थैलेसीमिया: लक्षण और कारण

थैलेसीमिया लक्षण – कमजोर, थकावट, साँस लेने में कमी, मुरझाये हुए दिखाई देना, धीमे विकास होना, गहरे रंग का मूत्र. थैलेसीमिया कारण – हीमोग्लोबिन निर्माण करने वाली कोशिकाओं के डीएनए में परिवर्तन होते हैं। ये माता-पिता से बच्चों में आते हैं।.

थैलेसीमिया: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

थैलेसीमिया आहार – लेने योग्य आहार इनसे परहेज करें: कैल्शियम युक्त आहार अधिक मात्रा में लें। यह हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए अत्यंत जरूरी है। डेरी उत्पाद कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं। एक अतिरिक्त लाभ यह भी है कि डेरी उत्पाद शरीर के आयरन अवशोषण की क्षमता को कम करते हैं। कैल्शियम के अवशोषण के लिए शरीर को विटामिन डी की आवश्यकता होती है। विटामिन डी अण्डों, डेरी उत्पादों और मछली में मिलता है। तरबूज, पालक, खुबानी, हरी पत्तेदार, एस्पार्गस, आलू, खजूर, किशिमिस, ब्रोकोली, फलियाँ, मटर, सूखी फलियाँ, दालें,

पर्निशियस एनीमिया: रोकथाम और जटिलताएं

पर्निशियस एनीमिया – रोकथाम – विटामिन बी12 समृद्ध आहार लें.

पर्निशियस एनीमिया: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पर्निशियस एनीमिया – आहार – लेने योग्य आहार: विटामिन बी12 की अतिरिक्त मात्रा/शक्ति युक्त नाश्ते में लिये जाने वाले दलिए।
, अंडे और डेरी उत्पाद (दूध, दही, और पनीर)।
, विटामिन बी12 से समृद्ध आहार जैसे सोया-आधारित पेय और शाकाहारी बर्गर्स।
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पर्निशियस एनीमिया: लक्षण और कारण

पर्निशियस एनीमिया – लक्षण – थकावट, सिरदर्द, छाती में दर्द, वजन में कमी होना, साँस में कमी, चक्कर आना, त्वचा पीली पड़ना. पर्निशियस एनीमिया – कारण – पेट की परतों का कमजोर होना। स्व-प्रतिरक्षी स्थिति। कुछ ड्रग और भोज्य पदार्थ।.

पर्निशियस एनीमिया: प्रमुख जानकारी और निदान

पर्निशियस एनीमिया (हानिकारक रक्तक्षीणता) स्व-प्रतिरक्षी विकार है जिसमें विटामिन बी12 की कमी के कारण शरीर पर्याप्त लाल रक्त कणिकाएँ नहीं बना पाता है।.

गोइटर – घेंघा: लक्षण और कारण

गोइटर – घेंघा – लक्षण – निगलने में या साँस लेने में कठिनाई। खाँसी होना, आवाज में भारीपन, गले में भरा भरा लगना। चक्कर आना. गोइटर – घेंघा – कारण – आयोडीन की कमी। स्व-प्रतिरक्षक रोग। गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति। अनुवांशिकता.

गोइटर – घेंघा: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

गोइटर – घेंघा – आहार – लेने योग्य आहार: जिस व्यक्ति को गोइटर पीड़ा दे रहा है उसे निम्नलिखित वस्तुएँ अधिक मात्रा में लेनी चाहिए: पुराने चावल, जौ, लहसुन, मूंग दाल, पटोला, सहजन, ककड़ी, और गन्ने का रस, दूध और दुग्ध उत्पाद।
, जई, समुद्री आहार, गाजर, टमाटर, लेट्यूस, लहसुन, साबुत चावल, प्याज, अमरुद, अंडे (जर्दी) खट्टे फल क्योंकि ये सभी आयरन से समृद्ध होते हैं।
, अन्ननास या अन्नानास का रस।
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गोइटर – घेंघा: रोकथाम और जटिलताएं

गोइटर – घेंघा – रोकथाम – आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करें.

गोइटर – घेंघा: प्रमुख जानकारी और निदान

गोइटर (घेंघा) थाइरोइड ग्रंथि का असामान्य रूप से बढ़ जाना है जिससे गले में एक गठान उत्पन्न हो जाती है।.