कई सदियों से शहद विभिन्न औषधीय लाभों के लिए उपयोग किया जाता रहा है। आयुर्वेद में शहद के कई उपयोग हैं, आज के समय में इसे आधुनिक औषधियों के साथ मिलाकर मुख्य रूप से घावों को भरने के लिए उपयोग में लिया जाता है।
एक बड़ी चम्मच भर सादे शहद में 64 कैलोरीज होती हैं, यह वसा रहित, कोलेस्ट्रॉल रहित और सोडियम रहित होता है और इसके भीतर 80% कार्बोहाइड्रेट्स, 18% जल और 2% विटामिन, खनिज और एमिनो एसिड होते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) शहद को शामक की तरह बताता है, इसका अर्थ है कि यह ऐसा पदार्थ है जो एक सुरक्षा परत का निर्माण करके आपके मुँह या गले की उत्तेजना को दूर करता है। शहद को खाँसी शमन करने की आम दवा डेक्सट्रोमेथोर्फेन जितना प्रभावी माना जाता है।
शहद से हम जो लाभ प्राप्त करते हैं वे बहुत हद तक उसकी गुणवत्ता पर निर्भर करते हैं। सारा शहद एक साथ निर्मित नहीं होता, इसलिए गुणवत्ता अलग-अलग होती है, और आखिरकार, इसके विभिन्न प्रकार आवश्यक रूप से लाभ प्रदान करते हैं। शहद की बोतल चुनते समय सावधान रहें।
लाभ
- कैंसर की रोकथाम: शहद में फ्लावोनोइड और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो कुछ प्रकार के कैंसर और ह्रदय रोगों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। शहद में पहचाने गए ढेर सारे फ्लावोनोइड्स और फिनॉल यौगिकों में क्रिसिन, पी-कौमेरिक एसिड, गेलिक एसिड, एलेगिक एसिड, फेरुलिक एसिड, सिरिन्जिक एसिड, केफिक एसिड आदि में सूजनरोधी, एंटीऑक्सीडेंट, रोगों को तेजी से बढ़ने में रोकने वाले, गांठ को दूर तक फैलने से रोकने वाले गुण होते हैं और इनमें गांठों तथा कैंसर की रोकथाम का प्रभाव होता है।
- खाँसी शामक: शहद का गाढ़ापन गले पर परत चढ़ाने में मदद करता है जबकि इसका मीठा स्वाद गले में लगातार चलने वाली खाँसी को उत्पन्न होने से रोकने वाली नसों के अंतिम हिस्से को उभारने वाला माना जाता है। इसे उपरी श्वसन तंत्र के संक्रमणों के उपचार हेतु प्रयोग में लिया जा सकता है। यह गले की उत्तेजना को रोकने में मदद करता है।
- बैक्टीरिया और फफूंदरोधी: शहद में बैक्टीरिया रोधक और फफूंद विरोधी गुण होते हैं, इसलिए अक्सर इसे पारंपरिक औषधियों में जीवाणु रोधी की तरह उपयोग में लाया जाता है।
- घावों और जले हुए हिस्से को ठीक करने में: शहद प्राकृतिक जीवाणुरोधी है जो बाहरी और भीतरी दोनों प्रकार से कार्य कर सकता है। इसके जीवाणुरोधी गुण संक्रमण रोकते हैं और सूजनरोधी की तरह कार्य करते हैं, तथा सूजन और दर्द के साथ ही जलने से हुए निशान को भी कम करते हैं। घावों, जले और कटे हुए हिस्सों की प्राथमिक चिकित्सा में प्राकृतिक उपचार की तरह शहद का उपयोग किया जाता रहा है क्योंकि यह हवा से नमी सोखने में समर्थ है और घाव भरने की प्रक्रिया को बढ़ाता है।
