आप क्या खा रहे हैं, इसका ध्यान रखें!
- मिठाइयों के लिए मना कर पाना मुश्किल होता है और दीपावली के दौरान, जब हर तरफ कई प्रकार की रंग-बिरंगी मिठाइयाँ होती हैं, यह काम और भी मुश्किल हो जाता है। इस तथ्य को याद रखें कि अनुवांशिक रूप से भारतीयों को शुगर की बीमारी होने की संभावना अधिक होती है और इसलिए शक्कर और स्टार्च के सेवन को हमेशा कम-से-कम रखने की सलाह दी जाती है। ताजा भोजन लें और अपने आहार को संतुलित रखें।
- अपने आप को सुरक्षित बनाए रखने के लिए, उत्पादों पर अंकित अन्य विवरणों के साथ, उनकी अंतिम तिथि भी जाँचें। काजू और बेसन की मिठाइयाँ सबसे सुरक्षित होती हैं और उनमें मिलावट की संभावना कम से कम होती है। अविश्वसनीय दुकानों से मिठाइयाँ और दूध से बने उत्पाद ना लें साथ ही छेने और खोए की मिठाइयों से परहेज करें। मिलावटी तेल और दूध का ध्यान रखें।
- चांदी का वर्क लगी मिठाइयाँ ना खाएँ। इन वर्कों में अक्सर एल्युमीनियम की मिलावट होती है, जो हमारे शरीर के ऊतकों में इकठ्ठा हो जाती है और आपके मस्तिष्क तक पहुँच सकती हैं।
- बार-बार पानी पीने का क्रम निश्चित करें। यह आपके शरीर में पानी के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और आपको होने वाले भूख के आभास को शांत करता है।
- घी से भरपूर पारंपरिक मिठाइयों के स्थान पर, अपने मित्रों और पारिवारिक सदस्यों को फलों की टोकरी या सूखे मेवे भेंट में दें।
- दीवाली के पहले और बाद में अपने खून में शक्कर के स्तर की जांच करवाएँ, ताकि आप इसे तुरंत नियंत्रित कर सकें।
- इसमें कोई शक नहीं कि बच्चे पटाखे चलाना पसंद करते हैं, लेकिन यह निश्चित करें कि कोई एक जिम्मेदार वयस्क उनके आस-पास हो, जो बारीकी से निगाह रख सके, बच्चों को सही निर्देश दे सके और आपात स्थिति में व्यवस्था संभाल सके। पटाखे चलाते समय पानी से भरी बाल्टी साथ रखें। पटाखे चलाने के बाद अपने हाथों और पैरों को अच्छी प्रकार से धोएँ।
- उचित प्रकार के वस्त्र पहनें। सूती कपड़े सुरक्षित होते हैं और त्योहारों पर दिखने में भी शानदार लगते हैं। यदि आप अपने बच्चे को सूती वस्त्रों के अलावा कोई अन्य प्रकार के कपड़े पहना रहे हैं, तो यह ध्यान रखें कि वे कपड़े जमीन को छूते हुए ना हों। पटाखे चलाते समय बालों को पीछे बांधें, टोपी लगाएँ, और चश्मा पहनें, इसके साथ ही ढीले कपड़े जैसे दुपट्टा, स्टॉल आदि ना पहनें। जूते पहनना जरूरी है।
- आँखों की चोटें और हाथों का जलना, अत्यंत आम बात है। उतकों को जलने से हुई हानि को कम करने और तुरंत आराम पाने के लिए ठन्डे पानी का प्रयोग करें। एंटीसेप्टिक लगाएँ और डॉक्टर से मिलें।
- अपने भवन में मौजूद आग बुझाने वाले यंत्रों को जाँच लें, और पटाखे चलाने वाली जगह पर कुछ बाल्टी पानी भरकर रखें, ताकि आग से नुकसान की किसी भी सम्भावित स्थिति का मुकाबला किया जा सके।
- दीवाली के दौरान ध्वनि (डेसिबेल) का स्तर निश्चित रूप से बढ़ता है। अपने कानों को तेज ध्वनि से होने वाले नुकसानों से बचाने के लिए कानों में इयर प्लग या रुई का प्रयोग करें। अत्यधिक तेज ध्वनि से सुनने की क्षमता की अस्थाई क्षति हो सकती है और गंभीर मामले में कान के परदे में छेद भी हो सकता है। कमजोर लोगों में ध्वनि प्रदूषण से रक्तचाप और दिल की धड़कन बढ़ा सकती है और हृदयाघात उत्पन्न हो सकता है। नींद में बाधा और स्वास्थ्य पर दुष्परिणाम के अलावा ध्वनि प्रदूषण से छोटे बच्चों, पक्षियों और पालतू जानवरों पर व्यर्थ का तनाव पड़ता है। इसलिए अधिक धमाके और तीखी आवाज वाले पटाखों से परहेज करें।
- वायु प्रदूषण वास्तव में ब्रोन्कियल अस्थमा से ग्रस्त लोगों के लिए चिंता की बात होता है। बाहर निकलने से परहेज करें और मास्क पहनें। धुआं आँख और त्वचा में खुजली या बेचैनी पैदा करता है। घर के भीतर रहना और ढंके हुए रहना बचाव का सबसे उत्तम तरीका है।
- पटाखों की कीमत वातावरण और जनता को चुकानी पड़ती है। इनसे तुरंत उत्पन्न होने वाला प्रदूषण दिखाई देने में कमी पैदा करता है, जिससे दुर्घटनाएँ बढ़ती हैं। ध्वनि और वायु प्रदूषण बच्चों, वृध्धों, पक्षियों और पालतू जानवरों को बेकार का तनाव पैदा करता है। सल्फर, सोडियम, कोबाल्ट, कॉपर, लेड आदि तत्वों के कारण मिट्टी और पानी प्रदूषित हो जाते हैं। इसके साथ ही पटाखा उद्योग में काम करने वाले बाल मजदूरों के बारे में भी सोचिये। कुल मिलाकर पटाखे ना चलाने के पीछे कई कारण हैं! विद्युत् प्रकाश, दीयों, संगीत और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताकर प्रकृति हितैषी दीवाली मनाई जा सकती है