न्यूरेल्जिया क्या है?
न्यूरेल्जिया यह शब्द दो शब्दों; “न्यूरो” अर्थात तंत्रिकाओं से सम्बंधित और “अल्जेसिया” अर्थात दर्द के प्रति संवेदनशीलता, के सम्मिलन को दर्शाता है। इस प्रकार न्यूरेल्जिया एक या अधिक तंत्रिकाओं में अनुभव होने वाले दर्द को समझाता है। क्षतिग्रस्त तंत्रिका शरीर में कहीं भी हो सकती है, लेकिन इसके सबसे आम स्थान चेहरा और गर्दन होते हैं।न्यूरेल्जिया के प्रकार
- पोस्टहर्पेटिक न्यूरेल्जिया- इस प्रकार का न्यूरेल्जिया शिन्गल्स नमक रोग की समस्या के रूप में होता है और शरीर में कहीं भी हो सकता है।
- ट्राईजेमिनल न्यूरेल्जिया- इस प्रकार का न्यूरेल्जिया ट्राईजेमिनल तंत्रिका, जो कि मस्तिष्क से चेहरे तक जाती है, से होने वाले दर्द से जुड़ा होता है।
- ग्लासोफेरिन्जिअल न्यूरेल्जिया- ग्लासोफेरिन्जिअल तंत्रिका, जो कि गले में होती है, में होने वाला दर्द, जो कि आमतौर पर कम ही होता है।
रोग अवधि
यह स्थिति अपने आप ठीक हो जाती है या समय के साथ चली जाती है।जाँच और परीक्षण
न्यूरेल्जिया हेतु कोई विशेष प्रकार की जांच नहीं है। रोग का निर्धारण दर्द के अन्य संभावित कारणों की पहचान पर निर्भर करता है। जांचों में हैं:- तंत्रिकाओं का परीक्षण – दर्द के निश्चित क्षेत्रों की पहचान के लिए।
- दन्त परीक्षण – उन घावों को जांचने के लिए जो निकट की तंत्रिकाओं को उत्तेजित कर सकते हैं।
- रक्त परीक्षण – संक्रमणों की जांच के लिए।
- एक्स-रे- यह देखने हेतु कि प्रभावित तंत्रिकाएँ कहीं दब तो नहीं रही हैं।
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
1. न्यूरेल्जिया क्या है?न्यूरेल्जिया एक या अधिक तंत्रिकाओं में अनुभव होने वाला दर्द है। न्यूरेल्जिया यह शब्द दो शब्दों; “न्यूरो” अर्थात तंत्रिकाओं से सम्बंधित और “अल्जेसिया” अर्थात दर्द के प्रति संवेदनशीलता, के सम्मिलन को दर्शाता है। यह तीखा, तीव्र और अक्सर अत्यंत गंभीर दर्द होता है जो क्षतिग्रस्त तंत्रिका के मार्ग में बना रहता है। क्षतिग्रस्त तंत्रिका शरीर में कहीं भी हो सकती है, लेकिन इसके सबसे आम स्थान चेहरा और गर्दन होते हैं।
2. न्यूरेल्जिया के कितने प्रकार होते हैं?
न्यूरेल्जिया के प्रकार
पोस्टहर्पेटिक न्यूरेल्जिया- इस प्रकार का न्यूरेल्जिया शिन्गल्स नामक रोग की समस्या के रूप में होता है और शरीर में कहीं भी हो सकता है।
ट्राईजेमिनल न्यूरेल्जिया- इस प्रकार का न्यूरेल्जिया ट्राईजेमिनल तंत्रिका, जो कि मस्तिष्क से चेहरे तक जाती है, से होने वाले दर्द से जुड़ा होता है।
ग्लासोफेरिन्जिअल न्यूरेल्जिया- ग्लासोफेरिन्जिअल तंत्रिका, जो कि गले में होती है, में होने वाला दर्द, जो कि आमतौर पर कम ही होता है।
3. इसके लक्षण कौन से होते हैं?
न्यूरेल्जिया की पहचान वाले लक्षण में है स्थान विशेष पर बना हुआ तीखा, जलनयुक्त दर्द। प्रभावित क्षेत्र स्पर्श के प्रति असह्य रूप से संवेदनशील होता है, और किसी भी प्रकार का दबाव दर्द के रूप में महसूस होता है हालाँकि, प्रभावित क्षेत्र काम करने लायक बना रहता है।
4. इस प्रकार के रोग से पीड़ित होने पर क्या करना चाहिए?
व्यक्ति को चाहिए कि अपनी गर्दन की मांसपेशियों को आराम देने के लिए गर्म सिंकाई या बर्फ का प्रयोग करे या हाथों के तौलिये को मोड़कर तकिये की जगह इसे अपनी गर्दन के नीचे रखे। नींद के दौरान अपने सिर और चेहरे को ढँका हुआ रखे। प्रभावित हिस्से की तरफ से ना सोए क्योंकि इससे सुबह के समय आपका दर्द बदतर स्थिति में मिलता है। दर्द के नियंत्रण हेतु गर्म टब/स्नान अत्यंत उत्तम होता है।
5. व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए यदि वह क्षतिग्रस्त तंत्रिका के मार्ग में बढ़ी हुई संवेदनशीलता और झुनझुनी का अनुभव करे जिसके साथ तीखा, तीव्र और जलनयुक्त दर्द जो आता है, चला जाता या बना रहता है या उस क्षेत्र या हिस्से के गति करने पर बदतर हो सकता है। यदि प्रभावित क्षेत्र में उत्तेजना, सूजन और बने हुए दर्द के साथ कमजोरी या मांसपेशियों का पूर्ण लकवाग्रस्त होने की स्थिति है तो व्यक्ति को तुरंत चिकित्सीय सलाह की आवश्यकता होती है।
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