रेशे से समृद्ध आहार जैसे ब्राउन ब्रेड, दालें और अनाज अधिक मात्रा में लें। हमें प्रतिदिन लगभग 40 ग्राम रेशा लेने की आवश्यकता होती है। रेशा शरीर द्वारा कोलेस्ट्रॉल के हजम किये जाने को रोकता है। यह कब्ज और आंत के सिरे तथा मलाशय के कैंसर से बचाव करता है। यह दिल की नसों के रोगों के विरुद्ध सहायक है।
अपनी प्लेट के अधिक हिस्से को हरी सब्जियों, साबुत अनाजों के विभिन्न प्रकारों, फलियों और दालों से भरें जो आपको रेशे की भरपूर मात्रा देता है और दिनभर तरोताजा बनाए रखता है।
प्रतिदिन एक कप ताजी बेरियों जैसे ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, या स्ट्रॉबेरी के मिश्रण का सेवन करें क्योंकि ये एंटीऑक्सीडेंट और रेशों से समृद्ध होती हैं जो कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम रखने में मदद करते है और कुछ प्रकार के कैंसर से भी बचाव करते हैं।
ब्रोकोली अत्यंत कम कैलोरी वाली सब्जियों में से एक है; जो प्रति 100 ग्राम केवल 34 कैलोरी देती है। इसके अलावा, यह भोज्य रेशों, खनिज, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होती है जिनके स्वास्थ्य को होने वाले लाभ जाने-पहचाने हैं।
क्रेनबेरी विटामिन सी, रेशे और विटामिन ई का बढ़िया स्रोत है। यह ह्रदयवाहिनियों के रोगों को घटाता है, ट्यूमर की वृद्धि को धीमा करता है, मूत्र मार्ग के संक्रमणों को रोकता है और दाँतों से चिपककर, बैक्टीरिया को रोककर, मुख स्वास्थ्य में लाभ देता है।
ओट्स में एक प्रकार का रेशा जिसे बीटा-ग्लूकेन कहते हैं, की उच्च मात्रा होती है। बीटा-ग्लूकेन हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही यह कोरोनरी आर्टरी डिजीज के खतरे को घटाने में, आंत और मलाशय के कैंसर को कम करने में और रक्तचाप घटाने में उपयोगी होता है।
रेशे का अधिक मात्रा में सेवन रक्तचाप घटाता है। खाए जाने वाले रेशे की सुझाई गई मात्रा 20 से 35 ग्राम प्रतिदिन की है। नाश्ते में लिए जाने वाले अनाज के दलिए भोज्य रेशों का उत्तम स्रोत हैं।
अमरुद में उपस्थित विटामिन सी और रेशे की उच्च मात्रा के कारण इसका सेवन शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में अत्यंत सहायक होता है। मधुमेह रोगियों को इसका छिलका नहीं खाना चाहिए इसलिए खाने के पहले इसे छील लें। हालाँकि, एक दिन में अधिक मात्रा में अमरुद नहीं खाने चाहिए।
अलसी के बीजों में ढेर सारे रेशों और ओमेगा-3 फैटी एसिड के साथ कई औषधीय गुण होते हैं। इसके अलावा, अलसी के बीजों में दस्तावर गुण होते हैं, जो मंद से लेकर अत्यंत गंभीर प्रकार के कब्ज का उपचार करने में मदद करते हैं।
1 से 2 बड़े चम्मच भर मेथीदाना रात को सोते समय गलाएँ. अगली सुबह, पानी पी लें और भूखे पेट ही मेथीदाने खा लें। इसे रोजाना करें। अपने शुगर को कम करने वाले गुण के कारण, यह शुगर को सहन करने की शक्ति बढ़ाता है और शुगर का स्तर कम करता है। इसके अलावा, इसमें उपस्थित रेशा कार्बोहायड्रेट और शुगर के पचने को धीमा करता है।
एलो वेरा भूखे पेट की शुगर को कम करता है। इसमें फायटोस्टेरोल होते हैं और इसकी उच्च रेशा मात्रा शरीर को ग्लूकोस का प्रभावी उपयोग करने में सहायता करती है और खून से शुगर की अधिक मात्रा हटाती है। अपनी इन्सुलिन के स्राव को नियमित करने के लिए और खून से शुगर का स्तर कुदरती रूप से कम करने के लिए 2 बड़े चम्मच एलो से बना एक गिलास एलोवेरा का रस दिन में दो बार पियें
सेब घुलनशील रेशे, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। इनमें पेक्टिन भी होता है जो शरीर के विषैले तत्वों और नुकसान करने वाले व्यर्थ पदार्थों को बाहर करता है और शुगर के रोगियों की इन्सुलिन आवश्यकता को 35% तक घटाता है।
रतालू स्टार्च युक्त सब्जी है जिसमें विटामिन ए, सी, पोटैशियम और रेशे के अतिरिक्त बीटा-कैरोटीन नामक एंटीऑक्सीडेंट भी होता है। ये सभी खून की शुगर को नियंत्रित करते हैं। चाहे आप उबले या भुने जैसे भी रतालू लें, उन्हें छिलके सहित पकाएँ क्योंकि पोषक तत्वों की अधिक मात्रा छिलके के ठीक नीचे होती है।
