अतिसार, दस्त क्या है?
डायरिया (अतिसार, दस्त) मतलब आपको एक दिन में तीन से अधिक बार पतले पानी जैसे दस्त होना। आपको ऐंठन, पेट फूलना, मतली और मलत्याग की तीव्र आवश्यकता महसूस होती है। अतिसार के तीन चिकित्सीय प्रकार हैं:-
तीव्र पतला अतिसार-कई घंटों और दिनों तक चलता है। इसमें हैजा हो सकता है।
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तीव्र रक्तयुक्त अतिसार-जिसे आँव या पेचिश भी कहते हैं, और
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दीर्घ अतिसार-14 दिन या अधिक लम्बा चल सकता है।
रोग अवधि
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अतिसार के अधिकतर मामले बगैर इलाज के कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं।
- वयस्कों में साधारणतया ये दो से चार दिनों में सुधर जाता है। बच्चों में, अक्सर यह थोड़ा लम्बा, पाँच से सात दिनों तक रहता है।
जाँच और परीक्षण
उपचार की सफलता रोग के कारण का सही निर्धारण करने से होती है। जांचों में हैं:-
चिकित्सीय इतिहास।
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शारीरिक परीक्षण।
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रक्त परीक्षण।
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मल के नमूने की प्रयोगशाला जाँच।
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कोलोनोस्कोपी (गुदाद्वार से एक लम्बे और पतले यंत्र को भीतर भेजना ताकि डॉक्टर आँतों की परतों को देख सके)।
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
Q1. अतिसार खतरनाक क्यों हैं?जब किसी व्यक्ति को अतिसार होता है तो शरीर ढेर सारा पानी और नमक खो देता है जबकि इन दोनों की जीवन हेतु अत्यंत आवश्यकता होती है। यदि नमक और पानी की पूर्ति शीघ्र ना हो तो शरीर “सूख जाता” है या निर्जलीकृत हो जाता है। गंभीर निर्जलीकरण से मृत्यु हो सकती है।
यदि निर्जलीकरण का उपचार ना हो तो इसके कारण मृत्यु हो सकती है। यदि उपचार समय रहते हो जाये तो पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
मध्यम से तीव्र निर्जलीकरण के लक्षण हैं:
- निम्न रक्तचाप।
- बेहोशी छाना।
- भुजाओं, पैरों, पेट, और पीठ की माँसपेशियों में तीव्र ऐंठन।
- झटके आना।
- फूला हुआ पेट।
- ह्रदय का रुक जाना।
- पिचका या धंसा हुआ तालू- नवजात के सिर का नर्म स्थान।
- पिचकी अथवा धंसी आँखें, थोड़े से जल या बिना जल के।
- त्वचा उसकी गठीलापन खो देती है और झुर्रीदार हो जाती है।
- त्वचा में लचीलेपन की कमी (त्वचा के थोड़े से हिस्से को दबाकर छोड़ने पर उसका सामान्य स्थिति में देर से वापस होना)।
- तेज और गहरी साँसें-सामान्य से अधिक तेज।
- तेज, कमजोर नाड़ी।
- मुख द्वारा लिए जाने वाले पुनर्जलीकरण के घोल के माध्यम से अतिसार नहीं रुकता, लेकिन इससे आवश्यक तरल और नमक की हुई क्षति को पूरा करने में और निर्जलीकरण के खतरे से बचने में सहायता मिलती है।
- मुख द्वारा लिए जाने वाले पुनर्जलीकरण के घोल के सम्बन्ध में आवश्यक बिंदु:
- अधिकतर मामलों में घर पर बना घोल उपयोगी होता है। यदि अतिसार गंभीर है, अपने दवा विक्रेता से ओरल रिहायड्रेशन साल्ट का विशेष पैकेट लें। पैकेट पर दिए निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें।
- जब तक कि मूत्रत्याग सामान्य ना हो जाये, हर 5 मिनट में ओआरएस के घूँट लेते रहें (या निर्जलता से ग्रस्त रोगी को पिलाते रहें)।
- वयस्कों और बड़े बच्चों को दिन में 3 लीटर ओआरएस का घोल पीना चाहिए जब तक कि वे ठीक ना हो जायें।
- यदि आपको उल्टी हो रही है तो ओआरएस पीने का प्रयास करते रहें। आपका शरीर उल्टी के बावजूद कुछ मात्रा में तरल और नमक ग्रहण कर लेगा।
- तरल पदार्थ के घूँट धीरे-धीरे लें।
- यदि आपको अतिसार है तो ओआरएस लगातार पीते रहें। तरल पदार्थों से अतिसार नहीं बढ़ेगा।
- गंभीर निर्जलीकरण के लक्षणों वाले रोगी को आकस्मिक चिकित्सा या अन्य स्वास्थ्य सुविधा के स्थान पर जाकर सुई के माध्यम से सीधे नसों में दिए जाने वाले तरल को लगवाना चाहिए। यदि रोगी पीने लायक स्थिति में है तो उसे ओआरएस भी पीते रहना चाहिए।
- अतिसार के कारण आहार, खासकर स्तनपान नहीं रोका जाना चाहिए। चाहे अतिसार बना हुआ हो या बच्चा उल्टियाँ कर रहा हो, स्तनपान के कारण शरीर द्वारा कुछ पोषण अवशोषित कर लिया जाता है। स्तनपान विशेष लाभकारी है क्योंकि छाती का दूध पचने में आसान होता है। इसमें अतिसार करने वाले संक्रमण से बचाने के लिए रक्षक तत्व भी होते हैं।
- जो आहार सहनीय है उसे रोका नहीं जाना चाहिए, अन्यथा बच्चा कुपोषित हो सकता है। जैसे ही अतिसार का प्रकरण समाप्त होता है, बच्चे को अतिसार से हुई हानि को पूरा करने के लिए सामान्य से अधिक आहार दिया जा सकता है।
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