डेंगू अत्यंत गंभीर रोग है और कई लोगों में बीमारी का सबसे बड़ा कारण है। डेंगू का टीका अभी विकास की प्रक्रिया में है और इसलिए मच्छरों के काटने से बचने के लिए निम्नलिखित सुरक्षा उपाय किये जाने चाहिए।
वेक्टर कण्ट्रोल (रोगवाहक नियंत्रण) का पालन वातावरण को नियंत्रित करके और रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा ठोस कचरे के निपटान, घरेलू स्थानों पर जमा या इकट्ठे पानी को हटाना और पानी को रखने के तरीके में सुधार द्वारा किया जाना चाहिए।
चूंकि डेंगू मच्छरों द्वारा उत्पन्न संक्रमणकारी रोग है, उचित वस्त्र (जैसे लम्बी पतलून और पूरी बांह की कमीज) धारण करके, मच्छरदानी का प्रयोग करके और मच्छर विरोधी द्रव/यंत्रों द्वारा मच्छरों के काटने से बचाव करना चाहिए।
मच्छरों की संख्या को कम करने के लिए उन स्थानों को हटायें जहाँ मच्छर पनप सकते हैं। इनमें पुराने टायर, डब्बे और फूलदान जिनमें बारिश का पानी इकट्ठा हो सकता है, आते हैं। पक्षियों के पीने के लिए रखे हुए और पालतू जानवरों के पानी की तश्तरियों का पानी नियमित अन्तराल पर बदलें।
मच्छरों के प्रभाव से बचने हेतु पानी को इकठ्ठा ना होने दें और सूर्योदय के बाद 2 घंटों तक और सूर्यास्त के पहले 2 घंटों तक घर के भीतर ही रहें।
विकसित मच्छरों को प्रभावी तरीके से नष्ट करने के लिए एयरोसोल और तरल स्प्रे का प्रयोग सीधे मच्छरों पर ही किया जाना चाहिए, उदाहरण के लिए घरेलू कीटनाशक।
मच्छरों के लिए मच्छर अगरबत्ती, या बिजली का मच्छर मारने वाला बल्ला/तरल पदार्थ का प्रयोग करें।
अपने शरीर को मच्छरों के काटने से बचाने के लिए कीट रोधकों (जिनमें डीईईटी, पिकेरिडीन या नीलगिरी तेल हो) का प्रयोग कपड़ों और शरीर के खुले हिस्सों पर करें विशेषकर तब जब आप डेंगू बुखार प्रभावित क्षेत्रों में जा रहे हों।
यदि कमरा वातानुकूलित नहीं है तो मच्छरदानी का प्रयोग करें।
ध्यान देने की बातें
डॉक्टर को कब दिखाएँ
यदि निम्न में से कोई लक्षण दिखाई दे तो रोगी को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए:
पेट के निचले हिस्से में तीव्र दर्द।
लगातार उल्टियाँ।
नाक अथवा मसूढ़ों से खून आना।
डामर की तरह का काला मल होना।
डेंगू शॉक सिंड्रोम तक ले जाने वाले गंभीर लक्षण हैं:
अत्यधिक प्यास।
ठंडी और पीली त्वचा (अत्यंत निम्न रक्त चाप के कारण)।