पपीते का नियमित प्रयोग दिल की नसों के सख्त होने और शुगर के कारण होने वाली दिल की बीमारी को रोकता है। पपीता विटामिन ए, सी और ई, जो कि सभी शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हैं, का बढ़िया स्रोत है। पपीता रेशे का भी अच्छा स्रोत होता है, जो कोलेस्ट्रॉल की बढ़ी हुई मात्रा कम करने में मदद करता है।
पपीते में पाचक एंजाइम पपेन की अत्यधिक मात्रा मुश्किल प्रोटीन रेशों को तोड़ने में सहायता करती है और इस प्रकार पाचन की क्रिया को मदद देती है। इस फल में पानी की और घुलनशील रेशे की उच्च मात्रा होती है जो पाचन प्रक्रिया को सुगम बनाती है। इसके कारण आँतों की क्रिया उचित होती है और कब्ज रोकने में मदद मिलती है।
अपने उच्च पोटैशियम और खाए जा सकने वाले रेशे के कारण, मेथीदाना उच्च रक्तचाप को कम करने में प्रभावी वस्तु है।
शरीर में पानी की मात्रा उचित बनाए रखने के लिए सभी प्रकार की बेरियाँ बढ़िया हैं किन्तु 92 प्रतिशत जल के साथ स्ट्रॉबेरी सर्वोत्तम है। इनमें विटामिन सी, पोटैशियम, रेशा और फोलिक एसिड भी होता है। स्ट्रॉबेरी बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने से लेकर दिल की नसों को ठीक रखने जैसे कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ देती है।
कढ़ीपत्ते में पाए जाने वाले मुख्य पोषक तत्व रेशा, कैल्शियम, फ़ास्फ़रोस, आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर और अन्य खनिज हैं। इसमें कई प्रकार के विटामिन जैसे निकोटिनिक एसिड, विटामिन सी, ए, बी, ई, एंटीऑक्सीडेंट, वनस्पति स्टेरोल, एमिनो एसिड्स, ग्लाइकोसाइड, और फ्लावोनोइड भी होते हैं।
ब्रोकोली में कैलोरी बहुत कम होती है किन्तु रेशे, विटामिन और खनिजों की भरपूर मात्रा होती है। यह शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट से भी युक्त होती है जो विभिन्न प्रकार के कैंसर से मुकाबले में मदद करते हैं।
ओट्स में महत्त्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे विटामिन बी और ई, पोटैशियम और जिंक होते हैं जो दिमाग के विकास और कार्य करने में मदद करते हैं। ओट्स घुलनशील और अघुलनशील रेशों का भी बढ़िया स्रोत होते हैं जो बच्चों को लम्बे समय तक भरे पेट रहने में मदद करते हैं। ओट्स को दूध या दही के साथ, ऊपर से फल डालकर परोसें।
एवोकेडो में खनिजों, प्रोटीन और विटामिन सी तथा ई की प्रचुर मात्रा होती है। ये रेशे, पोटैशियम और स्वास्थ्यकर चर्बी से भी भरपूर होते हैं। ये सभी पोषक तत्व आपके मस्तिष्क की कोशिकाओं और नसों को स्वस्थ रखकर तनाव हारमोनों को नियमित करने में मदद करते हैं। रोजाना आधा या एक एवोकेडो का सेवन आपके रक्तचाप को उचित रूप से कम करता है और आपके तनाव हारमोनों के स्तर को घटाता है।
बैंगन में किसी एक तत्व की प्रचुर मात्रा नहीं होती, इसमें कई विटामिन और खनिज जैसे रेशे, फोलेट, पोटैशियम और मैंगनीज, विटामिन सी, के, और बी6, फोस्फोरस, कॉपर, थायमिन, नियासिन, मैग्नीशियम और पेंटोथेनिक एसिड की प्रचुर मात्रा होती है। एक कप कच्चे बैंगन में 20 कैलोरी होती हैं जिनमें 5 ग्राम कार्बोहायड्रेट, 1 ग्राम प्रोटीन, 3 ग्राम रेशा और 2 ग्राम शक्कर होती है।
खजूर में उपस्थित भोज्य रेशे आपकी आँतों से अपशिष्ट पदार्थों को सरलता से निकालने में मदद करते हैं और कैंसर उत्पन्न करने वाले रसायनों से युक्त पदार्थों से जुड़कर LDL (हानिकारक) कोलेस्ट्रॉल के पाचन को रोकते हैं।
एवोकेडो में छाछ के अधिकतर गुण पाए जाते हैं। एवोकेडो में पोटैशियम, विटामिन ए और ई, रेशे और फोलेट होते हैं। इसमें पालीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड भी होते हैं। यह मेटाबोलिज्म को गति देने वाला और इसके साथ ही आर्थराइटिस, थकावट और शुगर की बीमारी से आराम दिलाने के लिए बेहतर होता है।
अमरुद में बढ़िया स्वाद के साथ ही पोटैशियम की भी अच्छी मात्रा होती है। यह रेशे, विटामिन सी आदि से भरपूर होता है और इसमें विशिष्ट सुगंध के साथ ही ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है और इसे पूरा खाया जा सकता है। अमरुद की 100 ग्राम मात्रा रोजाना की 12% पोटैशियम आवश्यकता पूरी कर देती है।