लक्षण
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अनुभव करने, गति करने, मूत्र पर नियंत्रण और मलत्याग पर नियंत्रण की शक्ति की हानि।
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माँसपेशियों का सख्त होना, झुनझुनी और सनसनाहट, दर्द।
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दिखाई देने में अवरोध, बोलने में कठिनाई।
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कब्ज अथवा दस्त।
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मूत्राशय और जननांगों का अपना कार्य ना कर पाना।
- त्वचा पर निशान, श्रवण शक्ति की कमी।
कारण
लकवा अधिकतर तंत्रिका तंत्र को क्षति उत्पन्न होने से होता है, विशेषकर मेरुदंड को क्षति होने से।
अन्य प्रमुख कारणों में स्ट्रोक, ट्यूमर और आघात लगना (गिरने या टकराने से) हैं।
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मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एक रोग जो तंत्रिका कोशिकाओं की सुरक्षा परत को नष्ट कर देता है)।
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सेरिब्रल पाल्सी (मस्तिष्क की बनावट में विकृति या उसे लगी चोट से उत्पन्न स्थिति)।
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मेटाबोलिक विकार (इसमें शरीर की स्वयम को संतुलित रखने की क्षमता में अवरोध होता है)।
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स्पॉन्डिलाइटिस (मेरुदंड की माँसपेशियों में जकड़न)।
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रह्युमेटोइड आर्थराइटिस (वातरोग)।
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विष अथवा विषैले तत्व।
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विकिरण