क्या आप जानते हैं कि आपसे मिलने वाले 10 में से 7 व्यक्तियों में विटामिन डी की कमी हो सकती है। क्या आप जानते हैं कि धूप में 10 मिनट पैदल चलना ना केवल आपकी हड्डियों बल्कि दिल को भी सुरक्षा देता है? जी हाँ, धूप आपके शरीर को विटामिन डी देती है, जो कि मानव शरीर के लिए आवश्यक विटामिन है। आज की तेज रफ़्तार और प्रतियोगिता भरी जीवन शैली, जो कि अत्यंत तनावभरी होती है, में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ होना बिलकुल तय है। इसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या जो इन दिनों बढ़ती जा रही है वह है विटामिन डी की कमी। सभी उम्र के लोग, गर्भवती महिलाएँ, बच्चे, जिनका धूप से अधिक सामना नहीं होता, उन्हें खतरा होता है, विशेषकर एशियाई लोगों को इसका खतरा अधिक होता है।
एमतत्व में हम विटामिन डी की कमी के बढ़ते हुए मामलों को देखते और उनका अध्ययन करते रहे हैं। हमारे रोगियों में से एक, 35 वर्षीय आईटी पेशेवर, पिछले कुछ महीनों से माँसपेशियों के दर्द और पैरों में कमजोरी की शिकायत कर रहे थे। उन्होंने इसपर ध्यान नहीं दिया और सोचा कि यह उनके काम और उससे जुड़ी जीवनशैली के कारण है लेकिन समय बीतने के साथ उन्हें गंभीर झुनझुनी होने लगी, जोड़ों में दर्द रहने लगा और वजन भी बढ़ गया। जब वे अपने डॉक्टर से मिले, तो कई जाँचों और परीक्षणों के बाद, उन्हें विटामिन डी की गंभीर कमी पाई गई। उनका विटामिन डी का स्तर अत्यंत निम्न, केवल 14ng/ml था जबकि स्वस्थ व्यक्ति हेतु इसकी आदर्श मात्रा 30-80 ng/ml होती है। उनके विटामिन डी के स्तर को उन्नत करने में 6 माह लगे।
एमतत्व के खोजपरक उत्पाद हेल्थपाई ने अपने ‘नियमित दवा का सेवन’ कार्यक्रम द्वारा उपचार पूरा करने में उनकी सहायता की, खासकर जब उपचार में दवा को हफ्ते में एक बार लिया जाना था।
70% भारतीयों को विटामिन डी की कमी होती है।
यह एक आम धारणा रही है कि धूप की पर्याप्त मात्रा के कारण रिकेट्स और विटामिन डी की कमी की समस्या भारत में आम नहीं है। लेकिन यह सच नहीं है। यह अनुमान किया गया है कि भारत की आबादी के लगभग 70% व्यक्तियों में विटामिन डी का स्तर सामान्य से कम है। हालाँकि, चिंता की अधिक बड़ी बात यह है कि आबादी का बड़ा हिस्सा विटामिन डी की कमी और इसके परिणामों के बारे में जानकारी नहीं रखता। सनस्क्रीन लोशन का प्रयोग, भीतर रहना, कपड़े पहनने की आदत, प्रदूषण, और सूर्य के सीधे प्रकाश का अत्यंत कम सामना (सुबह 10 से दोपहर 3 तक) आदि भारतीय जनता में बड़े पैमाने पर फैली हुई इस तरह की कमी के मुख्य कारण हैं।
मानव शरीर में विटामिन डी की आदर्श आवश्यकता 1,000 से 2,000 IU(इंटरनेशनल यूनिट्स) प्रतिदिन की है। गर्मियों के दिनों में बिना सनस्क्रीन लगाए, 10 से 15 मिनट तक धूप में रहना, अधिकतर लोगों के लिए पर्याप्त विटामिन डी प्रदान करता है। गहरे रंग की त्वचा वालों को, हलके रंग की त्वचा के मुकाबले, धूप में अधिक समय तक रहने की आवश्यकता होती है। धूप से विटामिन डी प्राप्त करने के लिए, अप्रैल से अक्टूबर के दौरान, दिन का सर्वोत्तम समय सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक है।
विटामिन डी इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है?
