दमा: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

दमा आहार – लेने योग्य आहार ना लेने योग्य आहार: फल और सब्जियां अधिक मात्रा में खाएं, ओमेगा-3 फेटी एसिड्स युक्त आहार लें जो कि सैलमन, ट्यूना और सारडाइन मछलियों में पाया जाता है और कुछ वनस्पति स्रोत जैसे कि अलसी जिनमें स्वास्थ्य के लिए कई लाभकारी तत्व माने जाते हैं. अस्थमा के रोगियों के लिए कहे गए सबसे लाभकारी आहारों में: एवोकेडो, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल, ब्रोकोली स्प्राउट, शकरकंद, अदरक, हल्दी, लहसुन, प्याज़, सेब, मेवे, टमाटर आदि हैं,

दमा: प्रमुख जानकारी और निदान

अस्थमा क्रोनिक (लम्बे समय तक रहने वाली) फेफड़ों की बीमारी है, जिसके कारण फेफड़ों में और फेफड़ों से हवा ले जाने वाली नलिकाओं में सूजन और सिकुडन हो जाती है..