- जब भी वे डॉक्टर से मिलें, पर्चे का चित्र लें और उसे अपलोड कर दें। मुझे तुरंत सूचना मिलेगी और मैं देख लूँगा।
- जब भी वे शुगर की जांच करें, उसे एप में डाल दें और मुझे तुरंत पता चल जाएगा।
- मैंने उनके दवा लेने के रिमाइंडर निश्चित कर दिए थे। जैसे ही वह रिमाइंडर देखती, उन्होंने दवा ली या नहीं इसके लिए उन्हें क्लिक करना होता। यदि वे दवा लेना चूक गई हों, तो मुझे तुरंत ही चेतावनी का सन्देश मिलता और मैं तुरंत उन्हें फ़ोन करता। एक बार वे दवा खरीदना ही भूल गईं, तो अब मैंने डॉक्टर से मिलने के साथ ही दवा खरीदने के रिमाइंडर को भी एप पर डाल दिया।
- स्वास्थ्य की देखभाल सम्बन्धी तरीके और मधुमेह की जानकारियाँ हिंदी में उपलब्ध हैं। मैंने उनसे इन जानकारियों को पढ़ने के लिए कहा। मैंने केवल इसे अपने एप पर फ़ेवरेट कर लिया और वे इसे अपने पास सबसे ऊपर ही देखने लगे। मैं सोचता हूँ हिंदी में उपलब्ध जानकारी बहुत ही बढ़िया है।
मेरी माँ के मधुमेह का नियंत्रण
मुझे अपना पेशेवर कार्य दिल्ली में मिला और देश की राजधानी में रहना बहुत रोमांचकारी बात थी। मेरा घर दिल्ली से 150 किमी की दूरी पर है जहाँ केवल 3.5 घंटो तक गाड़ी चलाके पहुंचा जा सकता है। मैं दोनों दुनियाओं का आनंद ले रहा था: दिल्ली में रहना और नियमित रूप से अपने घर माता-पिता से मिलने जाना। मैंने इससे ज्यादा कभी नहीं चाहा था।
एक साल से थोड़ा पहले मेरी माँ को स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कतें चालू हुई। उन्हें मधुमेह हो गया। मैंने अपने कई दोस्तों से उनके मधुमेह पीड़ित माता-पिता के बारे में सुना था, इसलिए यह कुछ विशेष ख़राब बात नहीं लगी। लेकिन अब मैंने मधुमेह को नियंत्रित करने में परेशानी का अनुभव करना शुरू किया। मेरी माताजी अभी भी स्थितियों और दवाओं से सामंजस्य बैठाने में लगी हुई थी। मुझे अभी भी याद है कि इतनी दूरी से देखभाल करने के लिए मैं रोज उन्हें फ़ोन करता था और यह बड़ा मुश्किल होता जा रहा था। मैंने कुछ समय के लिए उन्हें दिल्ली बुला लिया। हम श्रेष्ठ डॉक्टरों से मिले और चीजें ठीक होने लगीं। मैं उन्हें रोजाना दवा लेने की याद दिलाता और उनकी शुगर के स्तर पर निगाह रखता। मैंने इसके बारे में बहुत पढ़ा और अपनी माँ से कहा कि बदलाव युक्त जीवन-शैली और दवाओं द्वारा हम इसे प्रभावी रूप से नियंत्रित कर सकते हैं
मेरे माता-पिता को दिल्ली में रहना कभी भी अच्छा नहीं लगा, इसलिए वे लौट गए। मुझे चिंता थी कि क्या माँ समय पर दवाएँ लेंगी। साथ ही क्या उनकी शुगर नियंत्रण में रहेगी। इसलिए उन्होंने एक डायरी बनाई। मैं उनसे उनकी शुगर का स्तर और अन्य विवरण व्हाट्सएप पर मंगवा लेता और दिल्ली में डॉक्टर को दिखा देता। मुझे लगा कि यह ठीक है, लेकिन मुझे हमेशा उनके दिल्ली में रहने पर की जाने वाली देखभाल ना कर पाने की कमी खटकती रहती। ऐसा लगभग एक साल तक चला।
एक दिन मैंने हेल्थपाई के बारे में समाचार-पत्र में पढ़ा “आपकी देखभाल करने के लिए निःशुल्क नर्स”। और ये वही था जो मैं चाहता था। मैंने तुरंत एप को अपने फ़ोन पर इनस्टॉल किया और इसे ध्यान से पढ़ा। मैंने तुरंत अपने माता-पिता को प्रोफाइल में जोड़ा। उनका फ़ोन नंबर दिया और उसे सत्यापित भी कर दिया। इसके बाद मैंने उनकी दवाओं के रिमाइंडर, उनकी शुगर के स्तर और अन्य विवरणों को एप पर डाल दिया। अपने पिताजी से एप को डाउनलोड कर लेने के लिए कहा। हर वो जानकारी जो मैंने दी थी, तुरंत ही उनके फ़ोन पर अपने आप क्रमबद्ध होकर आ गई। वे वही देख सकते थे, जो मैं देख रहा था।
अब मैंने अपनी माँ से निम्न बातें कहीं: