अवसाद (डिप्रेशन, उदासी): प्रमुख जानकारी और निदान

अवसाद (डिप्रेशन, उदासी) क्या है?

अवसाद (डिप्रेशन) एक चिकित्सीय रोग है जो उदासी और रुचिहीनता का स्थाई एहसास उत्पन्न करता है। इसे प्रधान अवसाद (मेजर डिप्रेशन), चिकित्सीय अवसाद (क्लिनिकल डिप्रेशन) या प्रधान अवसादीय विकार (मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर) कहते हैं। अवसाद व्यक्ति के अनुभव, व्यवहार और सोच को प्रभावित करता है. अवसाद भावनात्मक और शारीरिक समस्याओं तक जा सकता है। अवसादग्रस्त व्यक्तियों को अपनी रोजमर्रा की गतिविधियां कठिन लगती हैं और उन्हें जीना भी व्यर्थ लगने लगता है।
Depression

रोग अवधि

अवसाद से ठीक होना हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है। कुछ लोग हफ़्तों या महीनों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन दूसरों के लिए, अवसाद एक लम्बे समय की समस्या होती है।

जाँच और परीक्षण

  • शारीरिक परीक्षण।
  • प्रयोगशाला की जांचें (रक्त परीक्षण)।
  • मनोवैज्ञानिक आकलन।

डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब

Q1.क्या अवसाद जीवन के लिए खतरा होता है?
अवसाद द्वारा उत्पन्न मानसिक तनाव आत्महत्या हेतु खतरे का संकेत है। अवसाद तर्कसंगत विचारों और व्यवहार को विकृत कर देता है, और इसलिए मृत्यु ही एकमात्र विकल्प दिखाई देती है। यदि आप या आपके प्रिय लोगों में कोई अवसाद के कारण असमर्थता का अनुभव करता है, तो चर्चा का द्वार खोलना और विशेषज्ञ सहायता लेना महत्वपूर्ण है। यद्यपि ये विषय चर्चा हेतु आसान नहीं है, तो भी आत्महत्या सम्बन्धी विचारों के बारे में बात करने से डरना नहीं चाहिए।

Q2. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अवसाद अधिक पाया जाता है, क्यों?
पुरुषों में अवसाद के मुकाबले महिलाओं में अवसाद दोगुना पाया जाता है। किशोरावस्था के पूर्व, लड़कियों और लड़कों में अवसाद की दर समान है। हालाँकि, किशोरावस्था तक, लड़कों के मुकाबले लड़कियां अवसाद का अनुभव अधिक करती हैं। शोध इस असंतुलन के पीछे अनेक संभावित कारण बताते हैं। किशोर लड़कियों में अवसाद की इस तेजी से बढ़ी हुई दर के पीछे वयःसंधि के दौरान हुए जैविक और हार्मोन सम्बन्धी परिवर्तनों का योगदान माना जाता है। इसके अलावा, शोध कहते हैं कि, कठिन परिस्थितियों या घटनाओं का सामना करने के बाद लड़कों के मुकाबले लडकियाँ को लगातार बुरा एहसास होता रहता है, जिस कारण उनके अवसाद का शिकार होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।

Q3. पोस्टपार्टम डिप्रेशन (पीपीडी) क्या है?
जन्म देने के बाद महिलाऐं खासतौर पर अवसाद के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं, जब शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन और नवजात की देखभाल की नई जिम्मेदारियाँ बहुत अधिक हो जाती हैं। कई नई माताओं को मिजाज में हलके परिवर्तन का अनुभव होता है जिसे बेबी ब्लूज कहते हैं। आमतौर पर ये लक्षण 10 दिन बाद मिट जाते हैं। पीपीडी 10 दिन से बहुत अधिक समय तक रहता है, और बच्चे के जन्म के महीनों बाद तक चल सकता है। तीव्र पीपीडी बहुत ज्यादा चिंताजनक स्थिति होती है जिसमें नई माँ को सक्रिय चिकित्सा और भावनात्मक सहारे की आवश्यकता होती है।

Q4. मुझे मीनोपॉज (मासिक धर्म की समाप्ति) होने वाला है, क्या साथ में अवसाद हो सकता है?
मीनोपॉज को लगातार 12 माह तक मासिक धर्म ना होने की अवस्था में हुआ माना जाता है। मीनोपॉज वह बिंदु है जहाँ एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन्स का उत्पादन स्थाई रूप से घटकर अत्यंत निम्न स्तरों पर आ जाता है। अंड ग्रंथियाँ अंडाणुओं का उत्पादन बंद कर देती हैं और प्राकृतिक रूप से स्त्री गर्भधारण के योग्य नहीं रह जाती। मीनोपॉज के इस परिवर्तन के समय कुछ महिलाओं को अवसाद की बढ़ी हुई संभावना अनुभव होती है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के घटे हुए स्तर हमेशा अवसाद से जुड़े हुए नहीं होते हैं।



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