उपभोक्ताओं द्वारा भोज्य पदार्थों पर लगे हुए पोषण सम्बन्धी लेबल कई कारणों से पढ़े जाते हैं। कुछ लोग ब्रांड्स की तुलना करते हैं। उपभोक्ताओं द्वारा सामना की जाने वाली समस्याएँ हैं कि लेबलों पर उपयोग की गई शब्दावली समझने में कठिन होती है, और वे वास्तव में अत्यंत बारीक अक्षरों में छपी हुई होती हैं जिन्हें सामान्य आँखों से पढ़ पाना अत्यंत मुश्किल होता है। लोग पोषण सम्बन्धी जानकारियाँ टीवी विज्ञापनों से और पत्रिकाओं आदि से ले लेते हैं। हर बार की सर्विंग या खुराक में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी दिए जाने पर लेबल उपभोक्ताओं हेतु अधिक लाभकारी हो जाते हैं। पोषण सम्बन्धी विशेष आवश्यकताओं वाले उपभोक्ता, पोषण स्तर बताने वाले लेबलों का नियमित उपयोग करते हैं।
पोषण लेबल क्या होते हैं?
पोषण लेबल आहार की एक सर्विंग या खुराक से प्राप्त होने वाली कैलोरीज और पोषक तत्वों की मात्रा का निर्धारण करने में आपकी मदद करता है। पोषक तत्वों में वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, विटामिन्स और खनिज पदार्थ आते हैं। क्या आप स्वस्थ और संतुलित आहार ले रहे हैं, इसे जानने में यह जानकारी आपकी सहायता करती है।
पोषण सम्बन्धी तथ्यों वाले लेबल में कई अंक होते हैं जो जटिल गणनाओं के साथ असमंजस उत्पन्न करने वाले होते हैं, और आपको अपने स्कूल के गणित की याद दिलाते हैं। हो सकता है कई बार आपने सही दावे वाला उत्पाद खरीदा हो, लेकिन अनजाने में अवांछनीय तत्वों की अनदेखी कर गए हों। उदाहरण के लिए यदि आप कोई वसारहित उत्पाद खरीदने जा रहे हैं तो हो सकता है कि यह वसारहित तो हो, लेकिन इसमें शक्कर की अधिकता हो और यह भी स्वास्थ्यकर नहीं होता। जब आप इसे पढ़ना आरंभ करते हैं, तो यह निश्चित कर लें कि आप क्या खोज रहे हैं।
भोज्य लेबल पर अंकित विभिन्न नाम
सर्विंग आकार (खुराक)
सर्विंग आकार भोज्य पदार्थ की वह मात्रा है जो सामान्यतया एक बार में खाई जाती है। इसे आम घरेलू माप जैसे टुकड़े, कप या औंस में अंकित किया जाता है। सर्विंग साइज़ स्वस्थ भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। अधिक बड़ी सर्विंग (या हिस्सा) खाना वजन बढ़ा सकता है, क्योंकि जैसे ही आप बड़े हिस्से खाते हैं, आप अधिक कैलोरी लेने लगते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि आप डिब्बे पर दिए गए सर्विंग साइज़ की तुलना अपने द्वारा सामान्यतया खाई जाने वाली भोजन की मात्रा से करें।
कैलोरी मीटर
यदि प्रति सर्विंग कैलोरीज की कुल मात्रा 170 और वसा से मिलने वाली कैलोरी 60 हो, तो इस पदार्थ की दो सर्विंग खाने का अर्थ है कि आपने वसा से मिलने वाली 120 कैलोरी के अलावा 340 कैलोरी का सेवन किया है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य कैलोरी खपत 2,400 कैलोरीज और शहरी क्षेत्रों में 2,200 कैलोरीज मानी जाती है।
- 40 कैलोरी निम्न है।
- 100 कैलोरी मध्यम है।
- 400 कैलोरी या अधिक उच्च है।
सावधान रहें क्योंकि ‘निम्न वसा’ का अर्थ हमेशा ही ‘निम्न कैलोरीज’ नहीं होता।
सैचुरेटेड फैट (संतृप्त वसा)
