व्याकुलता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर): रोकथाम और जटिलताएं

व्याकुलता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर) – रोकथाम – शराब और अन्य ड्रग से बचें। समय प्रबंधन की प्रक्रियाएँ सीखें। धूम्रपान और कॉफ़ी पीने से परहेज।.

व्याकुलता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

व्याकुलता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर) – आहार – लेने योग्य आहार: साबुत अनाज के आहार।
, समुद्री आहार।
, बादाम।
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व्याकुलता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर): लक्षण और कारण

व्याकुलता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर) – लक्षण – सोने में कठिनाई। ठन्डे पसीना युक्त हाथ और/या पैर। श्वसनहीनता। पेल्पिटेशंस।. व्याकुलता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर) – कारण – जैविक कारण। तनाव सम्बन्धी कारण। चिकित्सीय कारण।.

व्याकुलता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर): प्रमुख जानकारी और निदान

एक विशेष प्रकार का सामान्य मानसिक विकार जिसे अत्यधिक चिंता, असहजता, और भविष्य की अनिश्चितताओं का भय द्वारा समझाया जा सकता है।.

घ्राणहीनता – सूंघ न पाना: रोकथाम और जटिलताएं

घ्राणहीनता – सूंघ न पाना – रोकथाम – प्रदूषण युक्त क्षेत्र में न रहें। धूम्रपान त्यागें। नाक का अवरोध खोलने वाली औषधियों का अत्यधिक प्रयोग नहीं करें।.

घ्राणहीनता – सूंघ न पाना: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

घ्राणहीनता – सूंघ न पाना – व्यायाम – पसीना नाक के भीतर के अवरोध को खोलता है, इसलिए नाक में भरा हुआ लगने के एहसास को कम करने के लिये कुछ हलके व्यायाम करें।

घ्राणहीनता – सूंघ न पाना: लक्षण और कारण

घ्राणहीनता – सूंघ न पाना – लक्षण – सूंघने की क्षमता की हानि। सूंघने की क्षमता में कमी। स्वाद की क्षमता में विकार।. घ्राणहीनता – सूंघ न पाना – कारण – नाक अथवा साइनस (नाक के भीतरी छिद्र) की शल्यक्रिया अथवा उनमें रोग। प्राकृतिक रूप से उम्र का बढ़ना। ऊपरी श्वसन तंत्र का संक्रमण। विकिरण चिकित्सा।.

घ्राणहीनता – सूंघ न पाना: प्रमुख जानकारी और निदान

एनोस्मिया (घ्राणहीनता) सूंघने की शक्ति की आंशिक अथवा पूर्ण हानि है। आमतौर पर यह गंभीर नहीं होता।.

टखने में मोच: रोकथाम और जटिलताएं

टखने में मोच – रोकथाम – व्यायाम और मेहनती कार्य करने के पहले शरीर को वार्म-अप करके तैयार करें। सही ऊँचाई और तरीके के जूते पहनें, ऊँची एड़ी के जूते न पहनें।.

टखने में मोच: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

टखने में मोच – आहार – लेने योग्य आहार: प्रोटीन से समृद्ध आहार जैसे पोल्ट्री उत्पाद, फलियाँ, डेरी उत्पाद, सोया और मीट, ये सुनिश्चित करते हैं कि शरीर को उचित मात्रा में प्रोटीन मिले ताकि चोटग्रस्त टखना ठीक हो सके।
, चोट सुधार की प्रक्रिया में शरीर की सहायता हेतु मछली बढ़िया आहार है।
, टखने की चोट को ठीक करने के लिए डेरी उत्पाद बहुत अच्छे होते हैं।
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