आज मैं हाइपरटेंशन के बारे में बात करूंगा जो भारत सहित पूरे विश्व में ह्रदय सम्बन्धी रोगों और मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से है। 25 वर्ष से अधिक आयु के 40% लोग उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं। यह जानना दिलचस्प है कि अधिकतर मामले दृढ़ता, निश्चय और धैर्य के साथ रोके जा सकते हैं। अनुवांशिकता और द्वितीयक रक्तचाप को छोड़ दें तो कोई भी व्यक्ति स्वस्थ जीवनशैली अपना सकता है और सामान्य रक्तचाप बनाए रख सकता है।
रोकथाम बचपन से ही शुरू हो जाती है!
प्रथम चरण:
प्रारंभिक रोकथाम अर्थात खतरा उत्पन्न करने वाले कारणों को पैदा होने से रोकना जैसे कि मोटापा, जो कि दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। बच्चों में खाने की अच्छी आदतें डालना होंगी जिसमें फल, सब्जियाँ, दूध, दही, मछली, चावल, चपाती शामिल हैं, और फ़ास्ट फ़ूड जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, केक, पेस्ट्री आदि से परहेज रखने की आदत भी विकसित करनी होगी। यह निश्चित करें कि बच्चा मोटापा ना बढ़ा ले और उसमें विभिन्न प्रकार के नमकयुक्त खाद्य पदार्थ जैसे नमकीन आदि ले जाने की आदत भी ना हो। 26% शहरी आबादी को उच्च रक्तचाप पैदा करने में किसी भी रूप में लिया गया अधिक सोडियम जिम्मेदार होता है। स्कूल जाने वाले बच्चों को मैदानी खेलों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भोज्य पदार्थों का दुरूपयोग रोकने के लिए अभिभावकों को अपने प्रियजनों पर बारीकी से निगाह रखनी चाहिए। बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए अभिभावकों की तरफ से अत्यधिक अनुशासन, नियमितता और प्रयत्नों की आवश्यकता होती है।
द्वितीय चरण:
प्राथमिक रोकथाम अर्थात खतरे के कारक जैसे मोटापा, खून में चर्बी की अधिक मात्रा, आरामदायक जीवन शैली आदि को रोकना। नमक की अधिक मात्रा ना लेना, तनाव कम करना, अधिक मात्रा में शराब ना पीना, धूम्रपान बंद करना, संतृप्त वसा और कार्बोहाइड्रेट्स का अधिक मात्रा में सेवन ना करना।
तृतीय चरण:
द्वितीयक रोकथाम है रोग की जल्द पहचान और उपचार; क्योंकि रक्तचाप में रोग के उभरने और उसके अंतिम उच्च बिंदु तक पहुँचने के बीच का समय बहुत लम्बा होता है। 30 वर्ष तक की आयु में जाँच द्वारा इसकी गंभीरता को कम किया जा सकता है। मधुमेह और इसके साथ वसा का उच्च स्तर एक खतरनाक मिश्रण है। चाहे शुरुआती आँकड़े ही हों, लेकिन व्यक्ति की, खून में शक्कर की अधिक मात्रा, वसा का स्तर, गुर्दों की कार्यक्षमता की जाँच, और लीवर की कार्यक्षमता की जाँच की ही जानी चाहिए।
चतुर्थ चरण:
तृतीयक रोकथाम अर्थात समस्याओं की रोकथाम। नियमित रूप से रक्तचाप की दवाएँ लेकर रक्तचाप को सामान्य बनाए रखें:
- उच्च रक्तचाप गुर्दों को प्रभावित करता है – गुर्दों की सामान्य कार्यक्षमता को परखें।
- रेटिनोपेथी की जाँच के लिए आँखों का नियमित परीक्षण करवाएँ।
- प्राणघातक समस्याओं में हृदयाघात और मस्तिष्क आघात आते हैं।
- किसी भी प्रकार के कटने या चोट से बचाव के लिए पैरों और पंजों की रोजाना देखभाल करें – क्योंकि मधुमेहग्रस्त व्यक्ति में दर्द का एहसास नहीं होता। चूँकि दोनों रोग एक साथ होते हैं और न्यूरोपेथी(नसों के रोग) मधुमेह की शुरुआती समस्याओं में से एक है।
यदि आप पहले से ही रक्तचाप पीड़ित हैं..
