गेस्ट्राइटिस (पेट में सूजन): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

गेस्ट्राइटिस (पेट में सूजन) – आहार – लेने योग्य आहार तीव्र और दीर्घ दोनों स्थितियों में रोगी को आहार का लंघन करना चाहिए।: लंघन के दौरान फलों का रस लिया जा सकता है।
, फलों के रस में 5 घंटों का अन्तराल होना चाहिए।
, 6 औंस पालक के रस के साथ 10 औंस गाजर का रस मिलाकर लेना चाहिए।
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गेस्ट्राइटिस (पेट में सूजन): रोकथाम और जटिलताएं

गेस्ट्राइटिस (पेट में सूजन) – रोकथाम – उत्तेजित करने वाली दवाएँ ना लें। शराब और धूम्रपान ना करें। स्वच्छ रहें.

गेस्ट्राइटिस (पेट में सूजन): प्रमुख जानकारी और निदान

गेस्ट्राइटिस पेट की परतों में सूजन, उत्तेजन या क्षय होने को कहा जाता है। यह एकाएक या धीमे-धीमे हो सकता है।.

गेस्ट्राइटिस (पेट में सूजन): लक्षण और कारण

गेस्ट्राइटिस (पेट में सूजन) – लक्षण – मतली, उल्टी, डकार आना, पेट फूलना, भूख कम लगना, अपच, शीघ्र संतृप्ति. गेस्ट्राइटिस (पेट में सूजन) – कारण – हेलिकोबेक्टर पाइलोरी द्वारा उत्पन्न संक्रमण। औषधियाँ, रोग.

येलो फीवर (पीला बुखार): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

येलो फीवर (पीला बुखार) – आहार – लेने योग्य आहार वास्तव में पीले बुखार या पीत ज्वर वाले लोगों को हो सकता है भूख ही न लगे। भूख लगने के बावजूद उन्हें खाने की इच्छा नहीं होती। इसलिए आहार बिलकुल सदा होना चाहिए पर्याप्त काबोर्हाइड्रेट के साथ। दलिया (ओट मील का एक पतला तरल भोजन या दूध या पानी में उबला हुआ अन्य भोजन) अत्यधिक जरूरी है। फल (ज़्यादातर रस) और सब्जियां (उबली हुईं) पीले बुखार वाले लोगों में निर्जलीकरण आम है, पर्याप्त तरल पदार्थ पीने से मदद मिल सकती है। इनसे परहेज करे घी, मक्खन, क्रीम और तेल जैसे सभी वसा को कम से कम दो सप्ताह नज़र अंदाज़ करें, और उस के बाद मक्खन और जैतून के तेल को आहार में शामिल किया जा सकता है लेकिन उन्हें कम से कम मात्रा में लें। एक सामान्य वसा रहित काबोर्हाइड्रेट आहार, जो की सब्जी और फलों से प्राप्त किया जा सकता है लेना चाहिए। तेल, मसालेदार और मीठा भोजन भारी भोजन जैसे मछली, मुर्गी और मांस

येलो फीवर (पीला बुखार): रोकथाम और जटिलताएं

येलो फीवर (पीला बुखार) – रोकथाम – टीकाकरण, मच्छर रोधी वस्तुओं का प्रयोग करें। अपने शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनें।.

येलो फीवर (पीला बुखार): प्रमुख जानकारी और निदान

येलो फीवर (पीत ज्वर-पीला बुखार) वायरस द्वारा उत्पन्न एक तीव्र हेमोरेजिक रोग है जो मनुष्यों में संक्रमित मच्छर के काटने से होता है।.

येलो फीवर (पीला बुखार): लक्षण और कारण

येलो फीवर (पीला बुखार) – लक्षण – बुखार, सिरदर्द, उल्टी, भूख ना लगना, नाक से खून आना. येलो फीवर (पीला बुखार) – कारण – वायरस (फ्लेविवायरस) जो एडिस एजिप्टी नामक मच्छर द्वारा फैलाया जाता है।.

व्हूपिंग कफ (कुकरखाँसी): प्रमुख जानकारी और निदान

व्हूपिंग कफ़ (कुकर खाँसी) फेफड़ों और फेफड़ों के भीतर हवा आने जाने के मार्ग का अत्यंत संक्रामक रोग है जिसमें तीव्र खाँसी के कई दौर होते हैं।.

व्हूपिंग कफ (कुकरखाँसी): लक्षण और कारण

व्हूपिंग कफ (कुकरखाँसी) – लक्षण – नाक से द्रव बहना। बलगम युक्त खाँसी। आँखों में पानी, खाँसी के बाद उल्टी, गले में खराश, श्वास लेने में कठिनाई. व्हूपिंग कफ (कुकरखाँसी) – कारण – बैक्टीरिया, यह एक संक्रामक रोग है।.