- ऊर्जावर्धक: शहद कार्बोहाइड्रेट्स का बढ़िया स्रोत है जो हमारे शरीर को शक्ति और उर्जा प्रदान करता है। यह प्रदर्शन को तुरंत बढ़ाने में अत्यंत प्रभावी होता है। शहद में उपस्थित प्राकृतिक शक्कर व्यायाम के दौरान थकावट को रोकती हैं। शहद में उपस्थित ग्लूकोस तुरंत हजम होता है और तेजी से ऊर्जा को बढ़ाता है, जबकि फ्रुक्टोस धीमे-धीमे हजम होता है और बने रहने वाली ऊर्जा प्रदान करता है। यह ज्ञात तथ्य है कि अन्य प्रकार की शक्कर के मुकाबले शहद खून में शक्कर का स्तर उचित रूप से स्थिर बनाए रखता है।
- पेट और आँतों के मार्ग की समस्याओं को कम करता है: शहद शिशुओं और बच्चों में बैक्टीरिया के कारण होने वाले अतिसार की अवधि को कम करता है। इलेक्ट्रोलाइट युक्त ओरल रिहायड्रेशन सलूशन में ग्लूकोस की जगह शहद को सुरक्षित रूप से प्रयोग किया जाता है। यह जीईआरडी को रोकने में मददगार होता है।
- वजन घटाने में : हालाँकि शहद में शक्कर के मुकाबले अधिक कैलोरीज होती हैं लेकिन जब शहद को कुनकुने पानी के साथ लिया जाता है, तो यह आपके शरीर में जमा चर्बी या वसा को पचाने में मदद करता है। इसी प्रकार, शहद और नीबू का रस और शहद और दालचीनी वजन घटाने में मदद करते हैं।
- त्वचा हेतु: इसके बैक्टीरियारोधी गुण त्वचा के लिए विशेष रूप से उपयोगी होते हैं और जब अन्य वस्तुओं के साथ प्रयोग किये जाते हैं तो नमी और पोषण देने वाले भी होते हैं।
- प्रतिरोधक शक्ति सुधारता है: इसके एंटीऑक्सीडेंट और बैक्टीरिया रोधी गुण पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करते हैं और स्वस्थ बने रहने और रोगों से मुकाबला करने में आपकी मदद करते हैं। यदि आप शहद के इन स्वास्थ्यवर्धक गुणों का अनुभव करना चाहते हैं, तो अपना हर दिन इस स्वच्छताकारक टॉनिक से शुरू करें: नाश्ते के पहले, एक चम्मच भर शहद में आधे नीबू का रस मिलाएँ और इसे एक कप गर्म पानी में मिलाकर पी जाएँ।
- डेंड्रफरोधी: रूसी (डेंड्रफ) को निशाना बनाकर शहद सिर की त्वचा को अस्थाई आराम दे सकता है। इसका श्रेय इसके बैक्टीरियारोधी और फफूंदरोधी गुणों को जाता है। यह सेबोरिक डर्मेटाइटिस और रूसी का उपचार भी कर सकता है, जो अक्सर फफूंद की अत्यधिक वृद्धि के कारण उत्पन्न हो जाते हैं। शहद में सूजनरोधी गुण भी होते हैं, जो सिर की त्वचा की लालिमा और खुजली को नियंत्रित करते हैं।
उपरोक्त के अलावा शहद खून में शक्कर को नियमित करने में, नींद में मदद करने में, याददाश्त को बढ़ाने में, नपुंसकता और शीघ्रपतन के उपचार में, मूत्र मार्ग के विकारों में, ब्रोन्कियल अस्थमा में और आँखों की शक्ति बढ़ाने में उपयोगी होता है।
सावधानियाँ
- किसी शिशु को (खासकर 12 माह तक के) शहद ना दें। इससे बॉटूलिस्म होता है, जो शरीर में एक विषैला तत्व पैदा करता है जिससे शरीर की माँसपेशियों की कमजोरी और साँस सम्बन्धी समस्या उत्पन्न होती है।
- शहद को नियंत्रित मात्रा में लें, क्योंकि यह शक्कर का एक प्रकार है।
- किसी पदार्थ की तरह शहद को पकाने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि एक निश्चित तापमान के बाद यह गोंदनुमा पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है जो पचने में अत्यंत कठिन होता है।
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