एलीफेंटियासिस (मोटे पैर): लक्षण और कारण

एलीफेंटियासिस (मोटे पैर) – लक्षण – पैरों और जननांगों पर सूजन, त्वचा पर धब्बे, बुखार, कंपकंपी. एलीफेंटियासिस (मोटे पैर) – कारण – लिम्फेटिक फाइलेरियासिस मुख्यतः निमेटोड्स (राउंडवर्म-गोल कृमि) के संक्रमण द्वारा उत्पन्न होता है, ये धागे की तरह दिखने वाले परजीवी कृमि होते हैं।.

एलीफेंटियासिस (मोटे पैर): प्रमुख जानकारी और निदान

एलीफेंटियासिस एक ऐसा रोग है जो त्वचा और भीतरी ऊतकों, खासकर पैरों और पुरुष जननांगों, के मोटे होने या फूलने से प्रदर्शित होता है।.

डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग): प्रमुख जानकारी और निदान

डिस्यूरिया मूत्रत्याग के दौरान होने वाले दर्द और असहजता हेतु प्रयुक्त किया जाने वाला चिकित्सीय शब्द है।.

डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग): लक्षण और कारण

डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग) – लक्षण – दर्द्युक्त मूत्रत्याग के लक्षण पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन दोनों को ही इसमें जलन, बदबू, या खुजली का एहसास होता है और उन्हें बार-बार मूत्रत्याग की आवश्यकता महसूस हो सकती है।. डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग) – कारण – डिस्यूरिया का सबसे आम कारण मूत्रमार्ग (मूत्रनलिका, मूत्राशय या गुर्दे) का संक्रमण है।.

डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग) – आहार – लेने योग्य आहार: शरीर से बैक्टीरिया को बाहर निकालने के लिए स्वच्छ किया हुआ पानी अधिक मात्रा में पियें। इस स्थिति में ताजे रस जैसे गाजर का रस, ताजा नारियल पानी और अन्य फलों का रस अत्यंत उपयोगी होता है। फल जैसे कि सेब, अंगूर, आडू और आलूबुखारा दिये जा सकते हैं।

डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग): रोकथाम और जटिलताएं

डिस्यूरिया (दर्द्युक्त मूत्रत्याग) – रोकथाम – अपने उत्तेजना के खतरे को घटाने के लिए कृत्रिम गंध युक्त डिटर्जेंट और शौचालय/स्नानागार में प्रयुक्त होने वाले पदार्थों को दूर कर दें। मूत्राशय को उत्तेजित करने वाले भोज्य पदार्थ और पेयों को हटाने के लिए अपने आहार को संशोधित करें।.

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त): प्रमुख जानकारी और निदान

हीमेचुरिया अर्थात मूत्र में रक्त की उपस्थिति।.

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त): लक्षण और कारण

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – लक्षण – कुछ रोगी पूरी तरह से लक्षणों से मुक्त होते हैं। इससे जुड़े कुछ लक्षण हो सकते हैं: पीठ के निचले हिस्से में दर्द (अक्सर यह गुर्दे में अवरोध बताता है जो कि पथरी या रक्त के थक्के द्वारा हो सकता है)। मूत्राशय का मंद संक्रमण: मूत्रत्याग के समय जलन, बार-बार मूत्रत्याग की इच्छा, झागयुक्त या बदबूदार मूत्र। गुर्दे में अधिक गंभीर संक्रमण: तेज बुखार, कंपकंपी और ठिठुरन, पीठ के निचले हिस्से में दर्द।. हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – कारण – मूत्राशय की गठान/मूत्राशय का संक्रमण। मूत्राशय (चित्र में दिखाए अनुसार), गुर्दे या पौरुष ग्रंथि का कैंसर। गुर्दे या मूत्राशय में पथरी की उपस्थिति। गुर्दों की सूजन (नेफ्रैटिस).

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – आहार – लेने योग्य आहार: अपने फल और सब्जियों के सेवन को बढ़ाएं। क्रैनबेरी या अनार का रस लेना हीमेचुरिया से ठीक होने में सहायता करता है। करेला, सहजन और कच्चे केले का सेवन अधिक करें ये सभी हीमेचुरिया से तेजी से ठीक होने में सहायता करते हैं।

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त): रोकथाम और जटिलताएं

हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – रोकथाम – शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखें। प्रतिदिन लगभग आठ गिलास तरल पदार्थ लें (गर्मी के मौसम में और अधिक लें)। सिगरेट पीना बंद करें, यह मूत्र मार्ग के कैंसर से जुड़ी हुई होती है। रसायनों की चपेट में आने से बचें।.