- यदि आप बेचैनी का अनुभव करते हैं, जो आपको लगातार चिंतित बनाए रखती हैं, तो ये आपकी नींद और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सीय सहायता लें और इन्हें अपने दिमाग से बाहर निकाल दें। कार्य या व्यायाम करना, बेचैनी और तनाव को काफी हद तक घटाता है, लेकिन बिना चूके हमेशा चिकित्सीय सहायता लें।
- हाथ की झुनझुनी को 100 से अधिक बातों से जोड़ा जा सकता है, जिनमें से कुछ बिलकुल भी गंभीर समस्या नहीं होती हैं। ये ह्रदय रोग से सम्बंधित है ऐसा सोचना बिलकुल भी उचित नहीं है।
- जब भी घबराहट या बेचैनी के दौरे का आक्रमण हो, तो अधिक तेजी से साँसें ना लें। किसी वयस्क की स्वस्थ श्वसन दर एक मिनट में 8-16 साँस तक की होती है। मैं एक मिनट में लगभग 30-45 साँसें ले रहा था, और वो भी लगभग 15-20 मिनट तक ली। यदि आप हाथ पैरों या होंठों में थरथराहट का अनुभव करें, तो सामान्य श्वास बनाए रखें।
ऐसा लगा जैसे मेरा जीवन समाप्त होने वाला है- हृदयाघात या हाइपरवेंटिलेशन?
ये 13 जुलाई 2015 की सुबह लगभग 8 बजे की बात है, मैं ट्रैफिक जाम के बीचोंबीच, अस्पताल जाने की जल्दी में था, मेरा बाँया हाथ पूरी तरह जकड़ा हुआ था, होंठ और पैर थरथरा रहे थे। ऐसा लग रहा था कि यह मेरा अंत समय है, और मैं आज मरने वाला हूँ। अस्पताल पहुँचने में मुझे 15 मिनट लगे लेकिन यह मुझे अपने जीवन का सबसे लम्बा समय प्रतीत हुआ। इस घटना ने मेरे जीवन में बहुत कुछ बदल दिया।
4 माह पहले, लगभग अप्रैल 2015 के आसपास, मैंने हेल्थ-पाई एप की एंड्राइड पर कोडिंग शुरू की। बैंगलोर का ट्रैफिक बहुत ख़राब था। मुझे लगभग 3 घंटे सड़क पर बिताने होते थे और मैं बिलकुल बेकारी का अनुभव करता था। इसलिए मैंने हफ्ते में केवल एक दिन ऑफिस जाना तय किया और बाकी अधिकतर दिनों घर से काम करता था। मेरी दिनचर्या होती थी, रात्रि 9 बजे सोना और सुबह जल्द 4 बजे उठकर कार्य करना, इसे शाम 6 बजे तक जारी रखना। मैं केवल पानी पीने और शौचालय जाने के लिए विराम लेता था। पत्नी ऑफिस में और बच्चे स्कूल में होते और मैं घर पर बिलकुल अकेले काम करता। उन सारे दिनों में मैं उस कमरे तक ही सीमित रहा, जिनमें सप्ताहांत के दिन भी थे।
धीरे-धीरे मुझे नींद के दौरान बेचैनी होने लगी। मुझे गहरी नींद नहीं आती थी और एक-दो बार रात में ठन्डे पसीने आने के साथ मैं जाग भी गया। इसके कारण मेरे अवचेतन मन में यह सोच बन गई कि मेरे ह्रदय के साथ कुछ समस्या है, और खासकर सोते समय वह बढ़ जाती है। मैंने यह सोचकर कि ये सब केवल मेरे विचार हैं और कुछ भी गलत नहीं है, चिकित्सीय सलाह को नजरअंदाज कर दिया, लेकिन इससे मेरी बेचैनी और चिंता पर नियंत्रण नहीं हो पाया।
