रोग के आँकड़े
भारत में 6.5 करोड़ लोग मधुमेह से ग्रस्त हैं। अन्य 7.5 करोड़ लोग मधुमेह की पूर्वावस्था में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2030 तक मधुमेह मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक होगा। विश्व भर में जागरूकता फ़ैलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 14 नवम्बर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।90% मामले इन्सुलिन पर निर्भरता रहित (टाइप 2) होते हैं, जो कि खासकर 35 वर्ष तक की आयु के पश्चात प्रभावित करते हैं। शेष 10% इन्सुलिन पर निर्भरता वाले मामले होते हैं (टाइप 1) जो बच्चों को प्रभावित करते हैं।
वर्तमान में चीन के बाद भारत #2 है। हम जल्द ही दुनिया की मधुमेह राजधानी होंगे 🙁
ध्यान दिए जाने योग्य 9 आम लक्षण:
- बार-बार मूत्रत्याग
- अत्यधिक प्यास
- ज्यादा भूख लगना
- थकावट
- एकाग्रता की कमी
- उँगलियों और पैरों में झुनझुनी और सनसनाहट
- धुंधला दिखाई देना
- घावों का धीमे भरना
- बार-बार होने वाले संक्रमण
मधुमेह से उत्पन्न होने वाली 4 सामान्य समस्याएँ
- दिल के रोग (रक्तचाप, हृदयाघात आदि)
- न्यूरोपेथी (नसों या तंत्रिकाओं को प्रभावित करने वाली)
- नेफ्रोपेथी (गुर्दे को क्षति)
- रेटिनोपेथी (आँखों को क्षति, सही दिखाई ना देना)
खतरे के कारक
मोटापा खतरे का सबसे बड़ा कारक है और सुझाए गए अधिकतर उपाय मोटापे पर ही लक्ष्य करते हैं।- बैठे-बैठे कार्य करना – व्यायाम की कमी
- सप्ताह में 5 दिन, प्रतिदिन 45 मिनट पैदल चलने से बहुत लाभ होता है!
- सामान्य नियम के तहत, अपने दैनिक जीवन और कार्यकलापों में सक्रियता शामिल करें। थोड़ी दूरी के लिए वाहन के स्थान पर पैदल जाएँ। लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों का प्रयोग करें। मोबाइल पर बात करते समय टहलें। टीवी पर आने वाले विज्ञापनों के दौरान शरीर को स्ट्रेच करें।
- खाने-पीने की आदतें
- कार्बोहायड्रेट और चर्बी के अधिक सेवन से परहेज करें।
- बाहर खाने के मुकाबले घर का स्वास्थ्यप्रद खाना खाएँ।
- पिज़्ज़ा, बर्गर, चिप्स, शीतल-पेय, कूकीज, अधिक कड़क तले हुए और अन्य फ़ास्ट-फ़ूड से परहेज करें।
- फलों, सब्जियों, भोज्य रेशों और रिफाइंड वस्तुओं की कम मात्रा से युक्त संतुलित आहार लें। एक दिन में पाँच रंग वाला सिद्धांत पालन करें।
- बच्चों में स्वस्थ आहार लेने की आदत विकसित करें ताकि वे अपनी उम्र और ऊँचाई के अनुसार उचित वजन बनाए रख सकें।
- भोजन पकाने की आदतें
- अनसैचुरेटेड फेट्स (मोनो और पाली) युक्त तेलों जैसे सरसों, जैतून, सूरजमुखी, सेफ्लोवर और सोयाबीन का प्रयोग करें।
- हाइड्रोजनयुक्त तेल और नारियल का तेल, घी और मक्खन के उपयोग से परहेज करें। बाहर बनी हुई अधिकतर वस्तुएँ हाइड्रोजनयुक्त सस्ते तेलों या मक्खन के सस्ते विकल्पों में तैयार की जाती हैं।
मधुमेह की जल्दी पहचान और इसके लौटने की प्रक्रिया
निम्नलिखित प्रकार के व्यक्तियों की आयु के तीसरे दशक के मध्य से जाँच की जानी चाहिए और इसके पश्चात, यदि आवश्यक हो, जाँच नियमित रूप से होनी चाहिए:- जिनके परिवार में मधुमेह का इतिहास है।
- वे लोग जो बैठे-बैठे कार्य करते हैं।
- मोटापे से पीड़ित व्यक्ति।
- तनावयुक्त
- शराब का अत्यधिक सेवन करने वाले।
- उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति।
- आदतन धूम्रपान करने वाले व्यक्ति
रक्त परीक्षण
इस जांच में संपूर्ण रात्रि निराहार होने के पश्चात खाली पेट की जाने वाली जांच (फास्टिंग) और आहार लेने के 2 घंटों पश्चात (पोस्ट-प्रान्डियल शुगर – PPS) की जाने वाली जांचें आती हैं।FBS अर्थात फास्टिंग ब्लड शुगर स्तर।
PPS मतलब पोस्ट प्रान्डियल ब्लड शुगर का स्तर।
- FBS का आदर्श मान 110 मि.ग्रा./डे.ली. से कम होना चाहिए. PPS 140 मि.ग्रा./डे.ली. से कम होना चाहिए।
- पूर्व मधुमेह अवस्था (IGT- ग्लूकोस सहनशीलता की कमी) अर्थात FBS का 110-120 और PPS का 140-200 के बीच होना।
- मोटापे, आहार, सक्रियता, तनाव और शराब आदि पर कठोर नियंत्रण द्वारा (टाइप-2 मधुमेह के) लगभग 50% मामलों में IGT को लौटाया या पलटा जा सकता है।
अपने खून में शुगर के स्तर और लिपिड-प्रोफाइल के आंकड़ों को नियमित रूप से अंकित करने के लिए mTatva एप का प्रयोग करें।
मधुमेह रोगी की स्व-सुरक्षा
शुगर का स्तर अत्यधिक बढ़ने पर व्यक्ति को बेहोश कर सकता है, इसलिए रोगी व्यक्ति को अपने पारिवारिक संपर्क विवरण और अपनी ली जाने वाली दवाओं के विवरण को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए। शुगर कम हो जाने वाली स्थिति के लिए, हमेशा अपने पास चॉकलेट का छोटा टुकड़ा या इसी प्रकार की कोई अन्य सामग्री रखें।mTatva एप इन सभी बातों के लिए आपकी मदद कर सकता है।
दवा नियमित रूप से लेना
खून में शुगर के स्तर को बढ़ने से रोकने के लिए दवाओं की जरूरत होती है। भोजन और समय पर दवा लेना, ये एक साथ करने से दवाएँ खून में ग्लूकोस के स्तर को नियंत्रण से बाहर जाने को रोकती हैं। अत्यंत कम मात्रा में भोजन करना खून में शुगर के स्तर को घटा देता है (हाइपो-ग्लायसीमिया)। अधिक मात्रा में कैलोरी लेने से हाइपर-ग्लायसीमिया हो सकता है। ये दोनों ही प्रकार की अति की स्थितियाँ रोगी को कोमा में ले जा सकती हैं।- स्वयं इन्सुलिन लेना और इसके स्तर पर निगाह रखना।
- आहार और दवा लेने के नियमों का सख्ती से पालन।
- रक्तचाप की कुछ दवाएँ जैसे मूत्रवर्धक, एटेनेलोल आदि खून में रक्त की मात्रा को बढ़ा सकते हैं।
वजन पर नियंत्रण
उचित वजन बनाए रखने के लिए सभी मधुमेह रोगियों को व्यायाम करना अति आवश्यक है।- शराब ना पीना।
- व्यायाम नियमित करना।
- अपने कैलोरी सेवन का ध्यान रखना – मिठाइयों से परहेज करना।
- आहार नियंत्रण – कार्ब्स और फेट्स कम किन्तु प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में लें।
नियमित चेक-अप
ऊपर बताई गई चारों समस्याओं का लेखा-जोखा नियमित रूप से रखे जाने की जरूरत होती है।- एल्ब्यूमिन का स्तर जानने हेतु मूत्र परीक्षण।
- रक्तचाप पर निगाह।
- पैरों की सुरक्षा और उनकी स्वच्छता।
- खून में शुगर और क्रिएटिनिन का स्तर।
- ग्लूकोस नियंत्रण को जाँचने हेतु हर 6 माह में HbA1c की जाँच।
- नेत्र-रोग विशेषज्ञ द्वारा नियमित आँखों की जाँच।
- यंत्रों और पट्टियों द्वारा घर पर ही शुगर के स्तर की देखभाल।