आपके आहार में सैचुरेटेड फैट, ट्रांस-फैट और कोलेस्ट्रॉल, इन्हें सीमित किया जाना चाहिए। ये पदार्थ ह्रदय रोगों को उत्पन्न करते हैं और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं। सामान्य वयस्क को प्रतिदिन 20 ग्राम से अधिक संतृप्त वसा का सेवन नहीं करना चाहिए।
ट्रांस-फेट्स तैलीय पदार्थ होते हैं जो किसी उत्पाद के सुरक्षित रहने की अवधि बढ़ाने के लिए रासायनिक रूप से परिवर्धित किये जाते हैं। ये हानिकारक होते हैं क्योंकि ये बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा देते हैं, और अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करते हैं। ट्रांस-फैट की प्रतिदिन ली जाने वाली मात्रा 0 ग्राम है। जब आप कोई पोषण सम्बन्धी लेबल पढ़ें तो यह ध्यान रखें कि प्रति सर्विंग ट्रांस-फेट की मात्रा यदि 0.5 ग्राम से कम हो तो कंपनियों को इसे “0 ग्राम” की तरह दर्शाने की अनुमति होती है। इसका अर्थ यह है कि चाहे लेबल “0 ग्राम” बता रहा हो तो भी आपके उस आहार में ट्रांस-फैट की कुछ मात्रा हो सकती है। इसे लेबल पर हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल ऑइल की तरह दिखाया गया हो सकता है।
कोलेस्ट्रॉल की प्रतिदिन ली जाने वाली मात्रा 300मिग्रा से कम होनी चाहिए (यदि आपको हृदय सम्बन्धी विकार हों तो यह मात्रा 200 मिग्रा से कम होनी चाहिए)
अनसैचुरेटेड फैट (असंतृप्त वसा)
वसा का यह प्रकार शरीर के लिए लाभकारी होता है क्योंकि यह कोलेस्ट्रॉल को घटाता है और कोरोनरी हार्ट डिजीज के बढ़ने के खतरे को कम करता है।
- पोलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स- शरीर को इनकी आवश्यकता उचित प्रकार से कार्य करने के लिए होती है जैसे ऊतकों का निर्माण, खून के थक्के का जमना, और सूजन से मुकाबला आदि। यदि आपको ओमेगा-3 और ओमेगा-6 दिखाई पड़े, तो यह पोलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स का प्रदर्शक है। इसके अन्य स्रोतों में हाइड्रोजन रहित सोयाबीन तेल, केनोला तेल, अलसी के बीज और अखरोट आदि हैं।
- मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स- अधिकतर प्रकार के मेवों में यह पाया जाता है। आप जैतून या मूंगफली के तेल में पके पदार्थों को मोनोअनसैचुरेटेड फैट के स्रोतों में लेना चाहेंगे।
प्रतिदिन का प्रतिशत मान(%DV)
प्रतिशत डीवी घटक उस भोज्य पदार्थ के एक सर्विंग में प्रत्येक पोषक तत्व के प्रतिशत के बारे में बताता है। इसे आरडीए द्वारा अनुशंसित भोज्य मात्रा भी कहा जा सकता है। अधिकतर एक कॉलम अनुशंसित डीवी को और दूसरा उस उत्पाद में उपस्थित मात्रा को दर्शाता है।
सोडियम
भारतीय लोग लगभग 3.7 ग्राम सोडियम, अर्थात लगभग 9.3 ग्राम नमक प्रतिदिन लेते हैं। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित मात्रा से लगभग दोगुना है। अधिकतर प्रकार के प्रोसेस्ड आहार सोडियम द्वारा पैक किये गए होते हैं क्योंकि यह एक प्रकार का परिरक्षक होता है। खरीदते समय इसकी मात्रा को जाँच लें। आयु के आधार पर, सेवन की जाने वाली नमक की मात्रा को, घटाया जाना चाहिए।
