हीमोराइड्स – बवासीर, पाइल्स – आहार – लेने योग्य आहार: तरल (शराब नहीं) अधिक मात्रा में लें कम से कम 8 गिलास प्रतिदिन।
, भोज्य रेशे की उच्च मात्रा वाले आहार हीमोराइड्स के उत्पन्न होने की संभावना को घटाते हैं।
, उत्तम भोज्य रेशे के स्रोत हैं:
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Category: जीवन शैली और रहन सहन
पाइल्स – बवासीर, हीमोराइड्स: रोकथाम और जटिलताएं
हीमोराइड्स – बवासीर, पाइल्स – रोकथाम – स्वच्छ रहें, खूब पानी पियें, रेशे युक्त आहार लें। नियमित व्यायाम करें।.
पाइल्स – बवासीर, हीमोराइड्स: प्रमुख जानकारी और निदान
हीमोराइड्स सूजी और फूली हुई रक्तवाहिनियाँ हैं जो या तो बाहरी तरफ (गुदा के आस-पास) बन जाती हैं या भीतरी (मल द्वार के निचले हिस्से में) तरफ होती हैं।.
फैटी लिवर डिजीज: रोकथाम और जटिलताएं
फैटी लिवर डिजीज – रोकथाम – शराब, धूम्रपान, फ़ास्ट फ़ूड और ड्रग्स से बचें।.
फैटी लिवर डिजीज: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
फैटी लिवर डिजीज – आहार – लेने योग्य आहार: सब्जियाँ।
, लीन मीट।
, फलियाँ।
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फैटी लिवर डिजीज: लक्षण और कारण
फैटी लिवर डिजीज – लक्षण – पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द। थकावट। वजन में गिरावट। यकृत का आकार बढ़ना। अत्यधिक पसीना।. फैटी लिवर डिजीज – कारण – अनुचित आहार। मोटापा। शराब का नियमित सेवन। कुपोषण। दवाओं और दर्द निवारकों का अत्यधिक उपयोग।.
फैटी लिवर डिजीज: प्रमुख जानकारी और निदान
फैटी लिवर डिजीज, लिवर (यकृत) की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में वसा उत्पन्न होने की स्थिति है, और यह कई लोगों में यकृत की सामान्य शिकायतों में से है।.
डिसमेनोरिया (कष्टयुक्त मासिकस्राव): रोकथाम और जटिलताएं
डिसमेनोरिया (कष्टयुक्त मासिकस्राव) – रोकथाम – खूब आराम करें। व्यायाम नियमित करें। तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें।.
डिसमेनोरिया (कष्टयुक्त मासिकस्राव): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
डिसमेनोरिया (कष्टयुक्त मासिकस्राव) – आहार – लेने योग्य आहार: साबुत अनाज: भूरा चावल, साबुत अनाज की ब्रेड, जई आदि
, सब्जियाँ:ब्रोकोली, पालक, गाजर, शक्करकंद, ब्रसल स्प्राउट्स आदि।
, फलियाँ: फलियाँ, मटर, दालें।
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डिसमेनोरिया (कष्टयुक्त मासिकस्राव): लक्षण और कारण
डिसमेनोरिया (कष्टयुक्त मासिकस्राव) – लक्षण – पेट के निचले हिस्से में धडकता हुआ सा दर्द। पेट में दबाव का एहसास। कूल्हों और पीठ के निचले हिस्से में दर्द।. डिसमेनोरिया (कष्टयुक्त मासिकस्राव) – कारण – डिसमेनोरिया एक हार्मोन प्रोस्टाग्लेंडिन, जो मासिक चक्र के दौरान गर्भाशय के संकुचन हेतु जिम्मेदार होता है, की बढ़ी सक्रियता के कारण होता है।.