- बैठी हुई स्थिति में टिका रहता है और अपना सिर स्थिर रखता है।
- अपनी आँखों, हाथों और मुँह में सामंजस्य बैठा लेता है, भोजन की तरफ देखता है, उसे उठाता है और अपने मुँह में रखता है, ये सारे काम वह स्वयं ही करता है।
- अपना भोजन निगल लेता है। जो बच्चे तैयार नहीं होते, वे अपना भोजन बाहर निकाल देते हैं, इसलिए मुँह में भीतर होने की अपेक्षा बाहर की तरफ अधिक भोजन लगा होता है।
अवस्था 1: 6+ माह
आप बच्चे को थोड़ी मात्रा में गाय का दूध, दही, मसला हुआ पनीर देकर शुरुआत कर सकते हैं। माँ के दूध में बिना पतला किया हुआ गाय का दूध, भैंस का दूध, मदर डेरी का दूध या जो भी आसानी से उपलब्ध हो, उसे मिलाएँ। बच्चों को बार-बार आहार देने की जरूरत होती है। याद रखने का प्रमुख सूत्र हैसारे ठोस आहारों को मसलें या अर्द्ध-तरल रूप में दें।. आपको इसमें थोड़ी सी शक्कर और नमक मिलाना चाहिए ताकि बच्चे को स्वाद आए और वह खाना पसंद करने लगे। बच्चों को पसंद आते हैं:- फल, सब्जियाँ और अनाज
- फल जैसे मसले केले, सेब, आम, पपीता
- उबली और मसली सब्जियाँ, पानी वाली दाल, खिचड़ी आदि
- उबले और मसले आलू, सूजी, दलिया, साबूदाना, चावल
- सब्जियों – गाजर, रतालू, फलियों से बना तरल पेस्ट
- ओट्स और अन्य अनाज। अत्यधिक रेशे की मात्रा वाली वस्तुओं से परहेज करें।
- उबले अंडे (केवल अंडे की जर्दी)
- मछली
- अपास्चरीकृत, फफूंद द्वारा उत्पन्न नर्म पनीर
- शक्करयुक्त आहार और पेय पदार्थ- खासकर आइसक्रीम, बुलबुले वाले पेय आदि बाहरी पदार्थ
अवस्था 2: 9-12 माह
इस समय तक आपका बच्चा अपनी पकड़ मजबूत बना लेता है, अपने अंगूठे और उँगलियों की सहायता से चीजों को उठाने की उसकी क्षमता बढ़ जाती है। उँगलियों द्वारा लिए जाने वाले आहारों की शुरुआत करने के लिए यह उचित समय होता है।- उबली गाजर, आलू के टुकड़े या कटे हुए हिस्से।
- केले या तरबूज-खरबूज के टुकड़े
- हल्का मक्खन लगे हुए टोस्ट की पतली पट्टियाँ
- प्लेन राइस केक्स
- नमकरहित ब्रेड की स्टिक्स
- सेब, पपीते या नाशपाती के मोटे टुकड़े
- ककड़ी या एवोकेडो की कटी स्लाइस
- पके हुआ पास्ता
- पके हुए मीट और चिकन के टुकड़े
1 साल पश्चात
- स्तनपान जारी रखें
- ताजा दूध (मलाई सहित) 400 – 500 मिली/प्रतिदिन।
- केला या कोई भी अन्य मौसमी फल।
- दूध में सूजी/साबूदाना/दलिया/सेवैयाँ (गाढ़ी) – लगभग 3/4 कप।
- खिचड़ी (अर्द्ध ठोस स्थिति में) या दाल-चावल -लगभग 3/4 कप।
- बिस्कुट/ब्रेड/चपाती।
- आलू + जरूरत के हिसाब से कोई भी अन्य सब्जी।
- दही/पनीर/मूंगफली/अंडे/हलवा।
- डेरी उत्पाद: अब गाय का पूर्ण दूध पीने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
- स्टार्चयुक्त आहार: दिन में तीन से चार बार स्टार्चयुक्त आहार जैसे आलू, ब्रेड और चावल लेना।
- फल और सब्जियाँ – दिन में तीन बार
महत्वपूर्ण सावधानियाँ
बच्चे के लिए आहार बनाते समय- केवल साफ़ बर्तनों का प्रयोग करें।
- पका भोजन आधा घंटे के भीतर इस्तेमाल कर लें।
- बचे भोजन का प्रयोग ना करें।
आहार देने की संख्या
बच्चों को बार-बार आहार देने की जरूरत होती है क्योंकि उनकी कम क्षमता के कारण वे एक समय में थोड़ा ही खा पाते हैं।- 5-6 माह तक: बच्चे को आवश्यकतानुसार/रोने पर 24 घंटों में 9-10 बार स्तनपान करवाएँ।
- 6- 8 माह की आयु से: जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, उसकी जरूरत बढ़ जाती है और वह एक बार के भोजन में अधिक मात्रा लेने लगता है- दिने में 7-8 बार कुछ खिलाएँ।
- 9- 12 माह की आयु से: आमतौर पर बच्चा दिन में 6-7 बार खाता है।
- 12 – 18 महीनों की आयु से: बच्चा दिन में कम-से-कम 6 बार खाता है।
- 24 माह की आयु से: बच्चे का दिन में 5-6 बार खाने का क्रम निश्चित हो जाता है।
- 3 नियमित आहार: नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात्रि का भोजन।
- बीच में 3 बार पोषक स्नैक्स/नाश्ता: सुबह, शाम को 4:30 – 5 बजे और रात्रि को सोने के पहले।
- 2 वर्ष की आयु के बाद, बच्चा परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा खाया जाने वाला आहार ले सकता है – केवल भोजन थोड़ा नरम या मुलायम होना चाहिए।
भोजन हेतु कुछ सुझाव
नाश्ता- चावल की खीर
- सूजी का हलवा/उपमा
- उबले अंडे और मक्खनयुक्त ब्रेड टोस्ट।
- दही
- दूध के साथ मसला केला
- खिचड़ी
- पालक की कढ़ी और टमाटर का सूप
- दही के साथ मसले चावल।
- मिश्रित मौसमी सब्जियों (गाजर, पालक, टमाटर आदि) का सूप।
- कस्टर्ड में मिश्रित कटे हुए विभिन्न फल।
- दोपहर के भोजन के समान और इसके अलावा उबली सब्जियों के साथ पास्ता, चिकन, पराठा में से कुछ भी।
आप जिसे पोषक समझते हैं वह बच्चे को दें, किन्तु बच्चे को यह तय करने दें कि वह क्या खाना चाहता/ती है. जोर-जबरदस्ती से ना खिलाएं।
नोट: शुरुआत में बच्चे हरी सब्जियों के मुकाबले पीली/नारंगी सब्जियाँ आसानी से पचा लेते हैं।
यह सबसे बड़ा मार्गदर्शक है, अपने बच्चे की भूख से यह तय करें कि हर बार आप उसे कितना आहार देंगे।