Source: Muhammad Mahdi Karim
यह वायरस लोगों में मंद रोग से ज्यादा प्रभाव नहीं करता। लेकिन ब्राज़ील से मिले ढेरों प्रमाण सुझाते हैं कि यह संक्रमण गर्भवती महिलाओं में होने पर, असामान्य रूप से छोटे आकार के सिर वाले बच्चों के जन्म से जुड़ा है (इस जन्मजात विकृति को माइक्रोसिफेली कहते हैं)। प्रभावित क्षेत्रों (खासकर अमेरिका) की यात्रा कर रही गर्भवती महिलाओं को सतर्क रहना चाहिए – उन्हें यात्रा को टालने की और आवश्यक सावधानियाँ बरतने की सलाह दी जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, मच्छरों द्वारा फैलाए जाने वाले रोग भारत में चिंता का कारण हैं। वैज्ञानिक क्षेत्रों में इसे भारत के स्थानीय डेंगू वायरस का चचेरा भाई कहा जाता है; ऐसा माना जाता है कि भारतीयों ने इस संक्रमण के लिए निष्क्रिय प्रतिरक्षण उत्पन्न कर लिया है। इस वायरस की उपस्थिति केवल 1952-53 में दिखाई पड़ी थी। भारत स्थिति पर बारीकी से निगाह रखे हुए है, क्योंकि भारत इस वायरस के विकसित होने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है किन्तु अभी तक देश में जीका वायरस का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।
सावधानियाँ
- जीका वायरस के इलाज हेतु ना तो कोई विशिष्ट दवा है और ना ही कोई इंजेक्शन।
- अपने आस-पास में ठहरे या जमे हुए पानी को इकठ्ठा ना होने दें, ताकि वे मच्छरों के पनपने के स्थान ना बन सकें।
- पानी से भरी टंकियों आदि को बंद करके रखें।
- कचरे के लिए प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल करें और इसे बंद पात्र में रखें।
- मच्छरों का परिवारजनों से संपर्क रोकने के लिए मच्छरों को रोकने वाली स्क्रीन और जालियों का प्रयोग करें।
- लम्बी बाहों वाली कमीज और लम्बी पतलून पहनें, मच्छरों के काटने से बचने के लिए अपने पूरे शरीर को ढंकें।
- मच्छरों से संपर्क रोकने के लिए वातानुकूलित स्थानों और/या मच्छरों को रोकने वाली जाली लगी हुई खिड़कियों और दरवाजों वाले स्थानों पर रहें।
- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- मच्छररोधी रसायनयुक्त वस्तुओं का प्रयोग करें।
- रोग के लक्षणों वाले व्यक्तियों को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए और आराम करना चाहिए।