गर्भावधि मधुमेह
गर्भावधि मधुमेह का पता अक्सर गर्भावस्था के 24वें और 28वें हफ़्ते के बीच लगता है। गर्भावस्था के दौरान, प्लेसेंटा ऐसे होर्मोनों का निर्माण करता है, जिनके कारण आपके रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। आमतौर पर, आपका पैंक्रियास बढ़े हुए शर्करा स्तर को स्थिर करने लायक पर्याप्त इन्सुलिन बना लेता है। किन्तु यदि वह इसमें विफल रहता है, तब आपका रक्त शर्करा स्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और इसके कारण आपको गर्भावधि मधुमेह की समस्या हो सकती है। इस समस्या का पता अक्सर गर्भवस्था के अंतिम समय में लगता है। यदि आपको गर्भवस्था की शुरुवात में ही मधुमेह का पता लगता है, तब शायद आपको गर्भ धारण करने से पूर्व ही मधुमेह की समस्या रही होगी। इस समस्या को पहचानने और उसका शीघ्रतम इलाज करवाने की जरूरत है क्योंकि यह माँ और बच्चे दोनों में गंभीर स्वास्थ्य समस्यांए पैदा कर सकता है। गर्भावधि मधुमेह की पहचान मौखिक ग्लूकोस चैलेंज टेस्ट (ओजीसीटी) द्वारा की जाती है।मौखिक ग्लूकोस चैलेंज टेस्ट
मौखिक ग्लूकोस चैलेंज टेस्ट (ओजीसीटी) का उपयोग गर्भवती महिलाओं में गर्भावधि मधुमेह के लक्षणों का पता लगाने के लिए किया जाता है। मौखिक ग्लूकोज चुनौती टेस्ट में 50 ग्राम ग्लूकोज दिया जाता है, जिसके एक घंटे बाद रक्त शर्करा की रीडिंग ली जाती है। मौखिक ग्लूकोस चैलेंज टेस्ट के नतीजों को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम/डीएल) या मिलीमोल्स प्रति लीटर (मिलीमोल/एल) में प्रदर्शित किया जाता है।140 मिलीग्राम/डीएल (7.8 मिलीमोल/एल) से नीचे के रक्त शर्करा स्तर को सामान्य माना जाता है।140 मिलीग्राम/डीएल (7.8 मिलीमोल/एल) से अधिक के रक्त शर्करा स्तर को गर्भावधि मधुमेह का संकेत माना जाता है।Read in English