हाइपोथाइरोइडिसम क्या है?
थाइरोइड (गलग्रंथी) एक छोटी तितली के आकार की ग्रंथि है जो गर्दन के आधार में कॉलर बोन (हँसली) के ऊपर होती है। इसका कार्य शरीर के मेटाबोलिज्म (चयापचयी प्रक्रिया) को नियंत्रित करने का होता है। इसके लिए यह दो हार्मोन थायरोक्सिन (टी4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) का स्राव करती है। यदि थाइरोइड ग्रंथि पर्याप्त सक्रिय ना हो, तो इसे हाइपोथाइरोइडिसम कहते हैं। यह महिलाओं में आम होता है।
रोग अवधि
हाइपोथाइरोइडिसम की चिकित्सा हेतु थाइरोइड हार्मोन की गोलियां दी जाती हैं। अधिकतर लोग एक या दो सप्ताह में बेहतर अनुभव करने लगते हैं। लक्षण कुछ महीनों में चले जाते हैं। लेकिन गोलियां डॉक्टर की सलाह अनुसार लेते रहना चाहिए।जाँच और परीक्षण
रोग का निर्धारण गर्दन के परीक्षण और लक्षणों जैसे कमजोर नाखून, चेहरे का फूला अथवा मोटा लगना, शुष्क और पीली त्वचा, जो कि छूने पर ठंडी हो, भुजाओं और पैरों में सूजन, पतले और कमजोर बालों के आधार पर किया जाता है। थाइरोइड की क्षमता जानने हेतु करवाए जाने वाली जाँचें हैं:- टीएसएच टेस्ट
- टी4 टेस्ट
- थाइरोइड ऑटोएंटीबॉडी टेस्ट
- थाइरोइड स्केन
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
Q1. हाइपोथाइरोइडिसम क्या है?
हाइपोथाइरोइडिसम एक ऐसे चिकित्सीय स्थिति है जिसमें रक्त में थाइरोइड हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। हाइपरथाइरोइडिसम का कारण बहुआयामी है। यह स्थिति ग्रंथि के बड़े होने से जुड़ी हो भी सकती है और नहीं भी, यह कारण पर निर्भर करता है।
Q2. मुझे हाइपोथाइरोइडिसम कैसे हो सकता है?
आपको हाइपोथाइरोइडिसम हो सकता है यदि आपके आहार में आयोडीन की अत्यंत कमी हो।
आपको हाइपोथाइरोइडिसम तब भी हो सकता है जब आप अनुवांशिक रूप से इसके प्रति संवेदनशील हों या वायरल संक्रमण से आपकी थाइरोइड ग्रंथि नष्ट हो गई हो।
Q3. हाइपोथाइरोइडिसम का इलाज क्या है?
इसका इलाज केवल लीवोथायरोक्सिन की गोलियां लेना है. दवा की मात्रा टीएसएच के स्तर अनुसार तय की या बदली जाती है। आयोडीन की कमी में, आरडीए (रिकमेंडेड डेली अलाउंस) द्वारा तय की गई मात्रा को आहार में शामिल करके हाइपोथाइरोइडिसम को हल किया जा सकता है।
Q4. ठीक होने में कितना समय लगता है?
यदि एक बार आप हाइपोथाइरोइड हो गए, आपको जीवन भर दवाएं लेनी होती हैं. दवाओं की मात्रा टीएसएच के स्तर अनुसार तय की या बदली जाती है।
Q5. मैं हाइपोथाइरोइडिसम को कैसे रोक सकता हूँ?
आयोडीन की कमी से उत्पन्न हाइपोथाइरोइडिसम को रोकने के लिए आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करना चाहिए. पत्तागोभी और फूलगोभी का अत्याधिक प्रयोग ना करें जो थाइरोइड ग्रंथि के आयोडीन उपयोग में अवरोध करते हैं।
Q6. हाइपोथाइरोइडिसम की समस्याएं क्या हैं?
हाइपोथाइरोइडिसम की उचित चिकित्सा ना होने पर वजन बढ़ना, आवाज का भारीपन, आलस, कब्ज आदि हो सकता है। गंभीर स्थिति में मिक्सएडिमा (सूजन का विशेष रोग) हो सकता है। यदि गर्भवती महिला हाइपोथाइरोइड है तो यह होने वाले बच्चे की मानसिक और शारीरिक वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति को क्रेटीनिस्म कहते हैं।