तनाव और बेचैनी को कम करने के लिए मैंने सुबह एक घंटे तक पैदल घूमना और दौड़ लगाना शुरू कर दिया। विराम लेने का यह तरीका बढ़िया था और मुझे अच्छा लगने लगा। लेकिन मैंने महसूस किया कि मुझे चिंता तो अभी भी बनी हुई थी, हाँ वह बहुत कम हो गई थी। साल 2015 के बीच का समय था, जब एक दिन पैदल घूमते समय मैंने अपने बाएँ हाथ के अंगूठे को हलका सुन्न होता महसूस किया। मैंने केवल हाथ को झटका दिया और ये ठीक लगने लगा, लेकिन मैं रुक गया और समीप ही एक बेंच पर बैठ गया। कुछ दिनों पहले, परिवार के 50 वर्षीय सदस्य को दिल का मंद दौरा पड़ा था। उनके अनुभव के अनुसार यह बाएँ हाथ में दबाव जैसा था, किन्तु कोई दर्द नहीं हुआ था। जब वे डॉक्टर से मिले तो दिल के हलके दौरे की पहचान हुई। यही विचार मेरे मन में दौड़ा और मैं मान बैठा कि यह ह्रदय से सम्बंधित है। मैं अपने अपार्टमेंट के पिछले हिस्से में स्थित एक झील के समीप था, जो कि आधा मील पैदल दूरी पर थी, लेकिन वाहन से यह दूरी 1.5 किमी की होती है। मैं अपने अपार्टमेंट तक पैदल लौटने में भी डर रहा था। मैं बेंच पर चुपचाप लेट गया और अपनी पत्नी को बुलाया, ताकि वह आकर मुझे ले जाए। मैंने उसे बताया कि मैं क्या महसूस कर रहा हूँ। मैंने उसे 2-व्हीलर लाने के लिए कहा ताकि वह जल्दी आ जाए और हम तुरंत लौट सकें।
अब अंगूठे या किसी और हिस्से में कोई झुनझुनी नहीं थी। लेकिन जिस क्षण मैंने वह झुनझुनी अनुभव की, उसी क्षण से मैंने गहरी साँसें और तेज गति से साँसें लेना शुरू कर दिया। मैं उस बेंच पर 10 मिनट तक लेटा था। मेरी पत्नी आई, जैसे ही मैं उठा, मैं चिंतित था कि क्या मैं 200 मीटर दूरी पर रखे वाहन तक पैदल जा सकूंगा? मैंने तेजी से सांसें लेना शुरू कर दिया। मेरे पैर लड़खड़ा रहे थे, मैं चल भी नहीं पा रहा था। मेरी साँस की गति बढ़ गई थी। जैसे-तैसे हम वाहन तक पहुंचे और मेरी पत्नी ने चलाना शुरू किया। मैंने उसे सीधे RxDx हॉस्पिटल जाने को कहा क्योंकि वह सबसे समीप था, और मैं वहाँ लगभग हर डॉक्टर को जानता था। जैसे ही हम ITPL रोड़ के ट्रैफिक में घिरे, मैं घबरा गया। इस समय तक मुझे होंठों में थरथराहट का अनुभव होने लगा था। मैं बहुत तेजी से साँसें ले रहा था। थरथराहट पहले उँगलियों और फिर पैरों तक पहुँच गई। मैं गहरे सदमे में था। मैं बिलकुल नहीं जानता था कि क्या हो रहा है, लेकिन मैं चिंतित था कि मेरे दिल के साथ कुछ गलत घट गया है। एकाएक मैंने अपने अपार्टमेंट की एक महिला को ITPL की तरफ कार से जाते देखा। मैं उन्हें जानता नहीं था। मैं 2-व्हीलर से उतरा और उनकी कार के भीतर बैठ गया। वो बहुत दयालु निकली और मुझे RxDx तक ले जाने के लिए तैयार हो गई। RxDx बमुश्किल 700 मीटर दूर था, लेकिन हम ट्रैफिक जैम में फँसे हुए थे। मुझे खाँसी चल रही थी और साँसों की गति तेज बनी हुई थी। शरीर में उपस्थित सभी सिरों के बिंदु थरथरा रहे थे और धीरे-धीरे मैंने अपने बाएँ हाथ में दबाव महसूस किया। मैं इसे हिला नहीं पा रहा था। मैंने नाड़ी जाँचने की कोशिश की लेकिन