मलेरिया के मामलों में परिवर्तन
विश्व स्वास्थ्य संगठन के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, मलेरिया से प्रभवित कई देशों ने बीमारी की दर को महत्वपूर्ण रूप से कम करने में सफलता पाई है। वैश्विक स्तर पर, नए मलेरिया संक्रमण के मामलों की दर में 2010 और 2015 के मध्य 21 प्रतिशत की कमी हुई। मलेरिया मृत्यु दर में
इन्ही 5 सालों के दौरान 29 प्रतिशत की कमी देखी गयी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने मलेरिया को पूरे विश्व से 2030 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। हर वर्ष, दुनिया के सभी कोनों से 30 करोड़ लोग मलेरिया से प्रभवित होते हैं। डब्लूएचओ के समांतर लक्ष्य रखते हुए, केंद्र सरकार ने भी भारत को मलेरिया मुक्त बनाने के लिए 2030 को लक्षित वर्ष निधारित किया है। केंद्र ने भारत के राज्यों को मलेरिया के मामलों के अनुसार तीन भिन्न श्रेणियों में विभाजित किया है।
विश्व मलेरिया दिवस (WMD) हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाने वाला एक वैश्विक पर्यवेक्षन है, जो मलेरिया को नियंत्रित करने के अंतराष्ट्रीय प्रयासों को मान्यता प्रदान करता है। विश्व मलेरिया दिवस मलेरिया से बचाव और उसके नियंत्रण के लिए निरंतर निवेश और लगातर राजनैतिक प्रतिबद्धता को उभारने का एक अवसर है।
भारत में मलेरिया
मलेरिया मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने से होता है। भारत में, यह बीमारी देश के सभी इलाकों में सालभर पाई जाती है। हालाँकि, यह बीमारी बारिश के मौसम के दौरान और उसकी समाप्ति के पश्चात मच्छरों के प्रजनन के कारण अधिक विकट बन जाती है। भारत के उत्तर और उत्तर-पूर्वी राज्यों का पहाड़ी और जंगली परिद्र्श्य और इसके आदिवासी समुदायों का घुमन्तु स्वभाव देश के इन इलाकों में मलेरिया के मामलों की अधिक संख्या में प्रमुख योगदान देता है।
भारत में रिपोर्ट होने वाले 80 प्रतिशत मलेरिया के मामले इन्ही राज्यों के होते हैं, जहाँ देश की आबादी के मात्र 20 प्रतिशत लोग ही रहते हैं। इन इलाकों में आन्तरिक संघर्ष और बढ़ती हुई जनसंख्या अस्थिरता मलेरिया को समाप्त करने में अतिरिक्त बाधाएं हैं।
मलेरिया भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्लूएचओ) के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेरिया सम्बंधित मामलों में भारत का योगदान 77 प्रतिशत है। सबसे ज्यादा मौतें छोटे बच्चों की होती हैं। यह बीमारी कई देशों की अर्थव्यवस्था पर एक भारी बोझ है। भारत मलेरिया के सफाए के लिए कार्य कर रहा है और कई मुश्किलों के बावजूद इसमें प्रगति कर रहा है। हमारे देश ने वर्ष 2000 से 2013 के मध्य मलेरिया के मामलों में जबरदस्त कमी करते हुए इनकी संख्या को 20 लाख से घटाकर आधे से भी कम करते हुए 882,000 कर लिया है और यही प्रवृति आगे भी कायम हो रही है।
देश में इस बीमारी के उन्मूलन के लिए मजबूत आर्थिक सहायता, गहन निगरानी, अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों और स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों के आगे प्रोग्राम एकीकरण की आवश्यकता होगी।
अंत में, मलेरिया एक पूरी तरह से रोकने योग्य रोग है। इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बिना किसी वेक्टर (मच्छर) के नहीं हो सकता और इस रोग का पूरी तरह से इलाज संभव है। मलेरिया को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए हमें सिर्फ सही उपचार प्राप्त करने और सही सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
सामान्य टिप्स
स्वयं को मलेरिया से बचाने के लिए कुछ विशेष सावधानियां बरतने की आवश्यकता है:
- मच्छर के काटने से बचें 🙂
- परजीवी को मारने के लिए एंटीमलेरियल दवाएं लेना।
- अपने घर के चारों ओर मच्छर के प्रजनन के स्थानों का विनाश करना।
- अपने परिसर में कीटनाशकों का छिड़काव करना।
- मच्छरदानी के अंदर सोना।
- कीटरोधी क्रीम का उपयोग करना।
- लम्बे बाजू वाले कपड़ों को पहनना।
- अपने घर में वायरमेश की फिटिंग करवाना।
National Framework for Elimination of Malaria in India
Malaria situation in India
Eliminating Malaria Globally
2016 World Malaria reportLike this:
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