बाइपोलर डिसऑर्डर: प्रमुख जानकारी और निदान

बाइपोलर डिसऑर्डर, जिसे उन्माद-अवसादी रोग भी कहा जाता है, मस्तिष्क का विकार है जो मिजाज, ऊर्जा, गतिविधि का स्तर, और दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने की क्षमता में असामान्य परिवर्तन उत्पन्न करता है।.

बाइपोलर डिसऑर्डर: लक्षण और कारण

बाइपोलर डिसऑर्डर – लक्षण – बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि व्यक्ति, उन्माद या अवसाद, किस स्थिति में है। ये स्थितियां कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक चलने वाली हो सकती हैं। अत्यंत कम मामलों में, उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण, एक ही समय में तेजी से बदलते हुए होते हैं। इसे मिश्रित प्रकरण या चक्र कहा जाता है।. बाइपोलर डिसऑर्डर – कारण – अनुवांशिकता, जैव विभिन्नता, मस्तिष्क में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रसायनों, जिन्हें न्यूरोट्रांसमीटर्स कहते हैं, में असंतुलन। तनाव, अपमान, अत्यंत बड़ी हानि या आघात के अनुभव आदि भी बाइपोलर डिसऑर्डर में अपनी भूमिका निभाते हैं।.

हर्पीस ज़ोस्टर: प्रमुख जानकारी और निदान

आमतौर पर इसे शिन्गल्स के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर शिन्गल्स शरीर या चेहरे के किसी एक तरफ पतली पट्टी, एक बंध या छोटे क्षेत्र के रूप में दिखाई पड़ता है। यह आँख के पास भी हो सकता है जिसे हर्पीस ज़ोस्टर ओप्थेल्मिकस कहते हैं।.

हर्पीस ज़ोस्टर: लक्षण और कारण

हर्पीस ज़ोस्टर – लक्षण – शरीर के एक तरफ जलन, खुजली, दर्द्युक्त घाव। माथे के एक तरफ और आँखे की ऊपरी पलक पर फफोले होना। प्रभावित क्षेत्र के आसपास जलन, फड़कन या खुजली होना। आँख के पास की त्वचा का लाल होना या दाग होना।. हर्पीस ज़ोस्टर – कारण – यह चिकनपॉक्स की उत्पत्ति करने वाले वेरिसेला ज़ोस्टर वायरस द्वारा होता है।.

हर्पीस ज़ोस्टर: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

हर्पीस ज़ोस्टर – आहार – लेने योग्य आहार इनसे परहेज करें: लायसीन से समृद्ध आहार जैसे सब्जियाँ, दालें, मछली, टर्की, और चिकन लें। आहार में ब्रसल्स स्प्राउट्स, पत्तागोभी, फूलगोभी आदि लें, इनमें एक सक्रिय तत्व होता है, जिसे इन्डोल-3-कार्बिनोल कहते हैं, जो हर्पीस वायरस की प्रतिकृति बनने से रोकने में उपयोगी पाया गया है। अर्जिनिन से समृद्ध आहार ना लें, खासकर मूंगफली, चॉकलेट्स और बादाम आदि, ये हर्पीस के बार-बार और अधिक जल्दी-जल्दी होने से जुड़े पाए गए हैं।

हर्पीस ज़ोस्टर: रोकथाम और जटिलताएं

हर्पीस ज़ोस्टर – रोकथाम – शिन्गल्स को रोकने में दो टीके मददगार होते हैं चिकनपॉक्स (वेरिसेला) का टीका और शिन्गल्स (वेरिसेला-ज़ोस्टर) टीका।.

सेलुलाइटिस: प्रमुख जानकारी और निदान

सेलुलाइटिस त्वचा की सबसे गहरी परत (डर्मिस) और त्वचा के ठीक नीचे स्थित वसा और ऊतकों की भीतरी परत (सबक्यूटेनियस ऊतकों) का संक्रमण है।.

सेलुलाइटिस: लक्षण और कारण

सेलुलाइटिस लक्षण – लालिमा, सूजन, पीड़ा या नाजुकता, दर्द, गर्मी. सेलुलाइटिस कारण – सेलुलाइटिस उत्पन्न करने वाले दो सबसे सामान्य प्रकार के बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस और स्टेफायलोकोकस हैं।.

सेलुलाइटिस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

सेलुलाइटिस आहार – लेने योग्य आहार: विटामिन सी का सेवन सेलुलाइटिस ठीक होने की गति को तेज करता है। विटामिन सी एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध फलों में ग्रेपफ्रूट, संतरे, स्ट्रॉबेरीज, टमाटर, कीवी और केंटालूप आते हैं। खट्टे फल, अंगूर और जामुन में शक्तिशाली वनस्पति यौगिक, जिन्हें फ्लेवोनाइड्स कहते हैं, पाया जाता है जिसका सेलुलाइटिस के लक्षणों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सब्जियाँ जैसे हरी और लाल शिमला मिर्च, ब्रोकोली, ब्रसल्स स्प्राउट्स, पत्तागोभी, उबले आलू, रतालू और विंटर स्क्वाश (कद्दू का एक प्रकार) आदि विटामिन सी के बढ़िया स्रोत हैं।

सेलुलाइटिस: रोकथाम और जटिलताएं

सेलुलाइटिस रोकथाम – अपने कटे और छिले हिस्सों की चिकित्सा करें। अपनी त्वचा को खुरचने और संक्रमित होने वाली अनुकूलताओं को घटाएँ। अपनी त्वचा को शुष्क ना होने दें, उसे नियमित नमी प्रदान करते रहें। यदि आप अत्यधिक वजनी हैं तो वजन कम करें।.