विटामिन डी वसा में घुलनशील होता है, अर्थात यह हमारी वसा कोशिकाओं में इकठ्ठा रहता है और कैल्शियम के मेटाबोलिज्म और हड्डियों के बनने के लिए नियमित रूप से प्रयोग में आता रहता है। आँतों से कैल्शियम को हजम करने के लिए इसकी जरूरत होती है। आँतों से कैल्शियम का अधिकतम पाचन मजबूत हड्डियों और दाँतों के निर्माण में मदद करता है।
यदि आपमें विटामिन डी की कमी है, तो आप भोजन से मिलने वाले कैल्शियम की केवल 10 से 15 प्रतिशत मात्रा को हजम कर पाते हैं। “अमेरिकल जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रीशन” में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, यदि आपमें विटामिन डी की कमी ना हो, तो आपके द्वारा हजम किये जाने वाले कैल्शियम की मात्रा से ऊपर बताई गई मात्रा लगभग आधी है। विटामिन डी की कमी से कैल्शियम के कम जमा होने के परिणामस्वरूप बनने वाली कमजोर, नरम और दर्दयुक्त हड्डियाँ बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में ओस्टियोमलेसिया उत्पन्न करती है। यह हड्डियों के घनत्व की हानि भी करती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ता है।
अध्ययन बताते हैं कि विटामिन डी का निम्न स्तर माँसपेशियों की कमजोरी और दर्द उत्पन्न करता है और कई रोगों जैसे रक्तचाप, हार्ट फ़ैल होना, मस्तिष्क में आघात, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, संधिवात (रह्युमेटोइड आर्थराइटिस), मधुमेह के तथा प्रोस्टेट, आंत के सिरे और स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। इसके विपरीत, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल का एक प्रकाशन बताता है कि विटामिन डी का उच्च स्तर आर्थराइटिस के खतरे को कम करता है, फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाता है और रोगों से लड़ने की शक्ति को उभारता है।
गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी का स्तर अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। माँ में विटामिन डी की कमी गर्भ में स्थित शिशु के असामान्य विकास और गर्भावस्था के मधुमेह से जुड़ी होती है।
आप क्या कर सकते हैं?
केवल साधारण प्रकार से पैदल चलना, प्रतिदिन धूप में 5 से 10 मिनटों तक पढ़ना या काम करना आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, विटामिन डी से समृद्ध आहारों जैसे मछली के लिवर का तेल, अंडे, दूध, पनीर और नाश्ते के अनाजों को नियमित अपनी खुराक में लें। वैसे विटामिन डी के पूरक आहार भी उपलब्ध हैं किन्तु इन्हें केवल अपने डॉक्टर की सलाह से ही लें क्योंकि विटामिन डी की अधिकता विपरीत प्रभाव उत्पन्न कर सकती है।
विटामिन डी की कमी का इलाज लें और उपचार में सहयोग करें
विटामिन डी की कमी वाले रोगियों को आमतौर पर कुछ महीनों से लेकर छः माह तक, सप्ताह में एक बार, विटामिन डी के पूरक लेने की सलाह दी जाती है। इस इलाज को नियमित रख पाना बड़ी चुनौती है। हमारे अध्ययन के अनुसार 50% से अधिक रोगी व्यस्तता या विटामिन डी की कमी से होने वाले नुकसानों के बारे में जानकारी ना होने के कारण इलाज में आंशिक या पूर्ण रूप से लापरवाही करते हैं।
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आप सभी को स्वस्थ और प्रसन्न जीवन हेतु शुभकामनाएँ!
लेखक: तेजस्वी रेड्डी, M. Pharma