मैं इतना घबराया हुआ था कि अपनी नाड़ी महसूस ही नहीं कर पा रहा था। मुझे ऐसा लगा मानों मेरा हृदय पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पा रहा है। मुझे पहली बार ऐसा लगा कि आज मेरा आखरी दिन है, और 700 मीटर सबसे लम्बी दूरी है जो मैं तय कर रहा हूँ। भगवान की कृपा से गाड़ी चलाने वाली महिला बहुत हिम्मतवर थी और उन्होंने इतने ट्रैफिक का सामना करते हुए मुझे RxDx पहुँचा दिया। जिस समय मैं RxDx पहुँचा, मेरे बायाँ हाथ बिलकुल हिल-डुल नहीं पा रहा था। RxDx के सुरक्षा कर्मचारियों से लेकर मालिक तक सभी मेरे परिचित और मित्र थे। जैसे ही उन्होंने मुझे देखा, तुरंत आपातकालीन वार्ड में ले गए। डॉ. जयश्री और डॉ. बेलिअप्पा आए और मुझे देखकर मेरा त्वरित परीक्षण किया। डॉ. बेलिअप्पा RxDx के विभाग प्रमुख हैं, जो कि अत्यंत उदार ह्रदय वाले व्यक्ति और मेरे बड़े अच्छे मित्र हैं।
मेरे साथ क्या बीत रहा है ये उन्होंने सुना और त्वरित परीक्षण किया। मैं बड़ी मुश्किल से बोल पा रहा था। उन्होंने मुझे बेचैनी शांत करने वाली दवा दी, ईसीजी किया और सभी चीजें ठीक पाई। ह्रदय की माँसपेशियाँ समस्याग्रस्त तो नहीं हैं, यह देखने के लिए उन्होंने रक्त परीक्षण करवाया, जो नकारात्मक आया। उन्होंने मेरे मस्तिष्क की स्वस्थता के परीक्षण के लिए सीटी-स्कैन भी किया। 15 मिनट के भीतर मैंने सामान्य अनुभव करना आरम्भ कर दिया। डॉ. बेलिअप्पा ने बताया कि यह घबराहट का दौरा था और जो लक्षण मुझे थे वह हाइपरवेंटिलेशन के लक्षण थे। उन्होंने मुझे धीरे-धीरे साँस लेने के लिए कहा।
एमतत्व के लिए 2 साल से अधिक समय तक कार्य करने के दौरान मैंने कई चिकित्सीय स्थितियों के बारे में जाना, किन्तु हाइपरवेंटिलेशन और घबराहट के दौरे के बारे में बिलकुल पता नहीं था। अपने अभी तक के जीवन के दौरान मैंने कड़ा परिश्रम किया है, लेकिन कभी घबराया नहीं। 30 मिनट पश्चात, मैंने अपने फ़ोन पर हाइपरवेंटिलेशन के बारे में पढ़ा। मैं इसे स्वयं के साथ जोड़ पा रहा था। लेकिन मैंने अपने ह्रदय की स्थिति से जुड़ी इस चिंता को अपने दिमाग से निकालने का निर्णय किया, क्योंकि इसके बिना मैं ठीक से सो नहीं सकता था। साथ ही मेरा अंगूठा सुन्न क्यों था, ये जानने के लिए सभी संभावित जाँचें कीं। कोई बड़ी चिंता तो नहीं है, यह जानने के लिए रीढ़ की एमआरआई की। ह्रदय में अभी सब कुछ ठीक है और सब कुछ ठीक ही था, ये जानने के लिए उसकी सारी जाँचें कीं। यह घबराहट का दौरा था। ऐसा दौरा जहाँ मैंने यह महसूस किया कि यह मेरे जीवन का अंतिम दिन है। मुझे इतनी जोर लगाकर साँसें नहीं लेनी चाहिए थी।
उस दिन से मैंने शांति और आराम का अनुभव किया। मैं रात में आराम से सो पाया। बेचैनी दूर जा चुकी थी। ह्रदय के सम्बन्ध में मेरी सारी चिन्ताएं मिट गई थीं। मैंने कई बातें सीखीं थीं। जिनमें से कुछ हैं: