डिसअर्थ्रिया (बोलने, चबाने में कठिनाई): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

डिसअर्थ्रिया (बोलने, चबाने में कठिनाई) – व्यायाम – श्वास पर नियंत्रण के लिये और होंठों को सिकोड़ने के लिए बुलबुले फुलाना लाभदायक व्यायाम होता है, ये दोनों वाणी के सुधार हेतु आवश्यक होते हैं।
, स्ट्रॉ का प्रयोग केवल आपके चूसने के गुण को ही नहीं बढ़ाता, बल्कि आपके होंठों को सिकोड़ने में भी उपयोगी होता है। पतले द्रव, जैसे पानी या जूस से शुरू करें, और धीरे-धीरे कुछ गाढ़े द्रव, जैसे मिल्कशेक तक, चले जाएँ।
, अपने होंठों पर, मुँह के एक तरफ से दूसरी तरफ तक, पीनट बटर फैला लें और इसे चाटने का प्रयास करें। यह बटर को हटाने के लिए आपकी जीभ को एक बाजू से दूसरी बाजू तक पहुँचने के लिए विवश करता है।
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डिसअर्थ्रिया (बोलने, चबाने में कठिनाई): रोकथाम और जटिलताएं

डिसअर्थ्रिया (बोलने, चबाने में कठिनाई) – रोकथाम – उच्च रक्तचाप और मधुमेह पर नियंत्रण। कोलेस्ट्रॉल, संतृप्त वसा, और अपने भोजन में नमक की मात्रा को सीमित करें। धूम्रपान बंद करें, शराब का सेवन सीमित् करें।.

डिसअर्थ्रिया (बोलने, चबाने में कठिनाई): प्रमुख जानकारी और निदान

डिसअर्थ्रिया यांत्रिक वाणी विकार है जिसमें आपको बोलते समय उपयोग की जाने वाली मांसपेशियों के नियंत्रण या सामंजस्य में कठिनाई होती है या इन मांसपेशियों में कमजोरी होती है।.

डिसअर्थ्रिया (बोलने, चबाने में कठिनाई): लक्षण और कारण

डिसअर्थ्रिया (बोलने, चबाने में कठिनाई) – लक्षण – लड़खड़ाती आवाज, साँस भरना, लार गिरना या लार पर नियंत्रण कमजोर होना। चबाने, निगलने और जीभ या चेहरे की मांसपेशियों को हिलाने-डुलाने में कठिनाई।. डिसअर्थ्रिया (बोलने, चबाने में कठिनाई) – कारण – मस्तिष्क के ट्यूमर और विकार। औषधियाँ।.

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD) – आहार – लेने योग्य आहार इनसे परहेज करें: पश्च-आघात तनाव विकार के अत्यंत प्रमुख लक्षणों में से एक है कोर्टिसोल का स्तर बढ़ा हुआ होना, यह हार्मोन शरीर में तनाव सम्बंधित कई प्रकार के परिवर्तनों हेतु उत्तरदायी होता है। कोर्टिसोल के स्तर को घटाने वाले आहार लेने से स्थिति को सुधारने में सहायता होती है। रेशे की उच्च मात्रा वाले भोज्य पदार्थ। इनमें आते हैं साबुत अनाज की ब्रेड और दलिया, जई की भूसी, ओटमील, फलियाँ, खट्टे फल, स्ट्रॉबेरीज, चुकंदर और गाजर। स्वास्थ्यवर्धक आहारों जैसे हरी मिर्च, खट्टे फल, टमाटर, स्ट्रॉबेरीज, ब्रोकोली, रतालू और केंटालूप में पाया जाने वाला विटामिन सी अपने आहार में शामिल करें।

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD): रोकथाम और जटिलताएं

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD) – रोकथाम – आघात की किसी घटना के तुरंत बाद सहायक समूहों, मानसिक चिकित्सा, और कुछ औषधियों के द्वारा शीघ्र किये गए हस्तक्षेप से पीटीएसडी को रोकने में सहायता हो सकती है।.

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD): प्रमुख जानकारी और निदान

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर-पीटीएसडी) मानसिक विकार है जो किसी आघात की घटना के अनुभव की प्रतिक्रियास्वरुप उत्पन्न लक्षणों की पूरी श्रेणी को प्रदर्शित करता है, जो कि आपके सामान्य मानवीय अनुभवों के परे होते हैं।.

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD): लक्षण और कारण

पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD) – लक्षण – अनचाहे आने वाले विचार जो आघात वाली घटना की याद दिलाते हैं। बुरे सपने आना। पिछली घटनाएँ याद आना। उन अनुभूतियों और विचारों से बचने का प्रयास करना जो आपको आघात वाली घटना की याद दिलाते हैं।. पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD) – कारण – अत्यंत तनावपूर्ण, डरावनी या दुःखदायक घटना, या लम्बे समय तक रहा आघात का अनुभव पीटीएसडी तक पहुँच सकता है।.

बाइपोलर डिसऑर्डर: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

बाइपोलर डिसऑर्डर – आहार – लेने योग्य आहार इनसे परहेज करें: मछली, अखरोट, अलसी के बीज, सोया आदि में पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करता है। जामुन, रास्पबेरी, और स्ट्रॉबेरी इन सभी में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी होता है। जटिल कार्ब्स जैसे भूरा चावल, होल वीट ब्रेड, और होल ग्रेन पास्ता आपके मस्तिष्क में सेरोटोनिन के उत्पादन को बढ़ाता है, यह रसायन अच्छा अनुभव कराने वाले रसायनों में से एक है, जो चिंता को कम करता है और आपको अधिक नियंत्रित बने रहने में सहायता करता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर: रोकथाम और जटिलताएं

बाइपोलर डिसऑर्डर – रोकथाम – जीवनशैली में उन आदतों को अपनाएँ जो बेहतर गुणवत्ता की निद्रा प्राप्त करने में मदद करें। शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय हों। कोई शौक विकसित करें। शांत रहें और विश्रान्तिदायक व्यायाम करें।.