व्याकुलता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर) क्या है?
एंग्जायटी (व्याकुलता, बेचैनी) यह शब्द एक विशेष प्रकार के सामान्य मानसिक विकार के विभिन्न रूपों को समझाने के लिए प्रयुक्त होता है। इसे अत्यधिक चिंता, असहजता, और भविष्य की अनिश्चितताओं का भय, जो कि या तो वास्तविक विचारों या काल्पनिकता के कारण होता है और शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तरह के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, से समझा जा सकता है। व्याकुलता जीवन के सामान्य हिस्से की तरह होती है और यह असामान्य तब होती है जब यह आपके दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में अवरोध करती है। लगभग 20 में से 1 व्यक्ति को किसी भी समय व्याकुलता विकार होता है. ऐसी कई स्थितियाँ (विकार) हैं जहाँ व्याकुलता प्रमुख लक्षण है।रोग अवधि
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व्याकुलता विकार 6 महीने तक चल सकते हैं।
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यदि इन्हें बिना उपचार के छोड़ दिया जाये तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
जाँच और परीक्षण
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मनोवैज्ञानिक प्रश्नावली।
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शारीरिक परीक्षण।
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चिकित्सीय विवरण।
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
Q1. क्या व्याकुलता विकार दूसरे मानसिक और शारीरिक विकारों के साथ हो सकता है?यह एक सामान्य बात है कि व्याकुलता विकार के साथ अवसाद, खाने की क्षमता का विकार, पदार्थों के दुरूपयोग का विकार, या कोई अन्य व्याकुलता विकार हो सकता है। व्याकुलता विकार कई रोगों जैसे कि कैंसर अथवा ह्रदय रोग के साथ भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में, साथ के विकार का उपचार भी किया जाना चाहिए। वैसे किसी भी उपचार को आरम्भ करने के पहले लक्षणों के अन्य संभावित कारणों को निश्चित करने के लिए विस्तृत रूप से चिकित्सीय परीक्षण आवश्यक है।
Q2. क्या व्याकुलता प्राणघातक होती है?
व्याकुलता अथवा डर के आक्रमण में शारीरिक लक्षण जैसे कि श्वास का तेज गति से चलना, छाती में दर्द, और शरीर में सुई चुभने जैसा एहसास ये सभी हृदयाघात के लक्षणों के समान ही हैं, इसलिए जो लोग इसका अनुभव कर रहे हैं उनके लिए ये मानना आसान होता है कि उनकी मृत्यु होने वाली है। लेकिन ऐसा नहीं है। डर या दहशत के आक्रमण से कोई नहीं मरता। यहाँ शरीर केवल बढ़े हुए एड्रिनलीन के लिए प्रतिक्रिया दे रहा है। व्याकुलता प्राणघातक नहीं होती। यह अरुचिकर है किन्तु हानिकारक नहीं।
Q3. व्याकुलता और डर में क्या अंतर है?
डर या दहशत सामान्य विचार या अनुभूति के लिए तात्कालिक तीव्र प्रतिक्रिया है। आमतौर पर यह मृत्यु की भावना के साथ होता है, और शारीरिक लक्षणों में, तेज गति से श्वास, तीव्र ह्रदय गति, शरीर में सुई चुभने का एहसास आदि होते हैं।
व्याकुलता एक मनोवैज्ञानिक समस्या है, जो कि विचार प्रक्रियाओं और परम्पराओं द्वारा बढ़ती है, जिनके कारण व्यक्ति उन स्थितियों से, जिनके बारे में वो सोचते हैं कि इन स्थितियों से उनकी व्याकुलता बढ़ सकती है, बचने लगते हैं, और यह बचने का स्वभाव उनकी जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव डालता है।
Q4.क्या मैग्नीशियम के दुष्प्रभाव हैं?
मैग्नीशियम प्राकृतिक खनिज है, और इसी कारण लेने में सुरक्षित है। यदि आप इसकी निर्धारित मात्रा 400 मि.ग्रा. प्रतिदिन (वयस्कों हेतु) लेते रहते हैं तो आपको दुष्प्रभाव नहीं होंगे। लेकिन आपको निर्धारित मात्रा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
मैग्नीशियम की अधिक मात्रा लेने पर एक हल्का दुष्प्रभाव हो सकता है जो कि दस्त, एलर्जी के कारण हुआ चकत्ता, खुजली युक्त काला मल, मतली, प्रतिक्रिया में धीमापन, कॉफ़ी की तरह दिखने वाली उल्टी आदि है।
यद्यपि दुष्प्रभाव आम तौर पर नहीं होते, लेकिन मैग्नीशियम की मात्रा तय करते समय आपको इन्हें ध्यान रखना चाहिए।
मैग्नीशियम किसी व्यक्ति का अवसाद और व्याकुलता पूरी तरह कम नहीं कर सकता, लेकिन नियमित और उचित मात्रा में लेने पर, जो लोग इतना कष्ट झेल रहे हैं, उनकी जिंदगी में बड़ा अंतर ला सकता है।
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