रोकथाम (बचाव)
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कम-कोलेस्ट्रॉल, कम संतृप्त वसा युक्त भोजन।
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शराब ना पियें
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धूम्रपान त्यागें
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उचित वजन नियंत्रित रखें (व्यायाम नियमित करें)।
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शीघ्र निर्धारण और उपचार से हृदय विकार का खतरा कम होता है।
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यदि आपके परिवार में हृदयाघात या उच्च कोलेस्ट्रॉल की पृष्ठभूमि रही है तो अपने डॉक्टर से सलाह करें।
अन्य
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार
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कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन-एलडीएल): एलडीएल, जिसे “बुरा” कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है, रक्तवाहिनियों की दीवारों में प्लाक का निर्माण करता है। रक्त में एलडीएल की जितनी अधिक मात्रा होती है, ह्रदय रोग का खतरा उतना अधिक होता है।
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अधिक घनत्व वाला लिपोप्रोटीन (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन-एचडीएल): एचडीएल, जिसे “अच्छा” कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं, शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल से छुटकारा पाने में मदद करता है। एचडीएल का जितना अधिक स्तर होता है, उतना अच्छा होता है। यदि एचडीएल का स्तर कम होता है, हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
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अत्यंत कम घनत्व वाला लिपोप्रोटीन (वैरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन-वीएलडीएल): वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल के समान ही होता है, इसमें मुख्यतः वसा ही होती है प्रोटीन की मात्रा अधिक नहीं होती।
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ट्राइग्लिसराइडड्स: ट्राइग्लिसराइडड्स भी वसा का ही एक प्रकार है, जो रक्त में अत्यंत कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन्स द्वारा लाया जाता है। शरीर की अत्यधिक कैलोरीज, शराब या शक्कर ट्राइग्लिसराइडड्स में बदल जाती है और पूरे शरीर में स्थित वसा कोशिकाओं में संचित हो जाती है।
ध्यान देने की बातें
डॉक्टर को कब दिखाएँ
अपने डॉक्टर से संपर्क करें, यदि
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छाती में दर्द या हृदयाघात के अन्य चेतावनी संकेत।
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उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर का व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास।
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