रायनाइटिस (नाक की सूजन): रोकथाम और जटिलताएं

रायनाइटिस (नाक की सूजन) – रोकथाम – घर के भीतर रहें और खिड़कियाँ बंद रखें। एयर कंडीशनर का प्रयोग करें और उसके फ़िल्टर को नियमित साफ़ करें। वायु स्वछ्क का प्रयोग करें। अपने तकिये और गद्दों पर धूल के कणों से बचाव करने वाले कवर लगाएँ।.

रायनाइटिस (नाक की सूजन): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

रायनाइटिस (नाक की सूजन) – आहार – लेने योग्य आहार: गर्म तरल पदार्थ
, शहद
, मछली
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रायनाइटिस (नाक की सूजन): लक्षण और कारण

रायनाइटिस (नाक की सूजन) – लक्षण – नाक के भीतर, मुँह की छत पर, गले और आँखों में खुजली। छींकना, अवरुद्ध या भरी हुई नाक। गंधहीनता. रायनाइटिस (नाक की सूजन) – कारण – वायरस, बैक्टीरिया या उत्तेजक, सर्दी ये सभी सबसे आम कारणों में से हैं।.

रायनाइटिस (नाक की सूजन): प्रमुख जानकारी और निदान

रायनाइटिस नाक की भीतरी परतों की सूजन को कहते हैं, जो एक साथ दोनों नथुनों को प्रभावित करती है।.

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI): रोकथाम और जटिलताएं

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI) – रोकथाम – व्यायाम नियमित करें और सक्रिय रहें। उचित शारीरिक भंगिमा अपनाएँ। काम करने की आदतों में कुछ आसान बदलाव।.

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI) – आहार – आरएसआइ में पोषण तत्व की भी भूमिका है। उचित पोषण की आवश्यकता मजबूत माँसपेशियों और हड्डियों को उत्पन्न करने और मजबूत बनाए रखने के साथ खेल और अन्य शारीरिक गतिविधियों को उचित रूप से करने के लिए होती है।

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI): लक्षण और कारण

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI) – लक्षण – प्रभावित मांसपेशी या जोड़ में पीड़ा। प्रभावित क्षेत्र में पिन और सुई का एहसास। हाथ में एहसास और शक्ति की कमी। धड़कन का एहसास।. रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI) – कारण – हमारे हाथों, कलाइयों, भुजाओं, गर्दन और पीठ की माँसपेशियों का अत्यधिक प्रयोग। दोहराने वाली क्रियाएँ ठन्डे स्थान पर की जाती हैं। कार्यक्षेत्र की व्यवस्था कमजोर हो। विश्राम के पर्याप्त अवसर ना हों।.

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (RSI): प्रमुख जानकारी और निदान

रिपीटीटिव स्ट्रेस इन्जुरिस (आरएसआई) ऐसी चोटें हैं जो शरीर के किसी हिस्से पर अत्यधिक दबाव/तनाव डालने से होती हैं, जिसके कारण सूजन (दर्द और फूलना), मांसपेशी में मोच, या ऊतकों को क्षति होती है। आरएसआई के दो प्रकार होते हैं, टाइप 1 और टाइप 2।.

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद): रोकथाम और जटिलताएं

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद) – रोकथाम – स्वास्थ्यवर्धक आहार लें। व्यायाम नियमित करें। धूम्रपान त्यागें और मदिरापान सीमित करें।.

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

पोस्टमीनोपॉज अवधि (मासिक धर्म बन्द होने के बाद) – आहार – लेने योग्य आहार: अपने प्रतिरक्षक तंत्र को सबल करने के लिए ताजे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज लें जैसे, गाजर, सेब, फलियाँ, सोया, रतालू, आलू, समुद्री सीवर आदि
, कैल्शियम से समृद्ध आहार जैसे कम वसा युक्त डेरी उत्पाद (दूध, दही, पनीर, सोया दूध), पालक, बादाम और मछली महिलाओं को हड्डियों को उचित रूप से मजबूत बनाए रखने में मदद करते हैं।
, होलग्रेन से बने ब्रेड, पास्ता और पेस्ट्रीज मैदे से बनी इन्हीं वस्तुओं के मुकाबले अधिक पोषक होते हैं।
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