समस्याओं को रोकने के लिए व्यक्ति को दवा लेने, बीपी की नियमित जाँच और नियमित की जाने वाली जाँचों की समय-सारणी का पालन करना चाहिए। इसके लिए एमतत्व हेल्थपाई एप का प्रयोग निश्चित रूप से किया जा सकता है।
किसी भी व्यक्ति ने अस्वास्थ्यकर आदतें बहुत धीरे-धीरे अपनाई होती हैं, और उन्हें बदलना अत्यंत कठिन बात बन जाती है। स्वास्थ्यकर्मियों को ऐसे लोगों के लिए नियमितता रखने और लगातार अनुरोध करने की आवश्यकता होती है – और इस जगह पर भी हेल्थपाई एप अत्यंत सहायक होता है।
तनाव को व्यायाम द्वारा पराजित करें।
तनाव की अधिकता अत्यंत हानिकारक होती है इसलिए प्रतिदिन 45 मिनट व्यायाम करने के अलावा योग और ध्यान हेतु समय दिया जाना चाहिए। स्वास्थ्य हेतु अधिक समय दिए जाने के अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं है। मेरे अनुसार यह एक दिन में 80-90 मिनट तक होना चाहिए। क्या आप सोचते हैं कि यह बहुत अधिक है? जी नहीं! यदि आपको ये रोग हो गए – तो आप अस्पतालों और डॉक्टरों के चक्कर खाने में और आने-जाने में इससे अधिक समय लगा देंगे। इसके अलावा, जीवन भर लगने वाले दवाओं के खर्च को जोड़ लीजिये।
स्वस्थ रहना आपको आपके शरीर पर दवाइयों के दुष्प्रभावों और मुँह में लम्बे समय तक बने रहने वाले स्वाद से भी दूर रखता है।
स्व-प्रोत्साहित और दृढ़निश्चयी बने रहें, अपने शरीर और मन को चुस्त बनाए रखने में रूचि उत्पन्न करें! कृपया स्वस्थ जीवन शैली से सम्बंधित मेरे सभी आलेखों को पढ़ने के लिए कुछ समय निकालें। आप जितना अधिक पढ़ेंगे, उतना अधिक आपमें रूचि उत्पन्न होगी और आप अपने आप स्वस्थ जीवन शैली का पालन करेंगे।
रक्तचाप – अंकों में
आदर्श बीपी: 120/80
सामान्य उच्च: 120-140/80-90 mmHg, 60 वर्ष आयु से अधिक के लिए सामान्य।
चरण I हाइपरटेंशन: 140-159/90-99 mmHg
चरण II हाइपरटेंशन: >160/>100 mmHg
आइये अब ये देखें कि स्वस्थ जीवन शैली के पालन द्वारा आप अपने रक्तचाप को कितना घटा सकते हैं:
- अपना वजन घटाकर, बीएमआई (किग्रा में वजन को ऊँचाई के वर्ग से विभाजित करने पर मिला मान) को सामान्य 19-23 बनाए रखकर, कोई भी व्यक्ति प्रत्येक 10 किग्रा वजन की कमी पर सिस्टोलिक बीपी में 8-14 mm की कमी कर सकता है।
- DASH: हाइपरटेंशन रोकने के लिए आहार सम्बन्धी प्रयास- एक दिन में पाँच बार और एक दिन में पाँच रंग – इसी प्रकार इन्द्रधनुषी रंग के आहार, फलों और सब्जियों से भरपूर, कम वसा और संतृप्त तथा कुल वसा की कम मात्रा युक्त डेरी उत्पाद आदि ये सभी सिस्टोलिक बीपी को 2-8 mm तक कम कर सकते हैं।
- आहार में सोडियम की मात्रा: अपने आहार में नमक की 5-6 ग्राम प्रतिदिन कम करने से सिस्टोलिक बीपी 4-9 mm तक घटाया जा सकता है।
- शारीरिक गतिविधि: नियमित रूप से एरोबिक गतिविधियों और तेज गति से पैदल चलने से बीपी में 4-9 mmHg तक कमी की जा सकती है।
- शराब सेवन में परिवर्तन: 30/60 मिली से अधिक ना लेना, और लगातार ना लेने से बीपी 2-4 mmHg तक कम किया जा सकता है।
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