बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है?
बाइपोलर डिसऑर्डर, जिसे उन्माद-अवसादी रोग भी कहा जाता है, मस्तिष्क का विकार है जो मिजाज, ऊर्जा, गतिविधि का स्तर, और दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने की क्षमता में असामान्य परिवर्तन उत्पन्न करता है। इस स्थिति से ग्रस्त व्यक्ति को अवसाद का चक्र और अत्यंत प्रसन्नता या चिड़चिड़ेपन के कई चक्र आते हैं।बाइपोलर डिसऑर्डर कई प्रकार के होते हैं:
- बाइपोलर I डिसऑर्डर
- बाइपोलर II डिसऑर्डर
- चक्रीय डिसऑर्डर
- अन्य ना समझाया गया बाइपोलर डिसऑर्डर।
- तीव्र-चक्रीय बाइपोलर डिसऑर्डर।
रोग अवधि
बाइपोलर डिसऑर्डर के लिए जीवन भर उपचार की आवश्यकता होती है। यह दीर्घकालीन स्थिति है जहाँ व्यक्ति की मनोदशा में तेजी से बदलाव होते हैं।उन्माद और अवसाद दोनों के चक्र छोटे, कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक, या लम्बे, कुछ हफ़्तों से लेकर कुछ महीनों तक, हो सकते हैं। उन्माद और अवसाद के इन चक्रों का समय अलग-अलग व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है।
जाँच और परीक्षण
डॉक्टर रोग का निर्धारण निम्न के द्वारा करता है:- शारीरिक परीक्षण।
- प्रयोगशाला जाँच (रक्त और मूत्र परीक्षण)।
- मनोचिकित्सीय जाँच।
- मनोदशा का विवरण – आपके प्रतिदिन के मिजाज का लेखा-जोखा।
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
1. बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है?बाइपोलर डिसऑर्डर को मनोदशा के अनपेक्षित उतार-चढ़ाव, जो कि उन्माद से लेकर अवसाद तक हो सकते हैं, के द्वारा पहचाना जाता है। बाइपोलर डिसऑर्डर, जिसे उन्माद-अवसादी रोग भी कहा जाता है, मस्तिष्क का विकार है जो मिजाज, ऊर्जा, गतिविधि का स्तर, और दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने की क्षमता में असामान्य परिवर्तन उत्पन्न करता है। इस स्थिति से ग्रस्त व्यक्ति को अवसाद का चक्र और अत्यंत प्रसन्नता या चिड़चिड़ेपन के कई चक्र आते हैं।
2. बाइपोलर डिसऑर्डर का निश्चित कारण क्या है?
बाइपोलर डिसऑर्डर का निश्चित कारण अज्ञात है, लेकिन बाइपोलर प्रकरणों को उत्पन्न करने और उभारने वाले कई कारक दिखाई देते हैं, जिनमें हैं:
- अनुवांशिकता
- जैव विभिन्नता
- मस्तिष्क में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रसायनों, जिन्हें न्यूरोट्रांसमीटर्स कहते हैं, में असंतुलन।
- तनाव, अपमान, अत्यंत बड़ी हानि या आघात के अनुभव आदि भी बाइपोलर डिसऑर्डर में अपनी भूमिका निभाते हैं।
विश्राम करें और पर्याप्त नींद लें और जीवनशैली में उन आदतों को अपनाएँ जो बेहतर गुणवत्ता की निद्रा प्राप्त करने में मदद करें, स्वास्थ्यवर्धक भोजन खाएँ और शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहें। नियमित दिनचर्या रखें, जैसे कि प्रतिदिन एक निश्चित समय पर भोजन लेना और हर रात्रि एक ही निश्चित समय पर सोने के लिए जाना। अपनी औषधियों को लेते रहें। अवसाद या उन्माद में परिवर्तित होने का संकेत देने वाले सूचक चिन्हों के बारे में जानें।
4. व्यक्ति को डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
डॉक्टर से सलाह लें यदि व्यक्ति को अग्रलिखित लक्षणों का अनुभव हो; बेकार होने का, निराश, या खालीपन, चिड़चिड़ापन, थका या ऊर्जा की हानि, शारीरिक और मानसिक ढीलापन, नींद की समस्याएँ, एकाग्रता और स्मृति की समस्याएँ, बेकार होने का या अपराध बोध, आत्महत्या के विचार या व्यवहार या अत्यधिक मदिरापान या नशीले ड्रग का प्रयोग आदि