टीबी दिवस क्यूँ मनाया जाता है ?
विश्व टीबी दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। विश्व में
ट्यूबरक्लोसिस (TB) के बोझ और
टीबी से बचाव और सुरक्षा की स्थिति को उजागर करने का एक अवसर है। ये 1882 के उस दिन के पुण्यस्मरण में मनाया जाता है जब डॉ रोबर्ट कोच ने वैज्ञानिक समुदाय को चकित कर दिया था ये घोषणा कर के कि उन्होंने ट्यूबरक्लोसिस होने का कारण खोज लिया है, वह टीबी बेसिलस है।
WHO के आँकड़े
ट्यूबरक्लोसिस पूरे विश्व में होने वाले मृत्यु के शीर्ष 10 कारणों में से एक है। 2015 1.04 करोड़ लोग ट्यूबरक्लोसिस (TB) से ग्रसित हुए और 18 लाख लोग मारे गए (जिसमें 4 लाख लोग
HIV से ग्रसित थे)। टीबी से होने वाली 95% से ज़्यादा मृत्यु कम और मध्यम आय वाले देशों में होती है। कुल मामलों का 60% इन छह देशों में पाया जाता है जिसमे सब से आगे भारत उसके बाद इंडोनेशिया, चीन, नाइजीरिया, पाकिस्तान और साउथ अफ्रीका हैं। 2000 से टीबी के मामलों में प्रति वर्ष 1.5% की गिरावट हुई है। इसकी गति बढ़ा के प्रति वर्ष 4-5% करना होगा अगर 2020 तक “टीबी अंत रणनीति” प्राप्त करनी है।
ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण
ट्यूबरक्लोसिस एक बीमारी है जो बैक्टीरिया के द्वारा होती है और हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। अगर ढंग से उपचार नहीं कराया जाये तो टीबी जान लेवा हो सकती है। टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति जो बीमार न भी हो उसे इलाज की आवशयकता है ताकि टीबी रोग को भविष्य में विकसित होने से रोका जा सके।
टीबी के लक्षण को पहचानना सीखें ताकि आप जान सकें कि कहीं आप खतरे में तो नहीं हैं।
सुप्त टीबी संक्रमण और टीबी रोग
जब कोई टीबी से ग्रसित व्यक्ति खाँसता, छींकता, बोलता या गाता है तो वो हवा में TB के जीवाणु छोड़ देता है। आस पास के लोग जब उस हवा में साँस लेते हैं तो संक्रमित हो जाते हैं। टीबी की अवस्था दो प्रकार की होती है: सुप्त टीबी संक्रमण और टीबी रोग।
- सुप्त टीबी संक्रमण उस स्थिति को कहते हैं जब आपको बीमार किये बिना टीबी के जीवाणु आपके शरीर में रह रहें हों। मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति टीबी के जीवाणु से लड़ने और उसे बढ़ने से रोकने में सक्षम होते हैं। गुप्त टीबी संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के कोई भी लक्षण नहीं होते और न ही ये दूसरों को संक्रमित करते हैं। इसे निष्क्रिय टीबी भी कहा जाता है।
- अगर टीबी जीवाणु शरीर में सक्रिय हो गयें और बढ़ने लगें, तो ये व्यक्ति में सुप्त टीबी संक्रमण से टीबी रोग में बदल जातें हैं। आमतौर पे टीबी रोग वाले व्यक्तियों में रोग के लक्षण होते हैं और ये दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं। इसे सक्रिय टीबी भी कहा जाता है।
2017 की थीम
एकजुट होकर करें टीबी का अंत: कोई पीछे न छूटे
2017 दूसरा साल है विश्व टीबी दिवस के अभियान “एकजुट होकर करें TB का अंत” का। इस वर्ष WHO का विशेष ध्यान एकजुट प्रयास “कोई पीछे न छूटे” पर है। इसमें कलंक, भेदभाव, बहिष्कार और बाधाओं से निकल के इलाज करने पे विचार होगा।
विश्व टीबी दिवस प्रभावित लोगों और समुदायों, नागरिक समाज संगठनों, स्वास्थ्य देख-भाल प्रदाताओं, नीति निर्माताओं, विकास भागीदारों और अन्य लोगों के लिए प्लेटफार्म प्रदान करता है ताकि वो पक्षपोषित, सलाह और आगे सहयोग की योजना बना सकें ताकि लोगों तक गुणवत्ता वाले टीबी की रोकथाम और देखभाल के वादे को पूरा कर सकें और साथ ही बहुआयामी विकास प्रयासों के माध्यम से टीबी की रोकथाम को सक्षम करना।
केन्द्रीय बजट 2017 में, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गरीबों को प्रभावित करने वाले
पांच चिरकाली बीमारियों को खत्म करने के लिए सरकार की मंशा की घोषणा की।
इसलिए सरकार ने कार्य योजना तैयार की है जिसके अनुसार वर्ष 2017 तक काला-अज़ार और फ्लोरोसिस, 2018 तक कुष्ठ रोग और 2020 तक खसरा को ख़तम करने का लक्ष्य है।” वित्त मंत्री ने कहा “2025 तक ट्यूबरक्लोसिस को भी समाप्त करने का लक्ष्य रखा है।”
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