रह्युमेटोइड आर्थराइटिस क्या है?
रह्युमेटोइड आर्थराइटिस (संधिवात) एक स्व-प्रतिरक्षक विकार (जिसमें आपका रोग प्रतिरक्षक तंत्र, किसी विकृति के कारण, अपने ही शरीर के ऊतकों पर आक्रमण करने लगता है) है। इसमें दर्द, जकड़न, सूजन और जोड़ों की सीमित गति और कार्यक्षमता हो जाती है। अधिकतर यह हाथों और पैरों के छोटे जोड़ों को प्रभावित करता है।आमतौर पर यह 40 वर्ष की आयु के बाद शुरू होता है, किन्तु ये किसी भी उम्र में हो सकता है। ये विकार महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा अधिक आम है।
रोग अवधि
व्यक्ति का रह्युमेटोइड आर्थराइटिस तो ठीक नहीं हो सकता, लेकिन लक्षणों में आराम हो सकता है। बताई दवाएँ लेने से रोगी ऐसी स्थिति में पहुँच जाता है जहाँ सक्रिय रोग के लक्षण नहीं रहते। ऐसा इलाज के कुछ महीनों में हो सकता है।जाँच और परीक्षण
रोग का निर्धारण रोगी के चिकित्सीय इतिहास और लक्षणों के परीक्षण के आधार पर होता है। अन्य निर्धारक कारकों मेंरक्त परीक्षण जैसे कि साइक्लिक सीट्रूलीन एंटीबाडी टेस्ट(एंटी-सीसीपी), एंटीबाडी की पहचान हेतु
जोड़ों के सिरों की हड्डी का घिसाव जानने के लिए एक्स-रे
रोग की तीव्रता जानने के लिए एमआरआई और अल्ट्रासाउंड
अन्य जाँचें जैसे कि आरए फैक्टर, एरिथ्रोसाईट सेडीमेंटेशन रेट, एंटी न्यूक्लीयर एंटीबाडीज आदि भी की जा सकती हैं।
डॉक्टर द्वारा आम सवालों के जवाब
Q1.रह्युमेटोइड आर्थराइटिस क्या है?आरए जोड़ों की सूजन को कहते हैं, खासकर हाथों और पैरों की उँगलियों के छोटे जोड़ों की सूजन।
Q2.आरए कैसे होता है?
आरए जोड़ों के कार्टिलेज (उपास्थि) को एंटीबाडी द्वारा पहुँचाई गई क्षति से होता है, यह एंटीबाडीज त्रुटिवश कार्टिलेज की तरफ बढ़कर उन्हें क्षति पहुँचाती हैं।
Q3.आरए की निर्धारण की जाँचें कौन सी हैं?
रोग के निर्धारण में प्रभावित जोड़ के रक्त का आरए फैक्टर, ईएसआर और एक्स-रे सहायक होते हैं। यदि संशय बना रहता है तो अन्य विशेष जाँचें भी करवाई जा सकती हैं।
Q4.आरए का इलाज क्या है?
शक्तिशाली दर्दनिवारक, सूजन कम करने वाली दवाएँ, डीएमएआरडी और प्रतिरक्षा तंत्र को शांत और सीमित करने वाली औषधियां आरए के इलाज का मुख्य आधार हैं।
Q5.ठीक होने में कितना समय लगता है?
आरए ठीक नहीं होता। दवाएँ केवल रोग के बढ़ने की गति को धीमा करती हैं और जीवन जीने के स्तर को दर्द कम करके सुधारती हैं।
Q6.मैं रह्युमेटोइड आर्थराइटिस से कैसे बच सकता हूँ?
हम आरए से नहीं बच सकते। इसकी समय रहते पहचान आवश्यक है जिससे रोग के बढ़ने को रोका जा सके और जीवन जीने के स्तर में सुधार हो सके। यदि इसका इलाज ना हो तो जोड़ों को गम्भीर क्षति हो सकती है।
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