परहेज और आहार
लेने योग्य आहार- माँसपेशियों और तंत्रिकाओं की कार्यक्षमता हेतु कैल्शियम आवश्यक होता है ताकि माँसपेशियाँ सुचारू रूप से संकुचित और विस्तारित हो सकें। डेरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर और दही, मछली और कैल्शियम की शक्ति से युक्त संतरे का रस और नाश्ते का दलिया, शलजम और केल आदि कैल्शियम के उत्तम स्रोत हैं।
- तंत्रिकाओं के और मांसपेशियों के उचित कार्य हेतु पोटैशियम कैल्शियम के साथ मिलकर कार्य करता है। आहार विशेषकर आलू, रतालू, पकी हरी सब्जियाँ, केले, वसारहित दूध, दही, चिकन और मछली आदि पोटैशियम से समृद्ध होते हैं।
- मैग्नीशियम आपकी माँसपेशियों को सिकुड़ने और फैलने में सहायता करता है। गहरी हरी पत्तेदार सब्जियाँ मैग्नीशियम का उत्तम स्रोत हैं। अन्य सब्जियाँ, फल, मेवे, गिरियाँ, साबुत अनाज, दालें और माँस मैग्नीशियम का बेहतर स्रोत हैं।
- अधिक मात्रा में पानी पीकर अपने शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाए रखें।
- विटामिन ई युक्त आहार जैसे गेहूँ की बाली, वनस्पति तेल, सूरजमुखी के बीज, मछली, अंडे की जर्दी, मूंगफली, हेज़लनट्स आदि
- पीड़ित माँसपेशियों की मरम्मत और ठीक होने में विटामिन सी सहायता करता है। यह एक शक्तिशाली प्रतिरक्षक तंत्र को निर्मित करने में भी सहायक है, जो माँसपेशियों की सिकुड़न से मुकाबला कर लेता है। ब्रसेल्स स्प्राउट्स, ब्रोकोली, शिमला मिर्च, ग्रेपफ्रूट, किवी फ्रूट, लीची, आदि विटामिन सी के बढ़िया स्रोत हैं।
- एसिडयुक्त आहार और पेय, जैसे सिरका और टमाटर ना लें। एसिडयुक्त आहार शरीर की कैल्शियम अवशोषण करने की योग्यता को अवरुद्ध करता है फलस्वरूप कैल्शियम की कमी उत्पन्न हो सकती है।
योग और व्यायाम
जोर वाले या परिश्रम युक्त व्यायाम के तुरंत बाद, आपके द्वारा प्रयुक्त माँसपेशियों को 10 मिनट तक शिथिल करें, खासकर जांघ, घुटने से लेकर टखने तक और कमर की माँसपेशियों को, जिनमें एकाएक सिकुड़न होने की संभावना अत्यंत अधिक होती है।आगे की और झुकने वाले (फर्श को छूने के लिए कमर से झुकें, यदि आप स्थिर नहीं हो पा रहे हों और यदि संभव हो तो किसी मेज के किनारे का सहारा लें) तथा घुटने से टखने तक की माँसपेशियों के व्यायाम (दीवार से तीन फीट दूर खड़े हों, अपने हाथ दीवार पर रखें और झुकें ताकि घुटने से टखने तक की माँसपेशियों पर खिंचाव पड़ सके)।
योग
माँसपेशियों के उपचार में सहायक योगासन हैं:
* मत्स्यासन
* अधोमुख श्वानासन
* बालासन
* भुजंगासन
घरेलू उपाय (उपचार)
- पहले 2 से 3 दिनों तक चोट के कारण उत्पन्न सिकुड़न पर बर्फ के पैक लगाएँ। बर्फ का प्रयोग हर 3 से 4 घंटे में 20 से 30 मिनट के लिए करें।
- माँसपेशियों को स्ट्रेच करने का प्रयास करें।
- लम्बे समय से बनी हुई सिकुड़न को दूर करने के लिए दिन में कई बार 20 से 30 मिनट के लिए नम गर्म भाप की सिंकाई दें।
- मालिश अत्यंत लाभकारी होती है।
- शरीर में पानी का उचित स्तर बनाए रखें।