सावधान रहें क्योंकि हो सकता है डिब्बों पर नमक की मात्रा कम दर्शाई गई हो, लेकिन पदार्थों में अन्य विकल्पों का प्रयोग किया गया हो।
कार्बोहाइड्रेट्स
कार्बोहाइड्रेट्स शरीर के लिए तुरंत ऊर्जा प्राप्ति का स्रोत होते हैं। ये खून में शक्कर के स्तर को तुरंत बढ़ा सकते हैं इसलिए यदि आपको मधुमेह या बैठे रहने वाली जीवन शैली सम्बंधित कोई चिकित्सीय स्थिति हो तो आपको डॉक्टर द्वारा बताई निर्धारित मात्रा में ही इन्हें लेना चाहिए।
शक्कर
शक्कर भी शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है, खून में शक्कर के स्तर को बढ़ाने हेतु सीधे तौर पर जिम्मेदार होने के कारण, भोजन में इसकी मात्रा कम होनी चाहिए। शक्कर को कॉर्न सिरप, हाई फ्रुक्टोस कॉर्न सिरप, फ्रूट जूस कंसन्ट्रेट, माल्टोस, डेक्सट्रोस, सुक्रोस, शहद और मेपल सिरप आदि नामों के द्वारा दर्शाया गया हो सकता है।
सावधान रहें, शुगर-फ्री होने का मतलब कार्बोहायड्रेट फ्री नहीं होता।
रेशा
रेशा वह चीज है जिसकी हमारे भोजन में कमी रहती है। रेशा आँतों की गतिविधि और पाचन को सुधारने तथा कोलेस्ट्रॉल से मुकाबला करने के लिए जाना जाता है। इसलिए हमें अपने आहार में रेशे की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। कोई भी भोज्य पदार्थ जिसमें रेशे की 2.5 – 4.9 ग्राम तक मात्रा हो, वह रेशे का बढ़िया स्रोत होता है। भोज्य पदार्थों जैसे फलों, सब्जियों और साबुत अनाजों में रेशा पाया जाता है। चाहे भोजन में साबुत अनाज नाम मात्र के लिए हों, वे इसे दर्शाते जरूर हैं।
प्रोटीन
आपके आहार में प्रोटीन अधिक मात्रा में होना चाहिए।
कैल्शियम
20% या अधिक डीवी मात्रा वाले कैल्शियम से युक्त आहार बढ़िया होता है। हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में कैल्शियम मदद करता है।
विटामिन्स और मिनरल्स
पोषण लेबल पर विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम और आयरन की सूची दी हुई होती है। आपको अपने दैनिक आहार में इन पोषक तत्वों की, और लेबल पर प्रदर्शित ना किये गए अन्य विटामिनों और खनिजों की, अधिक से अधिक मात्रा लेने का प्रयास करना चाहिए।
उपर बताई गई वस्तुओं के अलावा भोज्य पदार्थों में सुगंध, परिरक्षण, रंग, मिठास, और गाढ़ा करने हेतु और पतला घोल बनाने हेतु पदार्थ मिलाए जाते हैं, जो आपके भोजन में कैलोरीज भी बढ़ा देते हैं। ये किसी विशेष कारण से या उपर बताई गई वस्तुओं के विकल्प के रूप में मिलाए जाते हैं।
संक्षेप में, रेशे, विटामिनों और खनिजों की अधिकता से युक्त आहार अच्छे होते हैं, जबकि वसा, कोलेस्ट्रॉल और शक्कर की अधिक मात्रा से युक्त आहार बुरे होते हैं।
कीमत, निर्माण तिथि और समाप्ति की तिथि के साथ ही पोषण लेबल को पढ़ने की भी आदत डालें। आप कितने तत्वों का सेवन करेंगे, इसकी गणना करें और इसे लेबल पर दर्शाई गई सर्विंग से जाँचें। जितना अधिक आप लेबलों को पढ़ेंगे उतना अधिक आपको इनकी आदत पड़ेगी और आप इस उपयोगी उपकरण का अपने स्वस्थ संतुलित आहार हेतु प्रयोग कर पाएंगे। एक बार आप इसे समझ लें तो पाएंगे कि यह बहुत दिलचस्प है।
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