पार्किन्सन्स क्या है?
पार्किन्सनिस्म तंत्रिका सम्बन्धी विकार समूह है जो कम्पन, गति के धीमेपन, अकड़न तथा शारीरिक भंगिमा के अस्थायित्व से प्रदर्शित होता है। इसे पार्किन्सन्स सिंड्रोम/अटीपिकल पार्किन्सन्स/ सेकेंडरी पार्किन्सन्स डिजीज/ शेकिंग पाल्सी भी कहा जाता है।पार्किन्सन्स डिजीज (पीडी) गति सम्बन्धी विकार है जो स्थिरता के समय कम्पन द्वारा, सख्ती या अकड़न और ब्रैडीकाईनेसिया (गति का धीमापन, धीमी गति) द्वारा प्रदर्शित होता है।
रोग अवधि
रोग के लक्षण पूरी तरह ठीक नहीं होते लेकिन उचित औषधियों और व्यायाम से उन्हें एक सीमा तक कम किया जा सकता है।जाँच और परीक्षण
सामान्यतः इसे निम्नलिखित तकनीकों से निर्धारित किया जाता है:- रोगी के चिकित्सीय इतिहास का परीक्षण।
- एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) या सीटीस्कैन।
- पीईटी (पोजीशन एमिशन टोमोग्राफी) स्कैन।
- रक्त परीक्षण
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
Q1. पार्किन्सनिस्म क्या है?पार्किन्सनिस्म तंत्रिका सम्बन्धी विकार समूह है जो कम्पन, गति के धीमेपन, अकड़न तथा शारीरिक भंगिमा के अस्थायित्व से प्रदर्शित होता है। इसे पार्किन्सन्स सिंड्रोम/अटीपिकल पार्किन्सन्स/ सेकेंडरी पार्किन्सन्स डिजीज/ शेकिंग पाल्सी भी कहा जाता है। पार्किन्सन्स डिजीज (पीडी) गति सम्बन्धी विकार है जो स्थिरता के समय कम्पन द्वारा, सख्ती या अकड़न और ब्रैडीकाईनेसिया (गति का धीमापन, धीमी गति) द्वारा प्रदर्शित होता है।
Q2.व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए?
डॉक्टर से संपर्क करें यदि आप निम्न लक्षणों का अनुभव करते हैं:
आपके चेहरे, भुजा या पैर, खासकर शरीर के एक तरफ झुनझुनी, सनसनाहट, कमजोरी या गति की हानि।
सरल बातों को समझने में एकाएक कठिनाई या असमंजस की स्थिति।
चलने या संतुलित होने में एकाएक कठिनाई।
Q3.क्या पार्किन्सन्स डिजीज प्राणघातक होती है?
जी नहीं। लोग पार्किन्सन्स डिजीज से मृत्यु को प्राप्त नहीं होते। समस्याएँ, उदाहरण के लिए निगलने की कठिनाई के साथ द्रव निकलने के कारण उत्पन्न निमोनिया जैसी स्थिति मृत्यु का कारण बन सकती है। पार्किन्सन्स किसी की मृत्यु का सीधा कारण नहीं बनता। उपलब्ध उपचारों के साथ व्यक्ति के जीवित रहने की संभावना सामान्य है और किसी भी दवा में ऐसा गंभीर दुष्प्रभाव नहीं है जो मृत्यु का कारण बने।
हालाँकि, कभी-कभी उन व्यक्तियों में जो गम्भीर रूप से असमर्थ हैं (सामान्यतया वे जिन्हें वर्षों से पार्किन्सन्स डिजीज है), उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति अन्य रोगों को जन्म दे देती है या बढ़ा देती है, और इस प्रकार मृत्यु के कारण में योगदान करती है।
Q4. क्या पार्किन्सन्स में शल्य क्रिया उपयोगी होती है?
शल्यक्रिया पार्किन्सन्स से जुड़े कम्पन, सख्ती या अकड़न और ब्रैडीकाईनेसिया (गति का धीमापन) जैसे लक्षणों में और साथ ही पार्किन्सन्स की अन्य स्थितियों और प्राथमिक डिस्टोनिया में आराम दे सकती है, लेकिन ये पूर्ण उपचार नहीं है। मस्तिष्क की शल्यक्रिया से जुड़े खतरों के कारण, इसे तब तक नहीं किया जाता जब तक कि सभी उपलब्ध औषधीय विकल्प आजमा ना लिया गए हों और वे असफल ना हो गए हों। शल्यक्रिया करने के दौरान तंत्रिका विशेषज्ञ और मस्तिष्क की शल्यक्रिया के विशेषज्ञ, दोनों का होना आवश्यक है जिन्हें पार्किन्सन्स की चिकित्सा में महारथ हो।